भारतीय उपमहाद्वीप में 10,000 वर्षों में हुये जलवायु परिवर्तन

यह आलेख भारतीय उपमहाद्वीप में 10,000 वर्षों में जलवायु परिवर्तन का संस्कृति एवं साहित्य के विकास पर प्रभाव का संक्षिप्त इतिहास है। इस आलेख को तैयार करने के लिए कई विषयों से सामग्रियां एवं सूचनाएं एकत्रित की गई है, जैसे कि पौराणिक धर्मग्रंथ, पुरातत्वविज्ञान, जीवाश्म जलवायु विज्ञान, जलवायु विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, सुदूर संवेदन, भूविज्ञान, जलविज्ञान, धर्म-शास्त्र, धर्मदर्शन, इतिहास, तत्व-ज्ञान इत्यादि। पिछले 10,000 सालों को, जिसे होलोसीन अवधि कहा जाता है, सात खंडों में बांटा गया है जो निम्नलिखित है।

10,000 वर्षों के पहले का समय – अति ठंड एवं अतिशुष्क जलवायु (हिम युग की समाप्ति)
10,000 से 8,500 वर्ष पहले तक – अति गर्म एवं अति नम और भीषण बाढ़े (वैदिक काल)
8500 से 6,5600 वर्ष पहले तक – गर्म, नम एवं सम जलवायु जिसमें मौसम की प्रधानता (रामायण काल)
6,500 से 5,000 वर्ष पहले तक – अति-गर्म भीषण बाढ़े (महाभारत काल)
5,000 से 4,000 वर्ष पहले तक – गर्म – नम जलवायु एवं मौसमी बाढ़े (मौसमी घाटी की सभ्यता)
4,000 से 2,500 वर्ष पहले तक – शुष्क ठंड जलवायु एवं चरम मौसमी बाढ़े (पौराणिक काल)
2,500 वर्ष से वर्तमान तक – गर्म-नम जलवायु एवं चरम मौसमी सूखे बाढ़ के साथ (उत्तर बुद्ध काल)

यहां पर विभिन्न कालावधियों में पर्यावरण और सामाजिक व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन क्रमानुसार दर्शाया गया है।

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