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अमरीका

अमरीका पश्चिमी गोलार्ध अथवा 'नई दुनिया' का भूभाग जो साधारणतया इसी नाम से सुविख्यात है। प्रस्तुत भूभाग का नामकरण अमेरिगो वेस्पूसिओ नामक नाविक की स्मृति में मार्टिन वालडसेग्यीलर नामक भूगोलवेत्ता ने किया था। अमेरिगो ने 1499 ई. में लिखी अपनी पुस्तक में इस देश को नई दुनिया कहा था। 1507 ई. के एक मानचित्र में अमरीका नाम उस भूभाग के लिए प्रयुक्त हुआ जिसे आज दक्षिणी अमरीका कहते हैं। संपूर्ण भूभाग का पता लगने पर धीरे-धीरे यही नाम सारे अमरीकी भूभाग के लिय प्रयुक्त होने लगा।

जेनोआ निवासी क्रिस्तोफर कोलंबस ने 12 अक्टूबर 1492 ई. को अमरीका का पता लगाया। सर्वप्रथम वह पश्चिमी द्वीपसमूह के आधुनिक बाहामा द्वीपों में से वैटलिंग द्वीप पहुँचा। कोलंबस का विश्वास था कि वह मार्को पोलो द्वारा वर्णित एशिया के पूर्वी छोर पर पहुँच गया है और तदनुसार इन द्वीपों को उसने 'इंडीज' कहा। इनका ला इंडियाज नाम स्पेन में बहुत समय तक खूब प्रचलित था। कोलंबस ने 1492 ई. से लेकर 1504 ई. तक अपनी तीन यात्राओं में लगभग संपूर्ण पश्चिमी द्वीपसमूह का भ्रमण किया और ओरीनिको नदी के मुहाने तक पहुँचा था। विश्वास है कि इंग्लैंड की सहायता से जॉन कैबट नामक दूसरा जेनोआ निवासी न्यूफाउंडलैंड तथा समीपवर्ती महाद्वीपीय भाग पर भी 1497 ई. के लगभग पहुँचा। 1500-1503 ई. के मध्य कोर्टेरियल नामक पुर्तगीज़ परिवार ने उत्तरी अमरीका के पूर्वी समुद्रतट की यात्रा की। तदनंतर विभिन्न लोगों ने इस भूभाग के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। 1509 ई. तक महाद्वीपीय क्षेत्र पर स्पैनिश बस्तियों का प्रारंभ हो गया था। नवंबर, 1520 ई. के लगभग फर्डिनैंड मैगलेन ने दक्षिणी अमरीका के दक्षिण होते हुए प्रशांत महासागर को पार किया। इस प्रकार एशिया से सर्वथा अलग विशाल महाद्वीपीय अमरीकी भूभाग की संस्थिति और दोनों महाद्वीपों के मध्य स्थिति प्रशांत महासागर का पता सारे संसार को लग गया। सर्वप्रथम स्पेनी एवं पुर्तगाली और तदनंतर फ्रांसीसी, अँगरेज, डच आदि जातियों ने महाद्वीप के विभिन्न भागों में बसना प्रारंभ किया और इस प्रकार औपनिवेशिक संघर्षो का क्रम बहुत समय तक चलता रहा। इनके अतिरिक्त यूरोप महाद्वीप के विभिन्न देशों के निवासी यहाँ आने लगे और इस प्रकार जनसंख्या बढ़ती गई।

अमरीकी भूभाग दो महाद्वीपों में बँटा है-एक उत्तरी अमरीका (उसे देखें) जो दक्षिण में पनामा तक फैला है और जिसमें तथाकथित मध्य अमरीका का भूभाग भी सम्मिलित है और दूसरा दक्षिणी अमरीका (उसे देखें) जो पनामा के दक्षिण से हार्न अंतरीप तक विस्तृत है। इस प्रकार संपूर्ण अमरीकी भूभाग की उत्तर दक्षिण लंबाई पृथ्वी पर सर्वाधिक है। इसकी आकृति पृथ्वी के चतुरनीकीय विरूपण (टेट्राहेड्रल डिफ़ॉर्मेशन) का प्रतिफल मानी जाती है। यह उत्तर में अत्यधिक चोड़ा एवं दक्षिण में शीर्षबिंदु की तरह नुकीला है।

न केवल आकृति प्रत्युत भूतात्विक विकास एवं संरचना में भी दोनों अमरीकी महाद्वीपों में साम्य है। दोनों महाद्वीपों के उत्तरपूर्व में प्राचीनतम भूतात्विक आधर (लारेंशिया एवं गायना के पठार) हैं, दोनों में ही इन पठारों के दक्षिण पर्वतीय ऊँचाइयाँ (अपलेशियन एवं ब्राज़ील) स्थित हैं जिनमें मणिभीय (रवेदार) चट्टानें समुद्र की और तथा कैंब्रियनपूर्व शिलाएँ महाद्वीपों के अंदर की ओर फैली हैं। दोनों भागों की आधुनिक ऊँचाइयाँ नवयुगीन भूउत्थानों का प्रतिफल हैं। दोनों महाद्वीपों के पश्चिम में उत्तर से दक्षिण नवनिर्मित विषम पर्वतश्रेणियाँ स्थित हैं। इन पर्वतों एवं पठारों के बीच बीच विभिन्न प्रवाह-प्रणालियाँ (सेंट लॉरेंस, अमेज़न, मैकेंज़ी, ओरीनिको, मिसीसिपी, लाप्लाटा आदि) विकसित हैं। परंतु दोनों महाद्वीपों में स्थिति, जलवायु, वनस्पति, जीवजंतु, रहन सहन में प्रचुर अंतर भी है।

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