भीषण सूखा

16 Aug 2009
0 mins read


नई दिल्ली। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय मंत्रिस्तरीय समूह (जीओएम) के गठन के साथ ही सरकार ने एक तरह से देश में सूखे का ऎलान कर दिया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक देश दो दशक के सबसे भीषण सूखे से गुजर रहा है। गम्भीर हालात के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 17 अगस्त सोमवार को मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है।

 

177 जिले प्रभावित


कृषि मंत्रालय के संकट प्रबन्धन कार्यक्रम के मुताबिक पूर्ण सूखे की दशा में ही जीओएम का गठन किया जाता है। अब तक देश के कुल 626 जिलों में से 28.27 फीसदी यानी 177 को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है। शुक्रवार को महाराष्ट्र ने अपने 10 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है। अभी राजस्थान और मध्य प्रदेश के भी कुल 50 से ज्यादा प्रभावित जिलों को इस सूची में जोडा जाना बाकी है।

 

अगस्त में बारिस 60 फीसदी कम


ताजा आकलन के मुताबिक समूचे देश में औसत से 29 फीसदी तक कम वर्षा हुई है। पिछले सप्ताह ही मौसम विभाग ने अपने संशोधित अनुमान में सम्भावित बारिश 93 फीसदी से घटाकर 87 फीसदी बताई थी। विभाग के मुताबिक अगस्त में 12 तारीख तक औसत से 60 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। पहले सप्ताह में औसत से 64 फीसदी और दूसरे सप्ताह में 56 फीसदी कम बारिश हुई है।

 

विकट हालात


इन आंकडों के आधार पर विशेषज्ञों का आकलन है कि इस साल 2002 से भी ज्यादा भयावह सूखा पडने जा रहा है। 26 से 50 फीसदी तक कम वर्षा वाले इलाकों को आंशिक सूखाग्रस्त और 50 से भी कम वर्षा वाले इलाकों को गम्भीर सूखाग्र्रस्त श्रेणी में रखा जाता है। 2002 में औसत से 19 फीसदी कम बारिश हुई थी और देश का 20 फीसदी भू-भाग सूखाग्रस्त था। इस साल एक जून से अब तक 29 फीसदी कम बारिश हुई है और देश का 40 फीसदी से ज्यादा भू-भाग अल्पवर्षा से प्रभावित है।

 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading