बुन्देलखण्ड : पानी की त्राहिमाम, खेती की कौन कहे पीने के लाले

14 Jan 2016
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1. कुए, बाबड़ी, हैण्डपम्प सब सूखे
2. गाँव के अधिकतर लोग बाहर शौच जाने को मजबूर
3. गाँव में 377 वीपीएल परिवार



.बुन्देलखण्ड के गाँवों में सूखे की स्थिति अब इतनी विकराल हो चली है कि अब खेती को तो पानी है ही नहीं पीने के भी लाले पड़ने लगे हैं। यदि ऐसे ही हालात रहे तो ग्रामीणों को गाँवों से पलायन होने को मजबूर होना पड़ेगा।

झाँसी जनपद की मऊरानीपुर तहसील के बंगरा ब्लाक के 4000 आबादी वाले ग्राम खिसनी बुजुर्ग में सौ प्रतिशत किसानों ने पानी के अभाव के कारण खेतों में बुवाई नहीं की है हालात यहाँ तक गम्भीर हो चले हैं कि अब गाँव के लोगों की प्यास बुझाने को न तो कुओं में पानी है न ही सरकार द्वारा लगाए गए हैण्डपम्प में ट्यूबवेल भी पानी देने में सक्षम नहीं है।

गाँव में 28 हैण्डपम्प लगे हैं जिसमें से सिर्फ दो ही बमुश्किल काम कर रहे हैं। भूमिगत पानी का स्तर 10 मीटर तक नीचे जाने के कारण गाँव में लगे ट्यूबवेल ने भी पानी देना छोड़ दिया है। लगभग 100 फीट गहरे कुओं में भी पानी अन्तिम साँसें गिन रहा है।

गाँव से लगभग डेढ़ किमी दूर चन्देल कालीन कुएँ के आकार की बावड़ी में 7 से 8 फीट पानी है जिससे गाँववासी अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं। गाँव में 377 परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले हैं जबकि 55 परिवारों के पास आज भी अन्तयोदय कार्ड मौजूद हैं।

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अन्तयोदय कार्ड धारकों को वृद्धावस्था पेंशन देने का निर्णय लिया था जो आज तक इस गाँव में लागू नहीं हुआ है।

पूर्व में अन्तयोदय कार्ड धारकों को प्रतिमाह दस किलो गेहूँ मुफ्त दिया जाता था जिसकी कीमत वृद्धावस्था पेंशन से बहुत कम होती थी इसी अन्तर को दूर करने के लिये सरकार ने अन्तयोदय कार्ड धारक को वृद्धावस्था पेंशन देने का निर्णय लिया था।

गाँव में 80 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमान्त हैं। जिनकी खेती वर्षा या फिर कुओं के सहारे ही है। ग्रामीणों का कहना है कि पानी की कमी के चलते शौच क्रिया को अब गाँव के लोग गाँव बाहर ही जाते हैं फिर चाहे वो महिला हो या पुरुष। पास में लगे गाँव के लोग पानी नहीं भरने देते हैं।

ऐसे में गाँव के ही पानी पर गुजारा करना पड़ता है। गाँव की बुजुर्ग महिलाएँ व्यथित हैं उनका कहना है कि जब जनवरी में पानी के ये हालात हैं तब मार्च के बाद के महीनों में क्या होगा।
 

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