आक्रोशित मौसम

10 Feb 2011
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हममें से अधिकतर के लिए बारिश, हिमपात और तड़ित झंझा सामान्य अनुभव रहे हैं। यदि लगातार पिछले कुछ घंटों से कई तड़ित झंझा आए तो भी हम अधिक भयभीत नहीं होते हैं। लेकिन अक्सर ऐसी घटनाएं दुखद होती हैं। जब चक्रवाती तूफान तटीय क्षेत्रों में पहुंचता है तो यह मूसलाधार बारिश का कारण बनता है जिससे बहुत विशाल क्षेत्र में बाढ़ आने से जान-माल को भारी नुकसान पहुंचता है। संयुक्त राज्य के मैदानी भागों और भारत के कुछ भागों में तेज बवंडर, जिसे टॉरनेडो यानी तूफान के नाम से भी जाना जाता है, कुछ ही मिनटों में भारी तबाही का कारण बनता है। यह मौसमी परिघटना प्रकृति के विभिन्न विध्वंसक रूपों में से एक है। तूफान के कारण विश्वव्यापी क्षति होती है। लेकिन प्रकृति की ये घटनाएं पृथ्वी ग्रह की ऊष्मा के संतुलन का एक माध्यम हैं। चक्रवात और प्रभंजन यानी हरिकेन पृथ्वी के क्षोभमंडल को संतुलित रखने के साथ वैश्विक तापमान को आपेक्षिक रूप से स्थिरता प्रदान करने में सहायक होते हैं।

चक्रवात, हरिकेन और टाइफून


हम सभी चक्रवात और हरिकेन जैसी घटनाओं से परिचित हैं। ऐसी घटनाएं लगभग पूरे विश्व में संपत्ति की व्यापक हानि और मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न करती हैं। उदाहरण के लिए सन् 1991 में बांग्लादेश के तटीय क्षेत्रों में आए तूफान से 1,39,000 लोगों की मौत हुई थी। ऐसे ही चक्रवात ने सन् 1999 के अक्टूबर महीने में उड़ीसा के तटीय क्षेत्रों में 10,000 लोगों की जान ली थी। इसी प्रकार सन् 2004 में संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यू ऑर्लीनस् में कैटरीना तूफान ने उस क्षेत्र को तहस-नहस करने के साथ 1,500 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था।

सन् 1999 में अक्टूबर के महीने के दौरान उड़ीसा क्षेत्र में आए 'सुपर सायक्लोन' का उपग्रह से लिया गया चित्रसन् 1999 में अक्टूबर के महीने के दौरान उड़ीसा क्षेत्र में आए 'सुपर सायक्लोन' का उपग्रह से लिया गया चित्रवास्तव में चक्रवात उष्णकटीबंधीय तूफानों के तीन नामों में से एक है जिनकी गति कम से कम 110 किलोमीटर प्रति घंटे होती है। ये तूफान बंगाल की खाड़ी और उत्तरी हिंद महासागर में चक्रवात एवं अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत महासागर के ऊपर विकसित होने पर हरिकेन और पश्चिमी प्रशांत महासागर में टायफून (प्रचण्ड तूफान) कहलाते हैं।

उष्णकटिबंधीय तूफान एक मौसमी शब्द है जिसके द्वारा तूफान को परिभाषित किया जाता है। उष्णकटिबंधीय तूफान के केंद्र में बनने वाले निम्न दाब एवं तड़ित झंझा के कारण मूसलाधार बारिश होने के साथ तेज हवाएं चलती हैं।उष्णकटीबंधीय चक्रवातउष्णकटीबंधीय चक्रवात यह तूफान भूमध्य रेखा के निकट गर्म समुद्र के ऊपर जन्मता है। जब गर्म हवा सागरों से ऊपर उठकर बादलों के रूप में संघनित होती है तब बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और नमी के मिलने के परिणामस्वरूप अक्सर एक के बाद एक तड़ित झंझा आते हैं जो उष्णकटिबंधीय तूफान को उत्पन्न करते हैं। पृथ्वी के अपने अक्ष पर लगातार घूमने के कारण हवा अंदर की ओर मुड़ जाती है जिससे घुमावदार हवा तीव्रता से ऊपर की ओर उठती है। गर्म हवा के ऊपर उठने पर ठंडी हवा उसके द्वारा छोड़े गए स्थान पर आती है। घुमावदार हवा तेज और तेज घूमती है, जो 2000 किलोमीटर तक के विशाल घेरे तक फैल सकती है। तूफान का केंद्र शांत होता है। तूफान की ‘आंख’ कहलाने वाले इस क्षेत्र में हवा के हल्की होने के साथ वर्षा भी नहीं होती है।

तूफान बनते ही तेजी से घूमने लगता है, जो महासागरों के ऊपर की गर्मी और आर्द्रता के अनुसार स्थायी होता है। तूफान के केंद्र से 20 से 30 किलोमीटर दूर पाए जाने वाले दीवार जैसी आकृति वाले बादलों से तेज बारिश होती है।अतिचक्रवात यानी सुपर सायक्लोन के कारण उड़ीसा में हुई तबाहीअतिचक्रवात यानी सुपर सायक्लोन के कारण उड़ीसा में हुई तबाही तूफान के दौरान हवा आंख कहलाने वाले शांत क्षेत्र के सापेक्ष सर्पिलाकार दिशा में घूमती है। प्रायः आंख 30 से 50 किलोमीटर चौड़ी होती हैं। आंख के आसपास की हवा 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक गति कर सकती है। आंख के आसपास घटित होने वाली रौद्र घटना को ‘आंख दीवार’ कहते हैं।

जैसे ही चक्रवात तट पर पहुंचता है, आकाश में अंधेरा छाने लगता है और तेज हवा चलने लगती है। इस दौरान जमीन के पास मूसलाधार बारिश होने के अलावा तूफान भी आ सकता है। तूफान के कारण चलने वाली तेज हवाएं बहुत व्यापक तबाही मचा सकती हैं। आर्द्र हवा के ऊपर उठने और जलवाष्प के संघनन से मुक्त ऊर्जा से उष्णकटिबंधीय तूफान की प्रबलता बढ़ती है।

उष्णकटीबंधीय तूफान न केवल उच्च शक्तिशाली हवाएं और मूसलाधार बारिश लाता है बल्कि वह शक्तिशाली ऊंची लहरों और विनाशकारी तूफान को भी उत्पन्न कर सकता है। वह गर्म जल के विशाल स्रोत से उत्पन्न होता है। धरती के ऊपर पहुंचने पर यह तूफान क्षीण होने लगता है। यही कारण है कि जहां तटीय क्षेत्रों को उष्णकटिबंधीय तूफान का संकट अधिक झेलना पड़ता है वहीं अंतर्देशीय क्षेत्र इनकी तुलना में सुरक्षित होते हैं। भारी बारिश से द्वीपीय क्षेत्रों में बाढ़ आ सकती है तो तूफान तटीय क्षेत्रों में तटरेखा से करीब 40 किलोमीटर अंदर तक तटीय बाढ़ का कारण बनता है।

बादल फटना


केवल चक्रवात और हरिकेन ही बाढ़ के लिए जिम्मेदार प्राकृतिक परिघटना नहीं है। अक्सर हम बादल फटने के कारण बाढ़ आने के समाचार सुनते हैं जैसे वर्ष 2005 में मुम्बई में हुआ था तब बादल फटने से इस शहर में जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान हुआ था। पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने की घटना से निचले गांवों से निकलने वाली नदियों में बाढ़ आ जाती है। यहां हम जानेंगे कि आखिर बादल फटने की घटना क्यों और कैसे घटित होती है?

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बादल फटने की घटना के दौरान किसी छोटे भौगोलिक क्षेत्र में कुछ ही समय में लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटे या इससे भी अधिक मात्रा में मूसलाधार बारिश हो सकती है। बादल फटने की घटना को पिछले कुछ घंटों में अतितीव्र बारिश होने की घटना के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है।

सामान्यतया भारतीय उपमहाद्वीप में बादल फटने की घटना उस समय घटित होती है जब नमी युक्त मानसून बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से होता हुआ मैदानी भागों को पार कर उत्तर दिशा की ओर हिमालय क्षेत्र में पहुंच कर 75 मिलीमीटर प्रति घंटे की दर से बारिश करता है। जुलाई, 2005 में मुम्बई में बादल फटने की घटना से दस घंटों में ही करीब 950 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई थी। हिमाचल प्रदेश में मानसून के दौरान अक्सर बादल फटने की घटनाएं घटित होती हैं।

हम यह जानते हैं कि बादल फटने की अधिकतर घटनाएं संवहनी, कपासीवर्षी बादलों के द्वारा घटित होती हैं। क्योंकि ये बादल विद्युत झंझा उत्पन्न करते हैं। जिससे हवा मूसलाधार बारिश के लिए आवश्यक नमी की मात्रा से हल्की गर्म होती है। करीब 15 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंचने वाले कपासीवर्षी बादल एक शक्तिशाली क्षेत्र के अंदर वर्षा की बूंदों को ऊपर उठाते हुए बड़ी-बड़ी बूंदों का निर्माण करते हैं।देहरादून के निकट बादल फटने की घटना का छायाचित्र (फोटोः संदीप गज्जर)देहरादून के निकट बादल फटने की घटना का छायाचित्र (फोटोः संदीप गज्जर) इस क्षेत्र में विक्षुब्ध पवनों के चलने से सूक्ष्म वर्षा-बूंदें अनोखे बल से अशांत हो जाती हैं। यदि ऊपरी हवा का प्रवाह अचानक थम जाए तब पानी की सारी मात्रा सम्मिलित होकर एक छोटे से क्षेत्र में तेज बारिश के रूप में बरस पड़ती है। बादलों का फटना कागज के एक गीले बेग के फटने जैसा दिखाई देता है। बादल फटने की घटना के दौरान कुछ ही मिनटों में 20 मिलीमीटर से अधिक बारिश हो सकती है।

छोटे से क्षेत्र में वर्षा की बड़ी-बड़ी बूंदों के तीव्र गति से गिरने के कारण पानी प्रचण्ड धारा के रूप में बरसता है। मूसलाधार बारिश के वेग और मात्रा के अनुसार वनस्पतियों, छोटे जीव-जंतुओं और संपत्ति को नुकसान होता है। जब धरती पर एकत्रित होने वाले पानी की मात्रा, भूमि के पानी को अवशोषित करने की दर से अधिक हो जाती है तब पानी का बहाव बाढ़ का कारण बनता है। नदी के निचले इलाकों में बसे गांव बाढ़ में बह जाते हैं।

टॉरनेडो


टॉरनेडो मौसम के विनाशकारी रूपों में से एक है जो प्रायः अचानक आता है और अपने पीछे विनाश की कहानी छोड़ जाता है। टॉरनेडो शब्द की उत्पत्ति स्पेनिश भाषा के ‘त्रोनाटा’ शब्द से हुई है।टॉरनेडो तड़ित झंझा से भूमि तक प्रचंड गति से घूमती हवा का स्तंभ होता है जिसके अंदर हवा 160 से 480 किलोमीटर प्रति घंटे के वेग से घूमती है, जो जान-माल को व्यापक नुकसान पहुंचा सकती है।टॉरनेडो तड़ित झंझा से भूमि तक प्रचंड गति से घूमती हवा का स्तंभ होता है जिसके अंदर हवा 160 से 480 किलोमीटर प्रति घंटे के वेग से घूमती है, जो जान-माल को व्यापक नुकसान पहुंचा सकती है। त्रोनाटा शब्द का स्पेनिश भाषा में अर्थ तड़ित झंझा होता है। टॉरनेडो 160 से लेकर 480 किलोमीटर प्रति घंटे की गतिवाली हवाओं का विद्युत झंझा से लेकर भूमि तक तीव्र घूमता स्तंभ होता है। अधिकतर टॉरनेडो भूमि के समीप स्थित छोटे बादल से धरती तक पतली सी धारा या कीप जैसे दिखाई देते हैं। फिर भी अनेक आकार और आकृति वाले टॉरनेडो देखे जा सकते हैं। टॉरनेडो भूमि पर 30 से 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से करीब तीस मिनट तक बना रह सकता है। इसके कारण भारी तबाही हो सकती है। सामान्यतः अधिकतर टॉरनेडो की चौड़ाई एक फुटबाल के मैदान से अधिक नहीं होती लेकिन कुछ असामान्य परिस्थितियों में इसकी चौड़ाई एक किलोमीटर से अधिक भी हो सकती है।

