भूजल के अविवेकी दोहन को पटरी पर लाने की कोशिश

Groundwater
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भारत सरकार ने सन 1997 में नलकूपों की अविवेकी खुदाई और भूजल के अतिदोहन को पटरी पर लाने के लिये सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी का गठन किया था। सन 2000 में सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की जिम्मेदारियों में बढ़ोत्तरी कर उसे भूजल के विकास और प्रबन्ध के नियमन और नियंत्रण (Regulate and control management and development of Ground Water) का दायित्व सौंपा।

अपने गठन के बाद से अथॉरिटी, ग्राउंड वाटर रीचार्ज की संरचनाओं के निर्माण के आधार पर भूजल दोहन की अनुमति प्रदान कर रही है लेकिन भूजल के परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव नहीं दिखाई देने के कारण अप्रैल 2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिये कि कोई भी व्यक्ति जो नलकूप के माध्यम से भूजल का दोहन कर रहा है, को सक्षम ग्राउंड वाटर अथॉरिटी से अनुमति प्राप्त करना होगा तथा सुनिश्चित किया जाएगा कि उसके द्वारा किया जाने वाला भूजल दोहन कानून सम्मत है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अप्रैल 2017 में गाजियाबाद तथा हापुड़ के सभी अवैध नलकूपों को सील करने के भी निर्देश दिये हैं। इसी प्रकार का आदेश दिल्ली को भी दिया गया है। उपरोक्त फैसलों की रोशनी में सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी, स्थिति में वांछित सुधार के लिये अपनी पुरानी व्यवस्था में बदलाव कर नई व्यवस्थानुसार अनापत्ति प्रमाण पत्र (No objection certificate) जारी करने पर विचार कर रही है तथा भूजल दोहन को टैक्स के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। नई व्यवस्था से सम्बन्धित विवरणों को सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की साइट (www.cgwa-noc.gov.in या www.cgwb.gov.in) पर देखा जा सकता है।

श्रेणीवार भूजल दोहन सीमा तथा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने विषयक व्यवस्था

भूजल दोहन की मात्रा की सीमा

सक्षम अधिकारी

सुरक्षित तथा सेमी-क्रिटिकल इकाई जहाँ भूजल दोहन की मात्रा 70 प्रतिशत से कम है

क्रिटिकल एवं अतिदोहित इकाई जहाँ भूजल दोहन की मात्रा 70 प्रतिशत से अधिक है

खारे पानी के एक्वीफर से पचास हजार लीटर प्रतिदिन तक

खारे पानी के एक्वीफर को छोड़कर सामान्य पानी देने वाले एक्वीफर से बीस हजार लीटर प्रतिदिन तक

जिला कलेक्टर

पचास हजार लीटर के ऊपर पाँच लाख लीटर प्रतिदिन तक।

बीस हजार लीटर से दो लाख लीटर प्रतिदिन तक।

राज्य स्तरीय ग्राउंड वाटर अथॉरिटी

खारे पानी के एक्वीफर से पाँच लाख लीटर प्रतिदिन तक।

खारे पानी के एक्वीफर से दो लाख लीटर प्रतिदिन तक।

राज्य स्तरीय ग्राउंड वाटर अथॉरिटी

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक।

दो लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक।

सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी

इंफ्रास्ट्रक्चर और खदानों से भूजल निकासी से सम्बन्धित सभी प्रकरण

सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी

नोटीफाइड एरिया (देश के 162 एरिया जहाँ भूजल की स्थिति बेहद गम्भीर है) में पेयजल तथा घरेलू इस्तेमाल को छोड़कर बाकी प्रयोजनों के लिये नए नलकूप के खोदने के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा।

सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी द्वारा राज्य एवं जिला स्तर पर सक्षम अधिकारियों और सलाहकार कमेटी की नियुक्त की जाएगी। सलाहकार कमेटी का काम राज्य स्तर तथा जिला स्तर पर सक्षम अधिकारी को सहयोग देना होगा। राज्य स्तर की सलाहकार कमेटी में सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड का प्रतिनिधि पदेन सदस्य होगा।

राज्य सरकारों द्वारा अपने-अपने राज्य में नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। जिला कलेक्टर अपने क्षेत्राधिकार में भूजल से जुड़े सभी मामलों के निराकरण तथा कानूनी कार्यवाही आरम्भ कराने के लिये जिम्मेदार होंगे। इसके अतिरिक्त वे ड्रिलिंग मशीन, अवैध नलकूप को सील करने और उसके विद्युत प्रदाय को बन्द कराने के लिये भी सक्षम अधिकारी होंगे।

उल्लेखनीय है कि घरेलू उपयोग तथा पेयजल के लिये बनाए नलकूप जिस पर दो हार्स पावर तक का पम्प स्थापित है, के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी। यदि दो हार्सपावर से अधिक हार्सपावर का पम्प स्थापित किया जाता है तो अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी।

इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों, औद्योगिक इकाइयों, खदानों, जल प्रदाय एजेंसियों और अन्य जो भूजल का दोहन पेयजल तथा घरेलू उपयोग के लिये करना चाहते हैं, को कतिपय शर्तों के आधार पर भूजल निकासी के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया जा सकेगा। नोटीफाइड इलाकों में भी पेयजल तथा घरेलू उपयोगों के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र आवश्यक नहीं होगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की संख्या 28 है। इसमें रेसीडेन्सियल अपार्टमेंट, रेसीडेन्सियल टाउनशिप, कार्यालय भवन, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, मेट्रो स्टेशन, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, वाटर पार्क, एयरपोर्ट, बन्दरगाह, होटल, माल-मल्टीप्लेक्स, नर्सिंग होम अस्पताल, होटल, रिसॉर्ट अग्निशमन स्टेशन इत्यादि सम्मिलित हैं।

ऐसे इलाके जहाँ भूजल दोहन का स्तर 90 प्रतिशत से अधिक है, में निर्माण कार्यों के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा। ऐसे इलाकों में स्वीमिंग पूल में ताजे भूजल के उपयोग की अनुमति नहीं दी जाएगी। पेयजल और घरेलू उपयोग को छोड़कर बागवानी, अग्निशमन व्यवस्था एवं साफ-सफाई कामों के लिये भूजल दोहन की मात्रा सकल दोहन के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। अनापत्ति प्रमाण पत्र से सम्बन्धित सम्पूर्ण विवरण www.cgwa-noc.gov.in पर देखा जा सकता है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 13 जुलाई 2017 के आदेशानुसार (एमए नम्बर 200/2014) भूजल का उपयोग करने वाले सभी उपयोगकर्ताओं को भूजल की दोहित मात्रानुसार निर्धारित राशि जिसे सालाना जल संरक्षण फीस कहा गया है, का भुगतान करना होगा। विवरण निम्नानुसार है-

सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों, सरकारी जल प्रदाय योजनाओं और ग्रुप-हाउसिंग सोसाइटियों/निजी हाउसिंग सोसाइटियों को जो केवल मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करती हैं, को कराधान से मुक्त रखा गया है। अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों द्वारा लाभान्वित उपयोगकर्ताओं को तीस पैसे प्रति एक हजार लीटर प्रतिदिन के अनुसार भुगतान करना होगा। राशि की गणना एक साल के लिये होगी।
 

बोतलबन्द पानी/मिनरल वाटर/सॉफ्ट ड्रिंक्स/शराब बनाने/डिस्टलरीज के लिये जल संरक्षण फीस

भूजल का उपयोग और उसकी श्रेणी

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रतिदिन से कम

दस लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रतिदिन से कम

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रतिदिन से कम

 

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से कम

पाँच लाख लीटर से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रति दिन से कम

दस लाख लीटर से अधिक किन्तु पचास लाख लीटर प्रतिदिन से कम

पचास लाख लीटर प्रतिदिन या उससे अधिक

70 प्रतिशत से कम (सुरक्षित)

0.90

1.00

1.10

1.20

70 प्रतिशत से अधिक किन्तु 90 प्रतिशत से कम (सेमी क्रिटिकल)

1.00

1.10

1.20

1.30

90 प्रतिशत से अधिक किन्तु 100 प्रतिशत से कम क्रिटिकल

1.10

1.20

1.30

1.40

100 प्रतिशत से अधिक (अतिदोहित)

1.20

1.30

1.40

1.50

सालाना जल संरक्षण फीस की गणना भूजल की दोहित मात्रा के आधार पर की जाएगी।

अन्य उद्योगों के लिये जल संरक्षण फीस

भूजल का उपयोग और उसकी श्रेणी

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रतिदिन से कम

दस लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रतिदिन से कम

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रतिदिन के कम

 

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से कम

पाँच लाख लीटर से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रति दिन से कम

दस लाख लीटर से अधिक किन्तु पचास लाख लीटर प्रतिदिन से कम

पचास लाख लीटर प्रतिदिन या उससे अधिक

70 प्रतिशत से कम (सुरक्षित)

0.70

0.80

0.90

1.00

70 प्रतिशत से अधिक किन्तु 90 प्रतिशत से कम (सेमी क्रिटिकल)

0.80

0.90

1.00

1.10

90 प्रतिशत से अधिक किन्तु 100 प्रतिशत से कम (क्रिटिकल)

0.90

1.00

1.10

1.20

100 प्रतिशत से अधिक (अतिदोहित)

1.00

1.10

1.20

1.30

सालाना जल संरक्षण फीस की गणना भूजल की दोहित मात्रा के आधार पर की जाएगी।

माइनिंग/भूजल निकालने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिये दरें

भूजल का उपयोग और उसकी श्रेणी

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रतिदिन से कम

दस लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रतिदिन से कम

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रतिदिन से कम

 

पाँच लाख लीटर प्रतिदिन से कम

पाँच लाख लीटर से अधिक किन्तु दस लाख लीटर प्रति दिन से कम

दस लाख लीटर से अधिक किन्तु पचास लाख लीटर प्रतिदिन से कम

पचास लाख लीटर प्रतिदिन या उससे अधिक

70 प्रतिशत से कम (सुरक्षित)

1.50

1.70

1.90

2.00

70 प्रतिशत से अधिक किन्तु 90 प्रतिशत से कम (सेमी क्रिटिकल)

2.00

2.20

2.40

3.00

90 प्रतिशत से अधिक किन्तु 100 प्रतिशत से कम (क्रिटिकल)

3.00

3.30

3.60

4.00

100 प्रतिशत से अधिक (अतिदोहित)

4.00

4.50

5.00

6.00

निर्धारित शर्तों का पालन पूरा करने के उपरान्त अनापत्ति प्रमाण पत्र का नवीनीकरण किया जा सकेगा।

एग्रीकल्चर सेक्टर


सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी के प्रस्ताव में किसानों को अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने की आवश्यकता नहीं है पर मध्यम तथा बड़ी जोत वाले किसानों के लिये पानी की कम खपत वाले साधनों को रेखांकित किया है तथा अपेक्षा की गई है कि इस हेतु राज्य सरकारों द्वारा वांछित कदम उठाए जाएँगे।

अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के लिये प्रस्तावित गाइड लाइंस के प्रावधानों पर 6 माह की समय सीमा के अन्दर सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी को सुझाव भेजे जा सकते हैं। समय सीमा दिनांक 11.10.2017 को प्रारम्भ हुई है। कुछ विचारणीय बिन्दु निम्नानुसार हो सकते हैं-

1. आर्थिक आधार पर भूजल का दोहन कम होना संदिग्ध है। अनुभव बताता है कि आर्थिक दबाव से उपयोग नियंत्रित नहीं होता। उदाहरण के लिये बिजली की दर बढ़ाने के बावजूद उसकी खपत लगातार बढ़ रही है। पेट्रोल/डीजल के रेट बढ़ने के बाद भी उनकी खपत कम नहीं हुई है। आवासों की लागत बढ़ने के बावजूद आवासों की माँग बढ़ रही है। प्रॉपर्टी टैक्स के बढ़ने से प्रापर्टी खरीद में कमी नहीं आई है। आवश्यकता को आर्थिक आधार पर नियंत्रित करना सहज नहीं है।

2. प्रस्तावित गाइड लाइंस के पैरा 3.1 में दो हार्स पावर तक के पम्प द्वारा भूजल दोहन को मुक्त रखा गया है। उल्लेखनीय है कि दो हार्स पावर का पम्प, हैड बदलने से अलग-अलग मात्रा में पानी खींच सकता है। उपयुक्त होगा कि दोहन की सीमा को आधार बनाया जाये।

3. भूजल दोहन की स्टेज के आधार पर दरें प्रस्तावित हैं। इसलिये व्यक्ति या संस्था उक्त राशि का भुगतान कर भूजल दोहन को चालू रखेगी। कुछ मामलों में उसका भार उपभोक्ता पर तथा कुछ भार टैक्स के रूप में समाज को चुकाना होगा। इन कदमों से महंगाई बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि आने वाले सालों में भूजल की दृष्टि से सुरक्षित इलाकों की संख्या कम होते-होते शून्य होगी और लगभग सभी क्षेत्रों में भूजल दोहन की स्टेज 100 प्रतिशत की सीमा को पार करेगी। इस हकीकत से सभी परिचित हैं। इस कारण मार्गदर्शिका में सुझाए आर्थिक आधार पर नलकूपों की अविवेकी खुदाई और भूजल के अतिदोहन को पटरी पर लाने या भूजल दोहन कानून सम्मत सम्भव नहीं होगा।

आवश्यक है कि पूरे देश में भूजल रीचार्ज का कार्यक्रम संचालित किया जाये। अतिदोहित, क्रिटिकल तथा सेमी-क्रिटिकल विकासखण्डों की संख्या कम की जाये। सभी विकासखण्डों को सुरक्षित सीमा में लाया जाये। उल्लेखनीय है कि देश में बरसाती पानी की कमी नहीं है। दिक्कत रीचार्ज कार्यक्रम को हाशिए पर रखने के कारण है। इसके साथ-साथ पानी के बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग तथा एग्रीकल्चर सेक्टर में प्रयुक्त सिंचाई पद्धतियों को दक्ष बनाया जाये। सतही जल और भूजल के मिले-जुले उपयोग को अविलम्ब लागू किया जाये। पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिये विकेन्द्रीकृत मॉडल को अपनाना होगा। पूरे देश में जल स्वराज लाया जाये। जल स्वराज ही समस्या का हल है।

सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी द्वारा दिये गए गाइड लाइन एवं लेखक द्वारा सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी को भेजी गई चिट्टी को पढ़ने के लिये अटैचमेंट देखें
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