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अपने दम पर हरियाली की कोशिश

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यहाँ एक टापू पर पूर्व में जिन पौधों को लगाया गया था, आज वे पेड़ के रूप में तब्दील होकर लोगों को छाँव के साथ फल और फूल दे रहे हैं। राहगीर इन पेड़ों के नीचे रुककर अपनी थकान उतारते हैं। कड़ौदकलाँ में बस स्टैंड के समीप मेला मैदान जो की तालाब के अन्दर बना हुआ है। वहाँ बारिश के दिनों में पानी भरा रहता है।

तालाब में एक टापू है जो हमेशा विरान रहता था। गाँव के पर्यावरण प्रेमी भेरूलाल घाकड़ (भगतजी) ने आठ-दस वर्ष पूर्व यहाँ पौधारोपण का संकल्प लिया था। गर्मी, बारिश और जाड़े के मौसम में इन पौधों को सहेजा और उन्हें सुरक्षित रखा। वे पौधे वर्तमान में पेड़ की शक्ल में खड़े हैं। गर्मी के दिनों में इन पेड़ों के नीचे लोग विश्राम कर सुकून महसूस करते हैं।

भेरूलाल ने बताया कि यहाँ सिर्फ छायादार पौधे ही लगाए गए थे। इसमें नीम, पीपल, बरगद आदि छायादार पौधे लगाए थे, ताकि लोगों को छाँव मुहैया हो सके। लोग फलों के लिये इनका दुरुपयोग नहीं करें। ज्यादातर पौधे नीम के हैं। क्योंकि नीम स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक होता है। इस तरह के काम से और भी लोग प्रेरणा ले रहे हैं।

माना जा रहा है कि कड़ौदकलाँ क्षेत्र में पानी को लेकर जो जागरुकता आई है वह जिले के लिये उदाहरण बन सकती है। कड़ौदकलाँ वह गाँव है जहाँ पर खेत तालाब बनाने की मुहिम उस समय शुरू हुई थी जब सरकार ने भी इस योजना के बारे में कल्पना नहीं की थी। पानी के मामले में विशेषज्ञ राजेंद्र सिंह भी यहाँ आ चुके हैं। यहाँ के लोगों के प्रयासों को देखकर उन्होंने सराहना की थी।
 

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