Sarvesh pratap singh
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अन्नदाता को सबल बनाने की पुरजोर कोशिश

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सर्वेश प्रताप सिंह से अनिल सिंदूर द्वारा की गई बातचीत पर आधारित लेख।

मैंने अपने अन्नदाता को सबल बनाने की कोशिश को कदम बढ़ाया है अगर हमारी कोशिश रंग लाई तो मैंने जो सपना देखा है वह पूरा होगा। यह बात एक औपचारिक भेंट वार्ता के दौरान “सबल अन्नदाता” के प्रमुख, राजा भदेख के वंशज और राजा रघुनाथ सिंह के पुत्र सर्वेश प्रताप सिंह ने कही। उन्होंने बताया कि किसानों को सशक्त बनाने को जरूरत है परम्परागत खेती से इतर सोचना। बदले हुए मौसम के अनुरूप खेती करना।

एक सवाल के जबाब में उन्होंने कहा कि हमने जो सोचा है उसे पूरा करने को तमाम चरणों में काम करना होगा। किसानों को खेती कि पद्धति बदलनी होगी। भूमि की मिट्टी को उर्वरा बनाने के प्रयास करने हैं जिससे अपनी मेहनत का सही मूल्य किसान को मिल सके।

सरकार की उन योजनाओं का लाभ हम किसानों को दिलाने कि कोशिश करेंगे जो उन्नत खेती को जरूरी होगा। जैसे मृदा परीक्षण। मेरी पूरी कोशिश है कि किसानों को सरकार का मुँह न देखना पड़े।

उन्होंने बताया कि किसानों को जैविक खेती करने की पहल को गाँव में ही जैविक खाद बनाने के लिये हमने पहल शुरू की है जल्द ही उसे मूर्तरूप दिया जाएगा। जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया जैसे ही प्रारम्भ होगी गाँव के पशुओं का निकलने वाला गोबर काम में आएगा।

मौसम को देखते हुए जरूरी है कि कम पानी वाली फसलों को बोया जाए। जिससे कई फसलों को किया जा सके। जैविक खेती से जहाँ पैदाबार तो बढ़ेगी ही साथ ही लागत भी कम आएगी।

एक सवाल के जबाब में उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि किसानों की सोच बदले वह किसी पर आश्रित न हो। गाँव में शिक्षा का नया प्रयोग करना चाहता हूँ हमारा प्रयास है स्कूल की उलझनों को सुलझाने का।

एकीकृत खेती पर भी हमारा जोर होगा जिससे छोटे किसानों को प्रतिदिन आने वाले खर्चों से निजात मिल सके। मैं गाँव को एक मॉडल का रूप देना चाहता हूँ जिससे दूर-दूर से आने वाले किसान सबक लेकर जाएँ।

गाँव को स्वच्छ बनाने के प्रयास गाँव के ही लोगों की सहभागिता से करना है जिससे वो अपनी जिम्मेदारी स्वयं समझें और गाँव में गन्दगी न करें और न होने दें। गाँव में पीने का पानी स्वच्छ मिले, स्वास्थ्य के प्रति गाँववासी सजग हों हम इस पर भी पूरा जोर देंगे।

हम चाहते हैं कि किसान सरकारों कि तरफ देखना बन्द करें और ये तभी सम्भव है जब किसान समृद्ध होगा। युवाओं को अपनी ऊर्जा गाँव कि उन्नति में ही खर्च करनी है यह दिशा देने का काम भी हम करेंगे।

लोग मेरे कार्य को सम्पादित होना देखना चाहते हैं इसके लिये पर्याप्त मात्रा में धन भी देना चाहते हैं लेकिन मैं किसी से भी नगद धनराशि नहीं लेना चाहता।
 

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