WATERWIKI
अनुपात का सिद्धांत और दानवाकार प्राणी

अनुपात का सिद्धांत और दानवाकार प्राणी: परग्रही जीवन श्रंखला भाग 7


हॉलीवुड की फिल्मो में कुछ जीवो को विशालकाय दिखाया जाता है जैसे किंग कांग या गोड्जीला। इसी तरह परग्रही जीवो को भी कभी कभी विशालकाय मान लीया जाता है। लेकिन किसी भी जीव के आकार की एक सीमा होती है, वह उससे ज्यादा विशाल नहीं हो सकता। यदि किंग कांग सचमुच में होता तब वह न्युयार्क को आतंकित नहीं कर पाता। इसके विपरित उसके पहले कदम के साथ ही उसकी टांगे टूट जाती।

यदि आप किसी वानर को दस गुणा बड़ा करेंगे तो उसका भार हजार गुणा बढ़ जायेगा। दस गुणा बड़ा करने के लिये लम्बाई,चौड़ाई और ऊंचाई तीनो में 10 गुणा बढोतरी होगी जिससे आयतन भी 10x10x10 =1000 गुणा बढेगा और आयतन के साथ भार भी 1000 गुणा बढ़ेगा ! किसी भी प्राणी की मजबूती उसकी हड्डीयो और मांसपेशीयो की मोटाई पर निर्भर करती है। हड्डी और मांसपेशियों की चौड़ाई सिर्फ 10x10=100 गुणा ही बढे़गी। दूसरे शब्दो में किंग कांग के वानर से 10 गुणा बढे होने पर उसकी मजबूती 100 गुणा बढेगी लेकिन भार में 1000 गुणा बढोतरी होगी। आकार बढ़ाने पर वानर का भार उसकी मजबूती की तुलना में ज्यादा तेजी से बढता है। इस तरह वह एक साधारण वानर की तुलना में 10 गुणा कमजोर होगा इसलिये उसकी टांगे उसके भार को सहन नहीं कर सकेंगी और पहला कदम रखते साथ ही टूट जायेंगी।

प्राथमिक पाठशाला में हम पढते है कि एक चिंटी अपने आकार की तुलना में 50 गुणा भार उठा लेती है। इसका अर्थ यह नहीं की उसका आकार किसी मकान के आकार का कर देने पर वह उस मकान का भार उठा पायेगी। किंग कांग के उदाहरण के जैसे ही मकान के आकार की चिंटी की टांगे टूट जायेंगी। यदि आप किसी चिंटी को 1000 गुणा बड़ा कर दे वह साधारण चिंटी से 1000 गुणा कमजोर हो जायेगी। [दानवाकार चिंटी दम घूटने से मर जायेगी। चिंटी अपने शरीर के बाजू के छिद्रो से सांस लेती है। इन छिद्रो का क्षेत्रफल त्रिज्या के वर्ग के अनुपात में बढेगा जबकि चिंटी का आयतन त्रिज्या के घनफल के अनुपात में बढे़गा। और इस तरह एक 1000 गुणा बड़ी चिंटी में उसके शरीर और शरीर की पेशीयो में ऑक्सीजन की पूर्ती के लिये 1000 गुणा कम वायु होगी।] ध्यान दें कि स्केटिंग और जिम्नास्टीक के चैंपियन खिलाड़ी औसत से छोटे होते है, उनके आकार का अनुपात किसी अन्य सामान्य जन के जैसा ही होता है। इस कारण उनमें मांसपेशीयो की क्षमता किसी अन्य उंचे व्यक्ति की तुलना में ज्यादा होती है।

अनुपात के सिद्धांत के अनुसार हम पृथ्वी पर किसी प्राणी के आकार की गणना कर सकते है और संभवतः अंतरिक्ष के परग्रही के आकार की भी। किसी प्राणी द्वारा उत्सर्जित गर्मी उस प्राणी के शरीर के सतह के अनुपात में बढ़ती है। इस कारण आकार 10 गुणा बढा़ने पर उष्णता का क्षय 10x10=100 गुणा ज्यादा होता है। लेकिन शरीर में उष्णता की मात्रा आयतन के अनुपात में होती है अर्थात 10x10x10=1000। बड़े प्राणी छोटे प्राणी की तुलना में ज्यादा धीमी गति से उष्णता क्षय करते है क्योंकि बड़े प्राणीयों की सतह के क्षेत्रफल तथा आयतन का अनुपात छोटे प्राणी की तुलना में कम होता है। शीत ऋतु में हमारे कान और उंगलीया पहले ठंडी होती है क्योंकि उनकी सतह का क्षेत्र ज्यादा होता है। छोटे व्यक्ति बड़े व्यक्ति की तुलना में जल्दी ठंडे होते है। समाचार पत्र अपने अधिक सतह क्षेत्र के कारण तेजी से जलता है जबकि लकड़ी का लठ्ठ कम सतह क्षेत्र के कारण धीरे जलता है। आर्कटिक की व्हेल गोलाकार होती है क्योंकि किसी गोले की सतह का क्षेत्रफल प्रति इकाई द्रव्यमान से न्युनतम होता है।

डिज्नी की फिल्म “हनी, आई श्रंक द किड्स” में एक परिवार चिंटीयो के आकार में छोटा हो जाता है। एक बरसाती तूफान के आने पर सूक्ष्म संसार में हम फुहार की छोटी बुंदो को डबरो में गीरते देखते है। सच्चाई में फुहार की बुंदे चिंटी के लिये छोटी बुंद न होकर एक विशाल पानी का अर्धगोलाकार टीला होगा। हमारी दूनिया में पानी का अर्धगोलाकार टीला अस्थायी होता है और गुरुत्वाकर्षण से घराशायी हो जाता है। लेकिन सूक्ष्म संसार में सतह का तनाव ज्यादा होता है इस लिये पानी का अर्धगोलाकार टीला स्थायी होता है ।

इसी प्रकार हम बाह्य अंतरिक्ष में मोटे तौर पर भौतिकी के नियमो के अनुसार परग्रही प्राणीयो की सतह और आयतन के अनुपात की गणना कर सकते है। इन सिद्धांतो से हम यह कह सकते है कि बाह्य अंतरिक्ष में प्राणी वैज्ञानिक गल्पो की तरह दानवाकार नहीं होंगे। वे आकार में पृथ्वी के प्राणीयो के जैसे ही होंगे। हालांकि व्हेल जल की प्लवनशीलता के कारण आकार में इतनी बड़ी हो सकती है लेकिन वह उथले पानी में या किनारे पर आने अपने ही आकार से दबकर मर भी जाती है। वर्तमान में सबसे बड़ा स्थलिय प्राणी अफ्रिकन हाथी है जो 3.96 मीटर ऊंचा होता है। सबसे बड़ा ज्ञात डायनासोर सौरोपोडा था जो कि 12 मीटर तक ऊंचा और 25 मीटर तक लंबा हो सकता था।

अनुपात का सिद्धांत यह भी बताता है कि जैसे-जैसे हम सूक्ष्म संसार में और गहरे जाते है भौतिकी के नियम बदलते जाते है। क्वांटम सिद्धांत इतना विचित्र है कि वह ब्रह्माण्ड के व्यावहारिक बुद्धि के नियमो का पालन नहीं करता है। अनुपात के सिद्धांत के अनुसार विज्ञान गल्प का एक विश्व के अंदर दूसरे विश्व का सिद्धांत अमान्य है, जिसमें एक परमाणु के अंदर पूरा ब्रम्हाण्ड हो सकता है या हमारी आकाशगंगा किसी दूसरी बड़ी आकाशगंगा का एक परमाणु मात्र हो सकती है। ’मैन इन ब्लैक’ के अंतिम दृश्य में कैमरा पृथ्वी से दूर होते हुये, ग्रहो को पिछे छोड़ते हुये , तारो, आकाशगंगाओ, ब्रह्माण्ड को पिछे छोड़ते जाता है, अंत में सारा ब्रह्मांड दानवाकार परग्रहीयों के खेल में एक छोटी सी गेंद के रूप में नजर आता है। ’मैन इन ब्लैक’ के एक अन्य दृश्य में एक पूरी आकाशगंगा बिल्ली के गले में बंधी रहती है।

यथार्थ में तारो की आकाशगंगा का एक परमाणु की संरचना से कोई संबंध नहीं है; परमाणु के अंदर अपनी कक्षाओ में इलेक्ट्रॉन, किसी तारे की परिक्रमा करते ग्रहो से अलग है। हर ग्रह दूसरे ग्रह से आकार प्रकार में अलग होता है और अपने मातृ तारे से कीसी भी दूरी पर परिक्रमा कर सकता है। परमाणु में सभी परमाण्विक कण एक दूसरे के जैसे होते है। वे केन्द्र से एक निश्चित दूरी पर ही पर रह सकते है। इसके अलावा इलेक्ट्रान तरंग जैसा व्यवहार भी करते है। इलेक्ट्रान व्यावहारिक बुद्धि को समझ में ना आने वाला व्यवहार भी दर्शाता है जैसे इलेक्ट्रॉन एक समय पर दो जगह पर उपस्थिती दर्शाता है।

वैज्ञानिक सिद्धांतो के आधार पर यह कहा जा सकता है कि परग्रही प्राणी किसी भी सममिती के हो सकते है, उनमें बुद्धिमान जीवन के लिये आवश्यक गुणों का होना आवश्यक नहीं है। लेकिन उनका आकार में विशालकाय होना संभव नहीं है, उनका आकार पृथ्वी के प्राणियों के तुल्य ही होगा।

अन्य स्रोतों से:




गुगल मैप (Google Map):

बाहरी कड़ियाँ:
1 -
2 -
3 -

विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia):




संदर्भ:
http://vigyan.wordpress.com/