अस्तित्व की लड़ाई


नई किताब मोनार्क बटरफ्लाई और मिल्कवीड के बीच असामान्य पारिस्थितिक सम्बन्ध को उजागर करती है…

मोनार्क और मिल्कवीडमोनार्क और मिल्कवीडपुस्तक की पहली पंक्ति मोनार्क (एक तितली) का वर्णन एक सुन्दर और साहसी प्रवासकर्ता के रूप करती है। इस विवरण के मुताबिक, मोनार्क तितली चमकीले नारंगी और काले रंग की होती है। ये शानदार मुसाफिर होती है। हर साल शरद ऋतु में यह अमेरिका से मैक्सिको और कनाडा के मैदान तक पहुँचने के लिये 5000 किमी तक की दूरी तय करती है। चार महीने के आराम के बाद, वह वसंत में वापस अमेरिका आ जाती है। मोनार्क तितली की ये शानदार यात्रा निःसन्देह दिलचस्प है, लेकिन इससे भी अधिक शानदार इसका मिल्कवीड (एक किस्म का पौधा) के साथ जटिल सम्बन्ध है, जो 10 लाख वर्ष से भी पुराना है।

यह सम्बन्ध तब से शुरू होता है, जब मोनार्क तितली का कीड़ा पहली बार मिल्कवीड के पत्ते को काटता है, जो इसके भोजन का एकमात्र स्रोत होता है। एक रक्षा तंत्र के रूप में, मिल्कवीड से एक विषैला और चिपचिपा दूध जैसा द्रव्य निकलता है। यह द्रव्य इनमें से ज्यादातार कैटरपिलर को मार देता है। यह पहली बार कैटरपिलर इसके पत्ते को खाते हैं, तभी 60 प्रतिशत से अधिक कैटरपिलर मर जाते हैं। इस तरह, यह शोषण और बचाव की एक कहानी है, जो एक सह-विकासवादी यात्रा की तरफ बढ़ रहा है। यह एकतरफा और गैर-सहजीवी सम्बन्धों की भी कहानी है।

मिल्कवीड को मोनार्क की जरूरत नहीं है, क्योंकि मोनार्क का परागण अच्छा नहीं है। लेकिन तितली के लिये मिल्कवीड उसके जीवन का एकमात्र स्रोत है। चूँकि, मोनार्क मिल्कवीड के बिना जीवित नहीं रह सकते इसलिये सालों में इन तितलियों ने मिल्कवीड की विषाक्तता को बर्दाश्त करने और जल्दी मौत से खुद को सुरक्षित रखना सीख लिया है। इस रोमांचक लड़ाई में मिल्कवीड पौधा अपने विविध रक्षात्मक तंत्र के बावजूद जीत नहीं सका है।

विषाक्त पदार्थ जो बेबी मोनार्क द्वारा पहली बार पत्ता काटने के दौरान निकलता है, उसी तरह है जैसे एक बच्चा ऐसे लेटिस पत्ता (सलाद) खाने की कोशिश करता है, जो काँटेदार हो और जिसकी ड्रेसिंग विषैले गोंद से की गई हो। इस विकासवादी युद्ध में कोई भी हारता नहीं है। मोनार्क तितली इस चिपचिपे लेटेक्स से बचना सीख चुकी है। ऐसी ही एक अनुकूलन प्रक्रिया है, जिसे सर्कल ट्रेंच (वृत्ताकार गड्ढा) कहते हैं। यहाँ कैटरपिलर एक द्वीप को खाने के लिये तैयार करता है और पत्ते को हानि पहुँचाता है। मोनार्क का प्रवास और संसर्ग की आदत सबसे दिलचस्प घटना है।

लेखक ने तितली के जीवन चक्र की इन दो असाधारण घटनाओं का वर्णन करने के लिये एक पूरा अध्याय समर्पित किया है। हजारों किलोमीटर की यात्रा करके मोनार्क तितली मैक्सिको पहुँचती है और यहाँ के शान्त पर्वत में फैले पेड़ों पर प्रवास करती है। उत्तर की ओर बढ़ने से पहले, दो चरणों में ये तितली, हवा और जमीन पर, जोड़ा बनाती है। इसके बारे में भी किताब में वर्णन किया गया है। नर मोनार्क अक्सर ताकत का इस्तेमाल करते हुए मादा तितली पर कब्जा जमाता है। इस प्रक्रिया में, मादा तितली के पैर कुचल जाते हैं और उसके पंख भी कई बार टूट जाते हैं।

प्रेमालाप के दौरान, नर तितली मादा तितली का हवा में पीछा करता है। मादा तितली बचने की कोशिश करती है। लेकिन, अगर नर तितली मादा तितली को पकड़ पाने में सफल रहता है तो ये दोनों जमीन पर आ जाते हैं, जिसे “पाउंस एंड टेक डाउन” (शिकार का एक तरीका) कहते हैं। नर तितली बहुत जिद्दी होते हैं। नर तितली इस तरह के प्रयासों में केवल 10 से 30 प्रतिशत तक ही मादा तितली को सफलतापूर्वक नीचे ला पाते हैं।

इसके बाद दोनों सक्रिय रूप से साथ उड़ते हुए संसर्ग करते हैं। सम्भोग में ये एक बहुत महत्त्वपूर्ण चरण है, क्योंकि तितलियाँ कई घंटो तक एक साथ रहती है। गोधूलि के बाद ही शुक्राणु महिला की थैली में पूरी तरह स्रावित होते हैं। सवाल है कि ऐसा क्या है जिसकी वजह से सम्भोग के दौरान, नर तितली को इस तरह के बल प्रदर्शन के लिये प्रेरित करता है?

लेखक इसके सम्भावित उत्तर के लिये, मिनेसोटा विश्वविद्यालय के मोनार्क जीवविज्ञानी कैरन ओबेरहाउसर का सन्दर्भ देता है। ओबेरहाउसर मानते हैं कि अधिक ठंड के कारण पुरुष में प्रतिरोधक व्यवहार विकसित होता है। वसंत के दौरान अमेरिका लौटने के बाद, इसमें एक लम्बा डायपॉज (मौसम के कारण मादा तितली अम्ब्रॉय विकास में कमी) शामिल होता है।

इसके अलावा, कई नर तितली में वापसी की उड़ान के लिये ऊर्जा नहीं बचती है और इसलिये सम्भोग के दौरान बल प्रदर्शन उनके हित में होता है। जब मोनार्क अधिक ठंड के दौरान मिलते-जुलते होते हैं, तो इसे देखना शानदार होता है।

मैक्सिको के मोनार्क बटरफ्लाई बायोस्फीयर रिजर्व में पेड़ों से तितलियों को लटकता देखना अद्भुत होता है। प्रति वृक्ष पर 40 किलो से अधिक तितलियाँ होती है। लेकिन लेखक को इस बात का आश्चर्य होता है कि पेड़ों पर इतनी तितलियों के होने के बाद भी इस साइट को उतना सांस्कृतिक महत्त्व क्यों नहीं दिया गया। मोनार्क तितली को “द बॉबी ऑफ द इंसेक्ट वर्ल्ड” माना जाता है और यह सम्भवत: इस ग्रह की सबसे शानदार तितली है। 1976 में जब मैक्सिको में मोनार्क ओवरविटरिंग साइट की खोज हुई, तब नागरिक वैज्ञानिकों की सहायता से इन प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में महत्त्वपूर्ण काम हुए।

गिरावट के कारण


तितली की आबादी में गिरावट के लिये सबसे लोकप्रिय तर्क मिल्कवीड प्लांट की घटती संख्या है। 1990 के दशक में मैक्सिको में सर्दी के मौसम में लगभग 40 करोड़ तितलियाँ पहुँचती थीं, जबकि फरवरी 2016 में सिर्फ 20 करोड़ तितलियाँ देखी गईं। लेखक के अनुसार, मोनार्क द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले जंगलों में गिरावट आई है। हालांकि, मोनार्क तितली काफी लचीली होती है, तब भी पाँच ऐसे कारण है, जिसने लाखों तितलियों को मार दिया है। जलवायु परिवर्तन एक बड़ा सम्भावित कारण हो सकता है।

एक अन्य सिद्धान्त के मुताबिक, इसकी वजह मिल्कवीड पौधों का गायब होना भी एक कारण है। लेकिन लेखक इस बात को यह कहकर खारिज कर देता है कि मिल्कवीड पौधों की संख्या पर्याप्त है। 2014 की गर्मियों में, उन्होंने मिल्कवीड की तलाश में उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व और मध्य-पश्चिमी अमेरिका की यात्रा की। उन्हें पर्याप्त संख्या में मिल्कवीड प्लांट मिले, लेकिन मोनार्क तितली की संख्या कम ही मिली। इससे उन्हें यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि क्या मोनार्क की संख्या में कमी के अन्य कारण है। मोनार्क की संख्या में कमी के कई कारण गिनाए जाते हैं, जैसे जलवायु परिवर्तन, मौसम की गम्भीरता, पेड़ों की कटाई, कीटनाशक और यहाँ तक कि कार के साथ तितलियों के होने वाले टकराव। यह तो तय है कि मोनार्क तितली की संख्या निश्चित रूप से घट रही है, लेकिन जैसा कि लेखक कहते हैं, इसके सम्भावित कारणों का पता लगना अब भी बाकी है। यह एक बहस का विषय बना हुआ है।

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