बढ़ते प्रदूषण से तबाह हो रहे फरीबाद के लोग

4 May 2014
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मुक्ति के लिए संचालित सभी योजनाएं हुईं बेअसर


बढ़ते प्रदूषण के चलते लोगों को जहां आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ और एलर्जी जैसी तकलीफों से लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में प्लास्टिक, रबड़ और थर्माकोल बनाने के कारखानें निरंतर चल रहे हैं। इन कारखानों से निकलने वाली गैस और दूषित वायु वातावरण में घुल जाती है और प्रदूषण का स्तर बढ़ा रही है।

फरीदाबाद शहर में प्रदूषण स्तर में लगातार इजाफा हो रहा है। प्रदूषण का बढ़ता स्तर भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। वायु प्रदूषण के चलते पशु-पक्षी और मानव जाति के लिए स्वस्थ रहना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। प्रदूषण का प्रभाव शहरों के बाहर ग्रामीण इलाके में भी पांव पसारने लगा है।

फरीदाबाद शहर और बल्लभगढ़ की अधिकतर रिहायशी कालोनियों और ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं और गंदे पानी के कारण वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है। सुबह और शाम के समय शहर की सड़कों पर प्रदूषण का ग्राफ खतरे के निशान से भी ऊपर पहुंच जाता है, जिससे वाहन चालकों को आवागमन के दौरान भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

बढ़ते प्रदूषण के चलते लोगों को जहां आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ और एलर्जी जैसी तकलीफों से लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में प्लास्टिक, रबड़ और थर्माकोल बनाने के कारखानें निरंतर चल रहे हैं। इन कारखानों से निकलने वाली गैस और दूषित वायु वातावरण में घुल जाती है और प्रदूषण का स्तर बढ़ा रही है। एक अनुमान के मुताबिक फरीदाबाद जिला देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की श्रेणी में शुमार है।

कहने को तो शहर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रदूषण निंत्रण विभाग के कार्यालय भी हैं, जहां शहर के प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए नित-नई योजनाएं बनाई जाती हैं लेकिन ये सब बेअसर साबित हो रहे हैं, शाम के समय शहर की सड़कों पर वाहनों से निकलने वाले धुएं से वातावरण का रंग ही बदल जाता है, हालत यह हो जाती है कि बिना मुंह ढके व हैलमेट के बिना वाहन चलाना मुश्किल हो जाता है।

शहर के अस्पतालों में भी सांस से संबंधी रोगियों, आंखों में जलन और एलर्जी के रोगियों की संख्या में भी बेतहाशा वृद्धि हो रही है। शहर में प्रदूषण को बढ़ाने में तिपहिया व ट्रैक्टर काफी हद तक जिम्मेदार है। दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण से बचाने के लिए जहां दस साल से पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था वहीं फरीदाबाद में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है, यहां पुराने वाहन धुंआ छोड़ते हुए ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों के सामने से गुजरते रहते हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती।

तिपहिया चालक अक्सर शहर के चौराहों पर खड़े होकर सवारियों के इंतजार में घंटों धुआं छोड़ते देखे जा सकते हैं। हालांकि शहर की सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस को बचाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने व पौधारोपण अभियान भी चलाते हैं लेकिन इसके बावजूद जिले में प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है। बढ़ते प्रदूषण के चलते पक्षियों की कई प्रजातियां लुप्तप्राय हो गई है। पक्षियों में भी तरह-तरह की बीमारियां सामने आ रही हैं।

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