आपदा प्रबन्धन में रोजगार की सम्भावनाएँ (Employment in Disaster Management)

8 May 2015
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आपदाओं से किसी समाज की कार्यप्रणाली में गम्भीर व्यवधान आता है, जिससे मानव, सामग्री या पर्यावरण को व्यापक क्षति पहुँचती है, जो प्रभावित समाज की स्वयं के संसाधनों से निपटने की क्षमता से अधिक होती है। आपदाएँ आकस्मिक (भूकम्प/सुनामी) अथवा धीरे-धीरे आने वाली (जैसे सूखा) या प्राकृतिक अथवा मानवजन्य हो सकती हैं।

भारत में ऐसे क्षेत्र बड़ी संख्या में हैं, जहाँ प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बनी रहती है। हमारे पास राष्ट्रीय, राज्य, जिला और उपजिला स्तरों पर आपदा प्रबन्धन के लिए समेकित प्रशासनिक तन्त्र हैं। मौजूदा व्यवस्था के अन्तर्गत प्राकृतिक आपदाएँ आने की स्थिति में बचाव का दायित्व राज्य सरकारों का है। केन्द्र सरकार वितीय और सम्भारतन्त्रीय सहायता प्रदान करके राज्यों के प्रयासों में पूरक भूमिका निभाती है।

आपदा प्रबन्धन की व्यवस्था


गृह मन्त्रालय राहत, उत्तरदायित्व और समग्र प्राकृतिक आपदा प्रबन्धन में समन्वय के लिए केन्द्रीय मन्त्रालय है, जबकि सूखा प्रबन्धन के लिए केन्द्रीय मन्त्रालय का काम कृषि और सहकारिता विभाग करता है। अन्य श्रेणियों की आपदाओं के प्रबन्धन के लिए जिम्मेदार अन्य मन्त्रालयों में विमान दुर्घटनाओं के लिए नागर विमानन, रेल दुर्घटनाओं के लिए रेल मन्त्रालय, रासायनिक आपदाओं के लिए पर्यावरण और वन मन्त्रालय, जैविक आपदाओं के लिए स्वास्थ्य मन्त्रालय और परमाणु आपदाओं के प्रबन्धन के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग जिम्मेदार है।

प्रशिक्षण और शिक्षा


दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मन्त्रालय की महत्त्वपूर्ण गतिविधियों में से एक यह है कि दसवीं पंचवर्षीय येाजना में स्कूल और व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम में आपदा प्रबन्धन को एक विषय के रूप में शामिल करने की सिफारिश की गई है।

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने आठवीं कक्षा के लिए वर्ष 2003 में, नौंवीं कक्षा के लिए 2004 में और उसके बाद दसवीं के लिए सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत आपदा प्रबन्धन को एक विषय के रूप में शुरू किया। इस विषय का पाठ्यक्रम, विषयवस्तु आदि भारत सरकार के गृह मन्त्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की सहायता से तैयार किया गया है। आपदा प्रबन्धन में विभिन्न पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने वाले कुछ संस्थानों की सूची इस प्रकार है :

1. आपदा प्रबन्धन में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (सीडीएम)
2. आपदा प्रबन्धन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम (पीजीडीडीएम): इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, मैदान गढ़ी, नई दिल्ली-110068 (www.nbu.ac.in) और उतर बंगाल विश्वविद्यालय पीओ : नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी, जिला : दार्जिलिंग-734430 (www.nbu.ac.in)
3. आपदा प्रबन्धन में एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा : मद्रास विश्वविद्यालय का अन्तरराष्ट्रीय केन्द्र, मद्रास विश्वविद्यालय, चेपक, चेन्नई-600005 (www.unom.ac.inecom.html)
4. आपदा प्रबन्धन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा सिक्किम मणिपाल स्वास्थ्य, चिकित्सा और प्रौद्योगिकी विज्ञान विश्वविद्यालय, तादोंग, गंगटोक, सिक्किम (www.sikkimmanipal.net.in) द्वारा भारतीय पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण संस्थान (ए-15 पर्यावरण कॉम्प्लेक्स, साकेत, मैदान गढ़ी मार्ग, नई दिल्ली-110030) (www.ecology.edu/iieecourses.htm) के सहयोग से आपदा प्रबन्धन में एमएससी।

विशेष प्रशिक्षण


मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित आपदा प्रबन्धन संस्थान (डीएमआई), ई-5, पर्यावरण परिसर, अरेरा कॉलोनी, भोपाल-462016 (www.dmibpl.org) कार्यकारी प्रबन्धकों और सरकारी अधिकारियों के लिए प्राकृतिक आपदाओं के प्रबन्धन से सम्बन्धित प्रशिक्षण का आयोजन करता है। आपदा प्रबन्धन संस्थान (सीडीएम) (www.yashada.org/centre/adm.htm) की स्थापना अगस्त 1996 में की गई। इसकी स्थापना भारत सरकार के कृषि मन्त्रालय के अन्तर्गत कृषि और सहकारिता विभाग के राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्रभाग के सहयोग से की गई थी। यह संस्थान महाराष्ट्र सरकार के प्रथम श्रेणी के अध्किारियों, चुने हुए प्रतिनिधियों/गैर-सरकारी अधिकारियों और स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों और आपदा प्रबन्धन के विभिन्न पहलुओं के बारे में कार्यशालाओं का आयोजन करता है।

