भारत में सामाजिक कार्य की वर्तमान संभावनाएं

10 Aug 2012
0 mins read

व्यावसायिक सामाजिक कार्यकर्ता सामुदायिक जीवन के प्रत्येक पक्ष - वृद्धाश्रमों, अनाथालयों, स्कूलों, अस्पतालों, मानसिक स्वास्थ्य क्लीनिक, कारागारों, निगमों तथा अनेक सार्वजनिक एवं निजी एजेंसियों में होते हैं, जो जरूरतमंद व्यक्तियों तथा परिवारों की सेवा करते हैं। सामाजिक कार्य केवल अच्छे कार्य करने तथा शोषित व्यक्तियों की सहायता करने तक ही सीमित नहीं हैं।

सामाजिक कार्य परोपकारी तथा प्रजातांत्रिक आदर्शों से विकसित हुआ है और इसके नैतिक मूल्य सभी व्यक्तियों की समानता, महत्व एवं गरिमा के सम्मान पर आधारित हैं। लगभग एक शताब्दी पहले से ही, सामाजिक कार्य व्यवसाय का बल मानव-आवश्यकताओं को पूरा करने और मानव-अंतःशक्ति का विकास करने पर रहा है। मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय सामाजिक कार्य-तंत्र के लिए प्रेरणा एवं औचित्य के रूप में कार्य करते हैं। वंचित व्यक्तियों की एकात्मता के लिए यह व्यवसाय उनके सामाजिक अंतर्वेश को बढ़ावा देने के क्रम में गरीबी उपशमन के तथा असुरक्षित एवं उत्पीड़ित व्यक्तियों की स्वतंत्रता के प्रयास करता है। सामाजिक कार्य व्यवसाय समाज में फैली बाधाओं, असमानता तथा अन्याय का पता लगाता है। इसका उद्देश्य व्यक्तियों की पूर्ण अंतःशक्ति का विकास करने, उनके जीवन को समृद्ध करने तथा बुराई को रोकने में उनकी सहायता करना है। व्यावसायिक सामाजिक कार्य का बल समस्या समाधान तथा परिवर्तन पर होता है। इस तरह सामाजिक कार्यकर्ता समाज में व्यक्तियों, परिवारों एवं समुदायों के जीवन में परिवर्तनकर्ता होते हैं। वे संकट, आपात स्थिति एवं प्रतिदिन की व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं का समाधान करते हैं। सामाजिक कार्य में व्यक्तियों तथा उनके आस-पास के माहौल पर कल्याणकारी बल के साथ विभिन्न प्रकार के कौशल, तकनीकों और कार्यकलापों का प्रयोग निहित होता है, सामाजिक कार्यों में प्राथमिक व्यक्ति आधारित मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया से लेकर सामाजिक नीति, नियोजन तथा विकास शामिल होते हैं। इन कार्यों में परामर्श, नैदानिक, सामाजिक कार्य, सामूहिक कार्य, सामाजिक शैक्षणिक कार्य एवं परिवार, उपचार एवं चिकित्सा के साथ-साथ समाज में सेवाएं और संसाधन प्राप्त करने में व्यक्तियों की सहायता करने के प्रयास निहित हैं। इन कार्यों में एजेंसी प्रशासन, सामुदायिक संगठन तथा सामाजिक नीति एवं आर्थिक विकास जैसे कार्यों को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक और राजनीतिक कार्यों में रत होना भी शामिल है। सामाजिक कार्य का कल्याणकारी उद्देश्य सार्वभौमिक है, किंतु सामाजिक कार्य प्रैक्टिस की प्राथमिकताएं सांस्कृतिक, ऐतिहासिक तथा सामाजिक- आर्थिक स्थितियों के आधार पर अलग-अलग देशों में तथा समय-समय पर भिन्न होंगी।

सामाजिक कार्यकर्ता विपत्ति तथा दुखों से राहत दिलाने एवं उनके निवारण का प्रयत्न करते हैं। उपयुक्त सेवाओं की व्यवस्था करके और उन्हें परिचालित करके तथा सामाजिक नियोजन में योगदान देकर व्यक्तियों, परिवारों, समूहों एवं समाज की सहायता करना उनका दायित्व होता है। वे व्यक्तियों को व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं से निपटने तथा अनिवार्य सेवाएं और संसाधन प्राप्त करने में उन्हें सक्षम बनाने के लिए उनके साथ, उनकी ओर से एवं उनके हित में कार्य करते हैं। उनके कार्यों में अंतर-वैयक्तिक प्रैक्टिस, सामूहिक कार्य, सामुदायिक कार्य, सामाजिक विकास, सामाजिक कार्रवाई, नीति-विकास, अनुसंधान, सामाजिक कार्य शिक्षा तथा इन क्षेत्रों में पर्यवेक्षकीय और प्रबंधकीय कार्य शामिल हो सकते हैं, किंतु उनके कार्य इन कार्यों तक ही सीमित नहीं होते हैं। व्यावसायिक सामाजिक कार्यकर्ताओं के कार्य-क्षेत्र दिन-प्रति-दिन बढ़ते जा रहे हैं।

व्यसन


• बाल-कल्याण
• नैदानिक/मानसिक स्वास्थ्य
• सुधार संस्थाएं/कारागार
• बाल संरक्षण सेवाएं
• सलाह एवं रोगोपचार
• परामर्श एवं सेवाएं
• सामुदायिक विकास
• प्रौढ़ सुरक्षा
• पर्यावरण
• परिवार कल्याण एवं नियोजन
• मानव संसाधन प्रबंधन
• औद्योगिक विकास
• चिकित्सा सामाजिक कार्य
• मानसिक स्वास्थ्य
• मानसिक बाधा
• समाज सेवा प्रबंधन
• मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य
• नीति एवं नियोजन सेवाएं
• गरीबी उन्मूलन
• व्यक्ति एवं विशेष आवश्यकताएं
• अपराधी पुनर्वास
• ग्रामीण एवं शहरी विकास
• संबंध समस्याएं
• विद्यालय सामाजिक कार्य
• सामाजिक अनुसंधान तथा कार्यक्रम मूल्यांकन सेवा
• सामाजिक कार्य प्रशासन एवं नीति
• सामाजिक कार्य शिक्षा एवं अनुसंधान
• सामाजिक विकास
• अक्षम व्यक्तियों के साथ कार्य करना
• युवा कार्य आदि

भारत में व्यवसाय के रूप में सामाजिक कार्य बहुत पहले ही अपने प्रारंभिक काल को पार कर चुका है और पिछले कुछ दशकों में भारत में यह एक अत्यधिक मांगकारी व्यवसाय के रूप में उभरा है। भारत में सामाजिक कार्य में स्नातक (बी.एस.डब्ल्यू) या मास्टर (सामाजिक कार्य में मास्टर या एम.एस.डब्ल्यू) डिग्रीधारी कोई भी व्यक्ति सामान्यतः सामाजिक कार्यकर्ता माना जाता है। जहां तक भारतीय परिदृश्य का संबंध है, व्यावसायिक सामाजिक कार्यकर्ता विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों (एन.जी.ओ) तथा सरकारी मंत्रालयों में प्रशासनिक, प्रबंधन तथा नीति नियोजन पदों पर सीधे प्रैक्टिस में पाए जा सकते हैं। यदि आप दी गई किन्हीं भी स्थितियों में कठोर परिश्रम करने के इच्छुक हैं तो सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों (एन.जी.ओ) दोनों में रोजगार के अनेक अवसर हैं। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भी सामाजिक रूप से जागरूकता है और इसलिए अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक कार्य में अनेक अवसर उपलब्ध हैं। औद्योगिक तथा वाणिज्यिक इकाइयां भी सामाजिक कार्यकर्ताओं की सेवाएं लेती हैं। सामाजिक कार्य में कोई डिग्री या डिप्लोमा विभिन्न क्षेत्रों में लाखों भारतीय युवाओं के लिए अनेकों अवसर सृजित कर रहे हैं।

विभिन्न रोजगार क्षेत्रों/सरकारी क्षेत्रों में सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा प्राप्त किए जाने वाले पदनाम


• लेक्चरर/प्रोफेसर
• निदेशक
• अनुसंधान अधिकारी/अनुसंधानकर्ता
• कल्याण/विकास अधिकारी
• (जैसे बाल/युवा/महिला/श्रमिक आदि)
• सामुदायिक विकास अधिकारी
• कारागार परिवीक्षाधीन/कल्याण अधिकारी
• नगर नियोजक आदि

गैर-सरकारी क्षेत्र


• परियोजना निदेशक
• कार्यक्रम निदेशक
• कार्यक्रम अधिकारी
• कार्यक्रम समन्वयकर्ता
• सहायक समन्वयकर्ता
• कार्यक्रम सहायक
• परियोजना अधिकारी
• कम्यूनिटी मोबिलाइजर
• कार्यक्रम प्रबंधक
• ब्लॉक/जिला/राज्य/जोनल/क्षेत्रीय समन्वयकर्ता
• सलाहकार
• समाज-वैज्ञानिक
• निगरानी एवं मूल्यांकन अधिकारी
• अनुसंधान अधिकारी/अनुसंधानकर्ता
• एम.आई.एस. समन्वयकर्ता
• क्षेत्र प्रबंधक
• फंड रेजर
• सामाजिक कार्यकर्ता
• पर्यवेक्षक
• संसाधन मोबिलाइजर
• प्रशिक्षण समन्वयकर्ता
• विकास व्यवसायी
• सलाहकार
• परिवीक्षा अधिकारी
• मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ता
• विद्यालय सामाजिक कार्यकर्ता
• समाज विज्ञानी
• व्यावसायिक पुनर्स्थापन
• सलाहकार आदि

उद्योग


• प्रबंधक (मानव संसाधन/कार्मिक/ कल्याण आदि)
• कार्यपालक प्रशिक्षणार्थी
• श्रमिक कल्याण अधिकारी
• कार्मिक अधिकारी आदि

कार्पोरेट क्षेत्र


• प्रबंधक
• कार्यपालक प्रशिक्षणार्थी
• सामुदायिक विकास अधिकारी
• सामाजिक विकास अधिकारी
• ग्रामीण विकास अधिकारी
• समाज कल्याण अधिकारी आदि

सामाजिक कार्य व्यवसायियों के लिए कार्य की सामान्यतः तीन श्रेणियों का स्तर है। पहला ‘वृद्ध’ सामाजिक कार्य है। जिसमें समाज या समुदाय एक सम्पूर्ण रूप में है। इस प्रकार के सामाजिक कार्य प्रैक्टिस में किसी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय पैमाने पर नीति बनाना एवं उसका समर्थन करना निहित है। कार्य के दूसरे स्तर को ‘माध्यम’ सामाजिक कार्य के रूप में उल्लेखित किया गया है। इस स्तर पर कार्यों में एजेंसियों, छोटे संगठनों तथा अन्य छोटे समूहों के साथ किए जाने वाले कार्य निहित हैं। इस प्रैक्टिस में किसी सामाजिक कार्य एजेंसी में नीति निर्माण अथवा किसी विशेष निकटवर्ती के लिए कार्यक्रम का विकास करना शामिल है। अंतिम स्तर ‘सूक्ष्म’ स्तर है, जिसमें व्यक्तियों या परिवारों को सेवाएं देना निहित है।

सामाजिक कार्यकर्ता व्यक्तियों को निर्धनता, भेदभाव, व्यसन, शारीरिक बीमारी, तलाक, क्षति, बेरोजगारी, शैक्षिक समस्याओं, अक्षमता तथा मानसिक बीमारी जैसी जीवन की कुछ अत्यधिक कठिन चुनौतियों को पूरा करने में सहायता करते हैं। वे संकट का निवारण करते हैं और दैनिक जीवन के तनावों का अधिक प्रभावी रूप से सामना करने में व्यक्तियों तथा परिवारों को परामर्श देते हैं। सामाजिक कार्य एक ऐसा व्यवसाय है जो जीवन की एक उन्नत गुणवत्ता के लिए निवारक तथा पुनर्स्थापन कार्य के इच्छुक व्यक्तियों, परिवारों तथा समुदायों को सेवाएं देता है, जो सामाजिक वातावरण में सामाजिक एवं भावनात्मक विकास पर केंद्रित होता है। सामाजिक कार्य का आयाम राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय है। यह व्यवसाय सामाजिक न्याय तथा कार्य-उन्मुखी है।

एक कल्याणकारी सोच अपनाना और उपचारात्मक संबंध स्थापित करना सामाजिक कार्य से अनन्य नहीं है। इन दोनों को सम्मिलित करना सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका को विशिष्ट बनाता है। सामाजिक कार्यकर्ता व्यक्ति की सम्पूर्ण स्थिति (साकल्यवादी सोच) को समझना और इसके साथ कार्य करना चाहता है। इनकी सेवाओं का उपयोग करने वाले व्यक्तियों से प्रभावी सहायक संबंध का विकास करना सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका का केंद्र-बिंदु रहा है ताकि बेहतर परिणाम सुनिश्चित किए जा सकें। सामाजिक कार्यकर्ताओं को कौशल के ज्ञान तथा नैतिक मूल्यों का सम्मिश्रण करने वाले प्रभावी सुनवाई प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होती है।

विकास क्षेत्रों में व्यावसायिक सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए संभावना


वर्तमान में विकास क्षेत्र व्यापक स्तर पर कल्याण अथवा गैर-सरकारी संगठनों (एन.जी.ओ) द्वारा नियंत्रित एवं प्रबंधित है, जो समाज के सम्पूर्ण विकास की दिशा में पथ-प्रदर्शक का कार्य करते हैं। सामाजिक कार्य में कोई डिग्री (वरीयतः मास्टर डिग्री) को विकास एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों में अत्यधिक वरीयता दी जाती है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि गैर-सरकारी संगठन क्षेत्रों तथा अन्य विकास क्षेत्रों में व्यावसायिक सामाजिक कार्यकर्ताओं की बहुलता बढ़ती जा रही है। जहां तक विकास क्षेत्र (भारत में) व्यावसायिक सामाजिक कार्यकर्ताओं के वेतन का संबंध है - यह अलग-अलग संगठनों में अलग-अलग है। वेतन पर सामान्यतः साक्षात्कार के समय समझौता किया जाता है। जिस तरह विकास-क्षेत्रों में वेतन पर समझौता किया जाता है, उसी तरह भर्ती-प्रक्रिया में लचीलापन भी होता है। कभी-कभी यह भी देखा जाता है कि किसी विशेष पद पर ऐसे व्यक्ति की भर्ती की जाती है जो न्यूनतम अपेक्षाएं भी पूरी नहीं करता। विकास-क्षेत्र की भर्ती-प्रक्रिया में एम.एस.डब्ल्यू में अंकों की प्रतिशतता पर ध्यान नहीं दिया जाता है; प्रख्यात संगठनों में कोई अच्छा रोजगार प्राप्त करने के लिए एम.एस.डब्ल्यू में 50% से 55% अंक ही पर्याप्त होते हैं। ऐसे संगठन में महत्व संबंधित कार्य-अनुभव परियोजना प्रबंधन उपयुक्त तकनीकी कौशल, गैर-सरकारी संगठन प्रशासन के प्रबंधन के व्यापक ज्ञान का होता है। कभी-कभी भर्ती-संगठन उस शैक्षिक संस्था की प्रतिष्ठा को भी ध्यान में रखते हैं - जहां से उम्मीदवार ने सामाजिक कार्य में डिग्री प्राप्त की है। सामान्यतः टी.आई.एस.एस; एक्स.आई.एस.एस; दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.एस.डब्ल्यू पूरी करने वाले छात्रों को वरीयता दी जाती है और वे प्रारंभ में ही उच्च वेतन प्राप्त करते हैं।

व्यावसायिक सामाजिक कार्यकर्ता के लिए अपेक्षित कौशल


• परियोजना प्रस्ताव तैयार करना
• प्रबंधन सूचना प्रणाली (एम.आई.एस) बनाना
• परियोजना कार्यान्वयन योजना (पी.आई.पी.) बनाना
• जिला/राज्य/राष्ट्रीय स्तर पर परियोजना प्रबंधन और समन्वय
• कार्यक्रम निगरानी एवं मूल्यांकन
• रिपोर्ट लेखन एवं मूल्यांकन प्रस्तुति
• मासिक योजना तथा बजट बनाना
• जिला एवं राज्य प्रशासन, अन्य स्टेक होल्डरों तथा सहभागी संगठनों के साथ समन्वय तथा सम्पर्क करना
• प्रशिक्षण, कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करना।
• सूचना शैक्षिक संचार (आई.ई.सी.) सामग्री का विकास करना
• प्रलेखन एवं केस अध्ययन
• टीम प्रबंधन
• सुविधा व्यक्ति संघटन
• अधिक घंटों तक कार्य करना और व्यापक दौरे करना
• राज्य तथा जिला स्तर पर परियोजनाओं का प्रबंधन एवं समन्वय करना
• सकारात्मक कार्य अभिवृत्ति
• सत्यनिष्ठा एवं ईमानदारी
• प्रतिकूल स्थिति में अधिक घंटों तक क्षेत्रगत कार्य करना
• अंतर-वैयक्तिक अभिव्यक्ति कौशल हो
• कंप्यूटर में दक्षता हो
• सामुदायिक संसाधनों का ज्ञान हो

अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों में विभिन्न पदों के लिए एक विनिर्दिष्ट वेतन ढांचा होता है - इन संगठनों में जाने के लिए - किसी प्रख्यात विकास संगठन में न्यूनतम तीन से पांच वर्ष का पूर्व कार्य-अनुभव होना आवश्यक है।

सामाजिक कार्य पाठ्यक्रम चलाने वाले कुछ प्रमुख विश्वविद्यालय/संस्थान


• असम विश्वविद्यालय, सिल्चर (असम)
• आगरा विश्वविद्यालय (उ.प्र.)
• अमरावती विश्वविद्यालय (अमरावती)
• आन्ध्र विश्वविद्यालय, वाल्टेयर (आ.प्र.)
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ (उ.प्र.)
• भरथियार विश्वविद्यालय (कोयम्बत्तूर)
• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, बनारस (उ.प्र.)
• बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी (उ.प्र.)
• क्राइस्ट यूनिवर्सिटी (बंगलौर)
• चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ (उ.प्र.)
• सामाजिक कार्य महाविद्यालय, निर्मला निकेतन, (मुंबई)
• देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (इंदौर)
• दिल्ली सामाजिक कार्य विद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, (दिल्ली)
• डाॅ. आर.एम.एल. अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद (उ.प्र.)
• गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (छत्तीसगढ़)
• गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद (गुजरात)
• भारतीय समाज कल्याण एवं व्यवसाय प्रबंधन संस्थान, कलकत्ता विश्वविद्यालय (प.बं.)
• सामाजिक विज्ञान संस्थान, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा (उ.प्र.)
• इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू)
• जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, जामिया नगर, (नई दिल्ली)
• जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं (राजस्थान)
• काशी विद्यापीठ, वाराणसी (उ.प्र.)
• कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
• कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर (उ.प्र.)
• मदुरै कामराज विश्वविद्यालय
• एम.एस. विश्वविद्यालय, बड़ौदा
• मद्रास सामाजिक कार्य विद्यालय, मद्रास विश्वविद्यालय (चेन्नई)
• एम.एस.एस. कॉलेज, नागपुर (महाराष्ट्र)
• मैंगलोर विश्वविद्यालय (मैंगलोर)
• मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद
• नागपुर विश्वविद्यालय (नागपुर)
• पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला (पंजाब)
• राजागिरी सामाजिक कार्य महाविद्यालय (केरल)
• राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर (राजस्थान)
• श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय (तिरुपति)
• श्री पद्मावती महिला विश्वविद्यालय (तिरुपति)
• श्री हरि सिंह गौड़ विश्वविद्यालय (म.प्र.)
• टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, मुंबई (महाराष्ट्र)
• लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ (उ.प्र.)
• बंबई विश्वविद्यालय (महाराष्ट्र)
• पुणे विश्वविद्यालय (महाराष्ट्र)
• उत्कल विश्वविद्यालय (उड़ीसा)
• विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)
• विद्यासागर विश्वविद्यालय (प.बं.)
• विश्व भारती विश्वविद्यालय (प.बं.) आदि।
• (उक्त सूची उदाहरण मात्र है।)

निष्कर्ष


व्यावसायिक सामाजिक कार्यकर्ता सामुदायिक जीवन के प्रत्येक पक्ष - वृद्धाश्रमों, अनाथालयों, स्कूलों, अस्पतालों, मानसिक स्वास्थ्य क्लीनिक, कारागारों, निगमों तथा अनेक सार्वजनिक एवं निजी एजेंसियों में होते हैं, जो जरूरतमंद व्यक्तियों तथा परिवारों की सेवा करते हैं। सामाजिक कार्य केवल अच्छे कार्य करने तथा शोषित व्यक्तियों की सहायता करने तक ही सीमित नहीं हैं। काफी समय से यह एक व्यवसाय के रूप में उभरा है। वास्तव में यह कोई परम्परागत करियर नहीं है। बल्कि निरंतर बढ़ती जा रही विकलांगता, निर्धनता, मानसिक रोग-स्वास्थ्य, वृद्धावस्था से जुड़ी समस्याओं आदि मामलों के साथ ही सामाजिक कार्य आज हमारे समाज की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गया है। यदि आप भावात्मक पूर्ति के लिए कोई व्यवसाय चुनने के इच्छुक हैं और आपका कार्य-उद्देश्य केवल धन कमाना नहीं है तो यह आपके लिए एक आदर्श करियर होगा।

लेखक सामाजिक कार्य विभाग, असम (केन्द्रीय) विश्वविद्यालय, सिल्चर- 788011, असम में सहायक प्रोफेसर हैं। ई-मेल: anupam688@yahoo. co.in है।



Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading