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बिहार सरकार के सभी बाढ़ निरोधक प्रस्ताव स्वीकृत

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केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि सप्त-काशी हाईडैम के निर्माण हेतु विचार-विमर्श में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इससे बिहार में बाढ़ की विभीषिका को अत्यधिक कम किया जा सकेगा। भारत सरकार ने इसके लिये नेपाल सरकार से सार्थक बातचीत की है।

आशा है कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद बिहार राज्य को सूखे से निजात मिलने के साथ ही बाढ़ की विभीषिका से भी काफी राहत मिलेगी। इसके लिये नेपाल के साथ सप्त-कोसी हाईडैम की संयुक्त परियोजना के कार्यालय को सशक्त किया गया है।

एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार मंत्री महोदया ने 18 अगस्त को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बिहार के कुछ हम यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि कुछ भाग ऐसे हैं जिन पर तत्काल बाढ़ राहत निरोधक कार्य के द्वारा बाढ़ का निदान करना जरूरी है।

इसके लिये मंत्रालय ने बिहार सरकार के भेजे प्रस्ताव मंजूर कर लिये हैं, जिनके द्वारा लगभग 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को प्रोटेक्शन दिया जाएगा और लगभग 132 लाख जनसंख्या लाभान्वित होगी। सुश्री उमा भारती ने कहा कि बिहार के निवासियों के धर्म के प्रति आस्था एवं माँ गंगे से जुड़ी धार्मिक भावनाओं को देखते हुए हमने गंगा को पटना के निकट वापस लाने का काम पूरा कर लिया है, जिससे जन-जन को काफी सुविधा मिलेगी।

आर्सेनिक से दूषित जल पीने के लिये बाध्य बिहार की जनता के लिये भारत सरकार ने केन्द्रीय भूमि जल परिषद की मदद से आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्र में 28 गहरे नलकूप तैयार कर स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को हस्तान्तरित कर दिये हैं। इससे स्थानीय लोगों को काफी सहयोग मिला है। वे आर्सेनिक के दुष्परिणामों से बच सके हैं।

मंत्रालय ने बिहार के हितों को सर्वोपरि रखते हुए अन्तरराज्यीय मतभेदों को दूर कर निदान निकाला है। रिहन्द बाँध द्वारा बिहार राज्य को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है। अपर महानन्दा प्रोजेक्ट्स के समय पर निर्माण हेतु लगातार प्रयास जारी है, ताकि सम्बन्धित राज्यों के सहमति से उपरोक्त परियोजनाएँ निर्मित हों एवं बिहार लाभान्वित हो सकें।

राज्य के चहुँमुखी विकास के लिये प्रस्तावित अन्तरराज्यीय नदी जोड़ परियोजनाओं पर राष्ट्रीय जल विकास अधिकरण काफी तेजी से काम कर रही है और कोसी-मेची और बूढ़ी-गंडक गंगा लिंक परियोजना की वृहत परियोजना तैयार कर ली गई है। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से बिहार सरकार के किसानों को लाभ होगा और लगभग 3.30 लाख हेक्टेयर के किसान लाभान्वित होंगे। बूढ़ी-गंडक नदी से 492 क्यूसेक का बाढ़ का खतरा कम होगा।
 

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