राष्ट्रीय सिविल डिफेंस कॉलेज, नागपुर (http://ncdcnagpur.nic.in/faculty.htm) की स्थापना 29 अप्रैल, 1957 को की गई थी। इस कॉलेज को पर्यावरण और वन मन्त्रालय द्वारा रासायनिक आपदाओं में प्रमुख प्रशिक्षण प्रतिष्ठान के रूप में मान्यता प्रदान की गई है और अमेरिका की फेडरल डिजास्टर एजेंसी (ओएफडीए) और एशियाई आपदा तैयारी केन्द्र (एडीपीसी) बैंकाक द्वारा इसे खोज एवं बचाव के बारे में मान्यता दी गई है। इस कॉलेज को वर्ष 2002 में गृह मन्त्रालय ने परमाणु जैविक और रासायनिक दुर्घटनाओं के प्रबन्धन में प्रशिक्षण के लिए नोडल प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में मान्यता प्रदान की। संयुक्त राष्ट्र आपदा प्रबन्धन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (डीएमटीपी) (http://www.undmtp.org/about.htm) की शुरुआत 1990 में यूएनडीपी और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के सहयोग से की गई। डीएमटीपी एक प्रशिक्षण मंच है जो संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और अन्तरराष्ट्रीय तथा गैर-सरकारी संगठनों के लिए आपातकालीन स्थितियों और आपदाओं में प्रशिक्षण की व्यवस्था करता है।

डिजास्टर मैनेजमेण्ट सेण्टर, 32 नॉर्थ लेक स्ट्रीट, मेडिसन, विस्कोन्सिन, 53706, अमेरिका (http://dmc.engr.wisc.edu/courses/index.html) अन्तरराष्ट्रीय आपदा/आपात स्थिति प्रबन्धन में अंग्रेजी माध्यम से स्वाध्याय पाठ्यक्रम उपलब्ध कराता है।

आपदा प्रबन्धन विशेषज्ञता का महत्त्व


आपदा आने की स्थिति में प्रबन्धन कार्मिक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होते हैं। उन्हें आपातकालीन स्थितियों के प्रबन्धन और प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की जरूरतें शीघ्र और कारगर ढंग से पूरी करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। उन्हें खतरे में पड़े किसी कस्बे के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने, बाढ़ से घिरे लोगों के लिए भोजन वितरित करने, घायल व्यक्तियों की चिकित्सा, देखभाल पर निगरानी रखने जैसे कार्य सौंपे जा सकते हैं। उनकी आवश्यकता चक्रवात, आतंकवादी हमलों और रासायनिक रिसावों सहित बड़ी और छोटी आपदाओं में पड़ती है।

रोजगार के अवसर


आपदा प्रबन्धन में रोजगार की सम्भावनाएँ आमतौर पर सरकारी नौकरियों, आपातकालीन सेवाओं, कानून लागू करने वाली संस्थाओं, स्थानीय प्राधिकरणों, राहत एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र जैसी अन्तरराष्ट्रीय एजेंसियों में उपलब्ध है। निजी कम्पनियों को भी अपने निगमित सामाजिक दायित्वों को पूरा करने के लिए आपदा प्रबन्धन व्यावसायियों की आवश्यकता पड़ती है। आपदा प्रबन्धन के बारे में प्रशिक्षण और कार्यशालाएँ प्रशासनिक/सिविल कर्मचारियों, सिविल इंजीनियरों, पुलिस और रक्षा कार्मिकों, आग बुझाने वालों और अन्य रक्षक सेवाओं के कार्मिकों के लिए लाभकारी होती हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रणाली अथवा नेटवर्क प्रबन्धकों, डेटाबेस एनालिस्ट या प्रशासक, सुरक्षा प्रशासन या ऑपरेशन एनालिस्ट के रूप में किसी संगठन के आपदा राहत आयोजना और प्रबन्धन जैसे क्षेत्रों में रोजगार प्रदान किया जाता है। सामाजिक कार्यकर्ताओं, इंजीनियरों, चिकित्सा स्वास्थ्य विशेषज्ञों, पर्यावरण विशेषज्ञों, पुनर्वास कार्यकर्ताओं, वैज्ञानिकों आदि के लिए भी आपदा प्रबन्धन, आपदा प्रशमन और पुनर्वास में रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं।

(लेखिका रोजगार परामर्शदात्री हैं)

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