बनाइये अपनी पंचायत को निर्मल और स्वच्छ

झारखंड में निर्मल भारत अभियान के तहत न केवल ग्रामीण परिवेश को स्वच्छ बनाया जा रहा है, बल्कि पंचायती राज व्यवस्था को भी मजबूती प्रदान की जा रही है। इसके तहत गांवों में स्वच्छता सुविधाओं का विकास ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों के माध्यम से किया जा रहा है। झारखंड में 32 वर्षों के बाद पंचायत राज की स्थापना हुई है। राज्य में ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति में मुखिया को अध्यक्ष बनाकर पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने में एक बड़ी पहल है, सुरेंद्र मोहन की रिपोर्ट।

लोगों का स्वास्थ्य मोटे तौर पर पेयजल की उपलब्धता और समुचित सामुदायिक स्वच्छता पर निर्भर करता है। अशुद्ध पेयजल, मलमूत्र का काम चलाऊ ढंग से निपटान, ग्रामीण व शहरी परिवेश की अपर्याप्त स्वच्छता तथा व्यक्तिगत एवं खाद्य स्वच्छता का अभाव कई रोगों व बीमारियों का प्रमुख कारण हैं। निर्मल भारत अभियान का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ जीवनशैली प्रदान करना है।

निर्मल भारत अभियान का सपना व लक्ष्य


पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने 2012 से 2022 के दौरान ग्रामीण स्वच्छता और सफाई कार्यनीति तैयार की है। इसका मुख्य प्रयोजन निर्मल भारत की सपने को साकार करना और एक ऐसा परिवेश बनाना है, जो स्वच्छ तथा स्वास्थ्यकर हो। खुले स्थान पर मल त्याग की पारंपरिक प्रथा को पूरी तरह समाप्त करना है। प्रत्येक व्यक्ति को सम्मान देने के साथ उसके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है।

निर्मल भारत अभियान


संपूर्ण स्वच्छता अभियान द्वारा केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम की तुलना में लक्ष्य को तेजी से प्राप्त किया जा रहा था। विशेषकर ग्रामीणों में स्वच्छता व स्वास्थ्य को लेकर काफी हद तक जागरूकता आयी। निर्मल ग्राम पुरस्कार के द्वारा कई गांव, प्रखंड व जिले यहां तक कि राज्य भी खुले में शौच से मुक्त हो गये, लेकिन वे राज्य जहां शिक्षा व क विकास कम हुए, जहां पंचायती राज व्यवस्था मजबूत न हो पायी, जहां निम्न मध्य वर्ग अधिक हैं, वहां संपूर्ण स्वच्छता अभियान ने आंशिक सफलता प्राप्त की। ग्रामीण क्षेत्रों को खुला शौच मुक्त करने के लिए भारत सरकार द्वारा चलाये गये संपूर्ण स्वच्छता अभियान का नाम बदल दिया गया। अब इस अभियान का नाम निर्मल भारत अभियान किया गया है।

अभियान के मुख्य प्रावधान


• ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय इकाई तथा प्रति इकाई में कम से कम एक शौचालय और दो से तीन मूत्रालय तथा हाथ धोने की व्यवस्था हो। प्रति विद्यालय शौचालय इकाई की लागत 35000 रुपये।
• ग्रामीण क्षेत्र की आंगनबाड़ियों में एक बालमिल शौचालय।
• बड़े बाजारों/हाट अथवा सार्वजनिक स्थान जहां अत्यधिक व्यक्तियों का आना जाना हो, वहां यदि स्थानीय लोग चाहें तो न्यूनतम दो लाख रुपये की लागत से सार्वजनिक शौचालय बनवाना, जिसमें 1,80,000 रुपये की सरकारी सहायता व न्यूनतम 20,000 जन सहयोग आवश्यक। जन सहयोग किसी भी सरकारी योजना से देय नहीं होगा।

अभियान के मुख्य उद्देश्य


• ग्रामीण क्षेत्र के सामान्य रहन-सहन में सुधार लाना।
• ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता को और व्यापक बनाने के लिए कार्य करना।
• जागरूकता और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से स्वच्छता सुविधाओं के लिए मांग पैदा करना।
• ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों व आंगनबाड़ियों में स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध करवाना और छात्र-छात्राओं के बीच स्वास्थ्य-शिक्षा को बढ़ावा देना व साफ-सफाई को अपने व्यवहार में लाना।
• स्वच्छता क्षेत्र में उपयोगी प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना।
• ग्रामीण क्षेत्र में सूखे शौचालयों को जलबद्ध शौचालय में बदलना।
• मानव द्वारा मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करना।
• ग्रामीण क्षेत्र में साफ-सुथरे माहौल को बढ़ावा देना।
• खुले में शौच की पूर्ण बंदी।

अभियान के प्रमुख घटक


• घरेलू पेयजल का सुरक्षित रख-रखाव।
• बेकार पानी का सुरक्षित निबटान।
• मानव मल का सुरक्षित निबटान।
• व्यक्तिगत स्वच्छता।
• घर एवं भोजन की स्वच्छता।
• सामुदायिक एवं ग्रामीण स्वच्छता।

ग्रामीण क्षेत्र के लिए आर्थिक सहायता


• प्रत्येक बीपीएल परिवार को शौचालय निर्माण पर प्रोत्साहन राशि।
• प्रत्येक अनुसूचित जाति और जनजाति परिवार को शौचालय निर्माण पर प्रोत्साहन राशि।
• प्रत्येक लघु एवं सीमांत किसान को शौचालय निर्माण पर प्रोत्साहन राशि।
• विधवा/तलाकशुदा/परित्यक्ता महिलाओं द्वारा परिपोषित परिवार को शौचालय निर्माण के लिए प्रोत्साहन राशि।
• सभी शारीरिक विकलांग अथवा विशिष्ट व्यक्ति द्वारा परिपोषित परिवारों को शौचालय निर्माण पर प्रोत्साहन राशि।
• भूमिहीन मजदूर जिन्हें वासभूमि सहित बसाया गया हो, द्वारा परिपोषित परिवारों को शौचालय निर्माण पर प्रोत्साहन राशि।
• शौचालय निर्माण करनेवाले परिवारों को शौचालय निर्माण पर 3200 रुपये केंद्र सरकार द्वारा और 1400 रुपये राज्य सरकार द्वारा पारितोषिक के रूप में दिये जायेंगे। साथ ही मनरेगा से भी सहयोग मिल सकता है।
• ग्राम पंचायत में ठोस एवं तरल अपशिष्ट के स्थायी प्रबंधन के लिए 150 परिवारों वाली ग्राम पंचायत में सात लाख रुपये, 300 परिवारों वाली पंचायत में 12 लाख रुपये, 500 परिवारों वाली पंचायत में 20 लाख रुपये की सहायता निर्मल भारत अभियान के तहत मिलेगी।

झारखंड में यदि नहीं मिल रहा लाभ तो यहां करें शिकायत


पेयजल एवं स्वच्छता से संबंधित समस्याओं की यहां करें शिकायत
सुधीर प्रसाद, प्रधान सचिव
फोन : 0651-2491410
फैक्स : 0651-2491069

साजीद हुसैन, मुख्य अभियंता
0651-2490929

राजेंद्र प्रसाद, उप निदेशक -1
9431516738

आप अपने जिले में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता व उपायुक्त कार्यालय में भी इस संबंध में शिकायत कर सकते हैं। शिकायत लिखित रूप में ही करें।

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