चण्डीप्रसाद भट्ट को अंतरराष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार

प्रख्यात समाजसेवी और पर्यावरण्विद् श्री चण्डीप्रसाद भट्ट (81 वर्षीय) को वर्ष 2013 के अंतरराष्ट्रीय गांधी शान्ति पुरस्कार के लिए चुना गया है। श्री भट्ट चिपको आंदोलन के प्रणेता तथा सामाजिक सुधार के विभिन्न आंदोलन के अगुआ रहे हैं तथा पिछले पांच दशकों से उत्तरांचल के चमोली जिले में वनों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के कार्यों में अविरल रूप से जुटे हुए हैं।

अंतरराष्ट्रीय गांधी शान्ति पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च पुरस्कार है जिसे 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती पर आरम्भ किया गया था। इस पुरस्कार को गांधीवादी तरीके से सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक बदलाव के लिए कार्य करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को उनके अभिनव योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। पुरस्कार में 1 करोड़ रु. की धनराशि तथा प्रशस्ति-पत्र शामिल होता है। इसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है।

पुरस्कार के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति विश्व भर के गांधीवादी कार्यकर्ताओं में से श्रेष्ठतम अभ्यर्थियों के नामों पर विचार करती है। इस समिति में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. शतशिवम्, जाने-माने राजनेता एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के जुड़े डॉ. कर्णसिंह और पूर्व राज्यपाल श्री गोपालकृष्ण गांधी शामिल थे। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले श्री भट्ट 13वें व्यक्ति हैं। बाबा आम्टे के बाद दूसरे भारतीय हैं, जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ है।

व्यक्तिगत रूप से अंतरराष्ट्रीय गांधी शान्ति पुरस्कार प्राप्त करने वालों में तंजानिया के प्रथम राष्ट्रपति जूलियस नेरेरे, श्रीलंका में सर्वोदय श्रमदान आंदोलन के संस्थापक ए. टी. आर्यरत्ने, कुष्ठ रोग और पोलियो के उन्मूलन में लगे जर्मनी के गेरहार्ड फिशर, कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास में लगे समाजसेवी बाबा आम्टे, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, उत्तरी आयरलैंड के राजनेता जॉन ह्यूम, चेक गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति वैक्लेव हैवल, नागरिक अधिकारों की प्रख्यात कार्यकत्री और अमेरिकी गांधी के रूप में प्रसिद्ध मार्टिन लूथर किंग की पत्नी कोरेट्टा स्कॉट किंग, दक्षिण अफ्रीकी सामाजिक कार्यकर्ता फादर डेसमंड टूटू के नाम शामिल हैं। स्वामी विवेकानन्द द्वारा वंचित वर्गों के सामाजिक कल्याण, सहष्णुता और अंहिसा की भावना को बढ़ावा देने के लिए स्थापित रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक के संस्थापक मोहम्मद यूनुस तथा भारतीय संस्कृति और शिक्षा को बढ़ावा देने में लगे भारतीय विद्या भवन को संस्थागत रूप में यह पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है।

श्री चण्डी प्रसाद भट्ट को इस पुरस्कार के लिए चयनित किए जाने पर चिपको आंदोलन, महिला सशक्तीकरण, मद्यनिषेध, पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन, ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में कार्य कर रहे लोगों ने प्रसन्नता व्यक्त की है। कहा गया है कि देश ने एक सच्चे गांधीवादी और समाज सुधार के विभिन्न कार्यों में लगे व्यक्ति को सम्मान देकर गांधीवादी विचारों और रचनात्मक कार्यों में संलग्न लाखों लोगों का उत्साह बढ़ाया है।

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