हममें से कुछ लोगों ने सन् 1996 में प्रदर्शित ‘ट्विस्टर’ फिल्म देखी होगी। ‘ट्विस्टर’ ने टॉरनेडो के विध्वंसक रूप और उसके द्वारा होने वाले नुकसान का एक अनुमान प्रस्तुत किया था। टॉरनेडो प्रकृति के मुख्य विध्वंसक तूफानों में से एक है जो ऊंची इमारतों को धराशायी करने के साथ पेड़ों को जड़ समेत उखाड़ देता है और वाहनों को सैकड़ों मीटर दूर तक उछाल सकता है। टॉरनेडो चकित करने वाले काम भी करता है, कभी-कभार वह जानवरों को अपने साथ उड़ा कर कुछ दूर ले जाकर या किसी पेड़ पर सुरक्षित गिरा सकता है।

टॉरनेडो की घटना दिन के किसी भी समय घटित हो सकती है लेकिन मजेदार बात यह है कि टॉरनेडो अधिकतर दोपहर और शाम को ही आता है। दिन की गर्मी से गर्म हवा ‘टॉरनिक विद्युत झंझा’ शक्तिशाली होकर टॉरनेडो की उत्पत्ति का कारण बनती हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के रॉकी पर्वत के पश्चिम से लेकर मैक्सिको की खाड़ी के दक्षिण के बीच का ‘टॉरनेडो अली’ कहलाने वाला क्षेत्र अक्सर आने वाले तीव्र और विध्वंसक टॉरनेडो का साक्षी रहा है।

अमेरिका में टॉरनेडो की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। यहां एक वर्ष के दौरान टॉरनेडो की 1,400 घटनाएं तक रिकार्ड की गई हैं। लेकिन टॉरनेडो की घटनाएं अन्य देशों में भी घटित होती हैं। भारत में कभी-कभी टॉरनेडो की घटनाएं उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में घटित होती हैं। सन् 1978 में उड़ीसा में आए टॉरनेडो से 150 लोग मारे गए थे, जबकि 1998 में पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के 20 तटीय गांवों से गुजरे टॉरनेडो ने 160 लोगों की जान ली थी और इस घटना में 2000 व्यक्ति घायल हो गए थे। इस टॉरनेडो ने 15,000 घरों को उजाड़ दिया था जिससे 10,000 लोग बेघर हो गए थे। सन् 1978 में नई दिल्ली में विश्वविद्यालय के समीप से गुजरे पांच किलोमीटर लंबे और 50 मीटर चौड़े टॉरनेडो ने 28 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था और इस दौरान 700 लोग घायल भी हुए थे।

सौभाग्य से मौसम पूर्वानुमान की तकनीकों से अब यह संभव हो पाया है कि खराब मौसम की सूचना मिलने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा सकता है। जिससे अधिकतर घटनाओं में जान-माल की हानि कम होती है, किंतु प्रकृति के विध्वंसक कार्यों के आगे मानवता निस्सहाय है।

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