अविरल यमुना, निर्मल यमुना के लिए डटे लोग

19 Apr 2011
0 mins read
जंतर-मंतर, दिल्ली। 14 अप्रैल से लगातार 74 लोगों का अनशन जारी है। सरकार के लोग बीच-बचाव करने की कोशिश में लगे हैं। चार दिन के बाद कई अनशनकारियों की तबीयत बिगड़ने लगी है। अविरल यमुना, निर्मल यमुना के लिए फिर भी पूरे संकल्प के साथ लोग डटे हुए हैं।

2 मार्च 2011 से इलाहाबाद में संगम तट से यमुना की उल्टी धारा में पैदल चलकर 14 अप्रैल से आंदोलनकारी जंतर-मंतर में डटे हैं। यहां साधु-संतों के अलावा आम लोग भी शिरकत कर रहे हैं। यमुना में हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़ने की मांग पर अड़े गरीब किसानों का दावा है कि वह जान दें देंगे, लेकिन अनशन नहीं तोड़ेंगे।

यमुना के जल से पिछले हजारों वर्षों से करोड़ों जीवों तथा वनस्पतियों को जीवन मिल रहा है। वर्तमान में इस पवित्र नदी में इतना मल-मूत्र व औद्योगिक कचरा डाला जा रहा है कि आज इसका जल पूर्ण रूप से विषाक्त हो चुका है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक पीने और नहाने के जल का मानक 5000 कोलीफॉर्म माना गया है। परंतु वर्तमान की स्थिति चौंकाने वाली है, 5000 कोलीफॉर्म की जगह 23 अरब कोलीफॉर्म प्रदूषण दिल्ली के यमुना जल में है। पुण्य नदी में बह रहे प्रदूषण से श्रद्धालु चिंतित और सरकारें बेपरवाह हैं।

हालांकि केन्द्र सरकार के राज्यमंत्री प्रदीप जैन के द्वारा जंतर-मंतर स्थित आंदोलन स्थल पर आकर आश्वासन देने का प्रयास किया गया। लेकिन अपनी मांगों पर दृढ़-प्रतिज्ञ भारतीय किसान यूनियन तथा यमुना-प्रेमी आंदोलनकर्ता तथा संत समाज किसी कोरे आश्वासन पर आंदोलन समाप्त करने वाला नहीं है।

आंदोलन से घबराई केन्द्र सरकार ने गृह मंत्री पी. चिदंबरम, वित मंत्री प्रणब मुखर्जी, जल संसाधन मंत्री सलमान खुर्शीद, ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप जैन तथा अन्य मंत्रियों के संयोजन में एक हाई पावर कमेटी गठित की है, समिति ने जल संसाधन मंत्रालय को निर्देशित किया कि यमुना में जल-छोड़ना है, इसके लिए आवश्यक वैधानिक कार्यवाही तत्काल की जाय। जल संसाधन सचिव के साथ आंदोलनकारियों का प्रतिनिधि मंडल जिसमें जयकृष्ण दास, स्वामी राधाजीवन पोद्दार, नीतेश दूबे, रवि गोगा का एक प्रतिनिधि मंडल मिला। और उन्हें बताया कि 1999 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईपावर कमेटी ने 10 क्यूबिक पानी छोड़े जाने का आदेश दिया था। अतः कम से कम इतना पानी तो तत्काल छोड़ देना चाहिए।

आंदोलन के संचालक भारतीय किसान यूनियन (भानू) के अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह और श्रीमान मंदिर सेवा संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष जय कृष्ण दास ने सरकार के इस रवैए को दुखद बताया है। उन्होंने बताया कि सोमवार (18 अप्रैल) को जल संसाधन मंत्री सलमान खुर्शीद के स्वयं धरना स्थल पर आकर यमुना के लिए हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़ने की घोषणा करने की मंत्रालय से जानकारी दी गई। लेकिन न तो मंत्री आए और ना ही पानी छोड़ा गया। इससे आजिज आकर 20 अप्रैल से मथुरा में रेलमार्ग जाम कर देने का भी ऐलान किया गया है।

यमुना बचाओ की गूंज सात समंदर पार भी


(साभार – अमर उजाला)
नई दिल्ली। यमुना बचाओ मुहिम को सात समंदर पार से भी समर्थन मिलना शुरू हो गया है। हजारों की तादाद में लोग न सिर्फ ई-मेल के जरिये इसके समर्थन में उतरे हैं, बल्कि विदेशों में लोग सेव यमुना (Save Yamuna) को लेकर गतिविधियां तेज कर चुके हैं।

अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड, कनाडा, यूरोपीय देश और यूएई में जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। अमेरिका के व्हाइट हाउस के सामने भी लोगों ने यमुना बचाव की पहल की गई तो इसी कड़ी में लगभग 130 देशों में यमुना को इंटरनेट से जोड़ा गया है। अभी तक विदेशों से दस हजार से अधिक ई-मेल ब्रज रक्षिणी हरिनाम प्रचारिणी सभा को मिल चुके हैं। इन सभी संदेशों में यमुना को बचाने की अपील की गई है। सभा की ओर से देश-विदेश से आए सभी ई-मेल का शीघ्रता से जवाब दिया जा रहा है। प्रतिदिन पदयात्रा की जानकारी भी इंटरनेट से दी जा रही है। श्री मान मंदिर सेवा संस्थान बरसाना मथुरा के रमेश बाबा के प्रेरणा से शुरू किए गए अभियान में पूरे देश के लोग लगातार इससे जुड़ रहे हैं। ब्रज रक्षिणी हरिनाम प्रचारिणी सभा के राष्ट्रीय संरक्षक संत जयकृष्ण दास बरसाना ने बताया कि विदेशों से आए ई-मेल में इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया गया है कि यमुनोत्री का पानी सीधे इलाहाबाद संगम तक पहुंचे क्योंकि ऐसा माना गया है कि संगम में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम बिंदु है। लेकिन जगह-जगह यमुना प्रदूषित हो रही है।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading