दैनिक भास्कर का अभियान

30 Jan 2009
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दैनिक भास्कर का “जल है तो कल है…” नामक जनजागृति अभियान


हिन्दी के अग्रणी समाचार पत्र “दैनिक भास्कर” ने भोपाल में जल संरक्षण की जनजागृति के लिये एक अनूठे अभियान, “जल है तो कल है” का शुभारम्भ किया। उल्लेखनीय है कि हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के नागरिकों को पानी बचाने की मुहिम में जागरूक बनाने के लिये पूर्व-घोषित जल कटौती भी शुरु की है और यह राजधानी भोपाल में लागू किया गया है। दैनिक भास्कर ने भी इस जनजागृति अभियान में एक सहयोग देने की रणनीतिक कोशिश की है।

डीबी कॉर्प के प्रादेशिक संपादक श्री अभिलाष खाण्डेकर कहते हैं, “दैनिक भास्कर के भोपाल संस्करण के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में यह हमारा सामाजिक और नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम आम जनता को पानी बचाने के बारे में न सिर्फ़ जगायें बल्कि उन्हें चेतायें कि आने वाले मुश्किल समय के लिये जल संरक्षण इस पीढ़ी के लिये बेहद आवश्यक है और यह समय की माँग है। इस “जल है तो कल है” अभियान के द्वारा जनता को पर्यावरणीय मुद्दों की निष्क्रियता से बाहर निकालने की कोशिश की जायेगी, साथ ही उन्हें भविष्य में जल की कमी सम्बन्धी खतरों से भी अवगत कराया जायेगा।

कम वर्षा के कारण किसी भी जलाशय में पर्याप्त पानी एकत्रित नहीं हो सका और राजधानी भोपाल जैसा बड़ा शहर जल संकट का सामना करने को मजबूर है। अक्टूबर माह के एक आकलन के अनुसार भोपाल की बड़ी झील में उस समय सिर्फ़ 80 दिन का पानी बचा था। “भास्कर” की इस जनजागृति पहल ने भोपालवासियों में एक चेतना का संचार करना शुरु किया और जनता ने भी जल संरक्षण और पानी बचाने के इस अभियान हेतु कमर कसना शुरु कर दिया। इस अभियान द्वारा यह संदेश भी गया कि अब आम जनता को पानी बचाने के लिये और भी जिम्मेदारी से काम तो करना ही होगा, साथ ही लोगों ने इस बात को समझा कि एक अकेला व्यक्ति भी समाज के किसी बड़े बदलाव और भविष्य की किसी योजना में महत्वपूर्ण घटक साबित हो सकता है।

भोपाल के इस जल संकट को देखते हुए दैनिक भास्कर ने यह जिम्मेदारी उठाने का फ़ैसला किया है। भास्कर ने इसे जन-अभियान में बदलते हुए भोपाल के हरेक बाशिन्दे को पानी बचाने और उसे प्रभावशाली तरीके से उपयोग करने की “जिद” करने का आव्हान किया है। यह बताया कि भास्कर के “जिद करो दुनिया बदलो…” नामक विज्ञापन को आधार मानकर ही भोपाल के जल संकट से पार पाया जा सकता है। डीबी कॉर्प के विपणन अध्यक्ष राजीव जेटली कहते हैं, “जल संरक्षण दैनिक भास्कर के लिये एक प्रिय मुद्दा है, हम इस पर पिछले 8-9 साल से काम कर रहे हैं। गत दो वर्षों से हमने इस अभियान को जन-जन तक पहुँचाने के लिये प्रिंट माध्यमों में विभिन्न विज्ञापन श्रृंखलायें बनाई और पाठकों के बीच “पानी” को लेकर एक विशिष्ट जागरूकता पैदा करने का सतत प्रयास किया। “जल सत्याग्रह प्रतिक्रिया” और जल सत्याग्रह जलसेना” का सन् 2007 और 2008 में गठन किया गया। अब हमने तय किया है जमीनी स्तर पर जनता को और झकझोरने के लिये कई कार्यक्रम बनाये हैं, मुझे विश्वास है कि हम अपनी बात गम्भीर तरीके से नागरिकों तक पहुँचाने में कामयाब होंगे और इस अभियान से लोगों में जल संरक्षण के प्रति एक उत्साह पैदा किया जा सकेगा, क्योंकि यदि हमें अपना शहर, देश और धरती को बचाना है तो जल को बचाना ही होगा…”

भोपाल शहर में जिस दिन से पानी की एक दिन छोड़कर कटौती शुरु हुई उसी दिन से दैनिक भास्कर ने अपने विभिन्न दल भोपाल की गलियों में उतार दिये। उन टीमों के लोग “आधी दाढ़ी बढ़ाये हुए”, “आधे नहाये हुए” तौलिया लपेटे, विभिन्न अवतारों में जनता को पानी बचाने का संदेश देने निकल पड़े। दल के सभी सदस्यों के हाथों में तख्तियाँ थीं, कि “सोचो यदि कल पानी नहीं होगा तो क्या होगा?”। भास्कर की यह अनूठी पहल तत्काल रंग लाने लगी और कालोनियों और मोहल्लों में निवास करने वाले रहवासियों ने यह संकल्प लेना प्रारम्भ किया कि वे खुद तो पानी बचायेंगे ही, औरों को, मित्रों-रिश्तेदारों को भी जल संकट से निपटने के लिये जागरूक करने हेतु आगे आयेंगे। जल संरक्षण में सबसे बड़ा योगदान महिलाओं का होता है और इस अभियान में कई महिलाओं के जुड़ने और स्वतःस्फ़ूर्त तरीके से आगे आने से यह अभियान तेजी से परवान चढ़ने लगा।

इसी प्रकार अभियानों की श्रृंखला में अगले दिन “जल सेना” ने मोर्चा संभाला। जल सेना के उत्साही नवयुवकों और किशोरों ने विभिन्न सोसायटियों में दरवाजे-दरवाजे जाकर लोगों से सहयोग की अपील की और उन्हें पानी बचाने के महत्व के बारे में बताया। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए भास्कर की विभिन्न टीमों ने कई रहवासी इलाकों में दस्तक दी और लोगों से पानी का उपयोग किफ़ायत से करने की सलाह और समझाइश दी। शहर के स्कूलों में बच्चों के बीच पानी बचाने के लिये पोस्टर और स्टीकरों द्वारा संदेश फ़ैलाया जा रहा है। पानी के महत्व को बताने के लिये रेडियो पर “चैट शो” तथा नुक्कड़ नाटक भी खेले जा रहे हैं, पानी से जुड़े मुद्दों पर बात करने और समस्यायें हल करने के लिये एक “हेल्पलाईन” भी शुरु की गई है।

आज के माहौल और आने वाले भविष्य के खतरों को देखते हुए दैनिक भास्कर का यह “जल है तो कल है…” अभियान बेहद आवश्यक है। निश्चित रूप से एक बड़े मीडिया समूह द्वारा इस प्रकार का जन-अभियान शुरु करने से जनता में एक सकारात्मक संदेश पहुँचता है, जनता जागरूक होती है और आगे चलकर ऐसे काम ही एक आंदोलन का रूप ले लेते हैं। भास्कर की यह पहल वाकई स्तुत्य है।

दिनांक - 17 अक्टू 2008/ मूल लेख – मैक्स डिजिटल मीडिया / अनुवाद – सुरेश चिपलूनकर, उज्जैन

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