बुंदेलखंड की नदियां : अवैध खनन का अड्डा
21 August 2012

बुंदेलखंड की जीवन रेखा चंबल, नर्मदा, यमुना और टोंस आदि नदियों में अवैध खनन तेजी से जारी है। बुंदेलखंड की धड़कन मानी जाने वाली बेतवा नदी के साथ हो रही छेड़-छाड़ से जल संकट बढ़ गया है। पिछले कुछ सालों में बुंदेलखंड की नदियों की तलहटी से जिस अंधाधुंध तरीके से बालू निकाला जा रहा है, वह इन नदियों के अस्तित्व को धीरे-धीरे खत्म कर देगा। केन, बेतवा, धसान और पहुज जैसी ज्यादातर नदियां बदहाली का शिकार हो चुकी हैं। इन्हें बड़ी निर्ममता से लूटा जा रहा है। नदियों के दोनों किनारों पर जो अतिक्रमण हुआ वह तो बढ़ा ही, नदियों का रेत जब खत्म हो रहा है, तो अब मशीनों की मदद से बालू निकालने की कोशिश हो रही है। अथाह जलराशि की बेतवा को अब कई जगहों पर साइकिल और मोटरसाइकिल से पार किया जा रहा है। इससे इस अंचल की नदियों पर मंडरा रहे संकट का अंदाजा लगाया जा सकता है। जालौन और झांसी में बालू माफिया के कारण सबसे बड़ा संकट बेतवा नदी पर है। झांसी में बजरी की बढ़ती मांग और चढ़ते दामों के चलते अवैध खनन बढ़ गया है। केन, बेतवा, धसान, और पहुज जैसी ज्यादातर नदियां बदहाली का शिकार हो चुकी हैं। इन्हें बड़ी निर्ममता से लूटा जा रहा है।

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