डीयू स्वास्थ्य केन्द्र मे पानी नहीं

20 Jul 2009
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दिल्ली विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में WUS स्वास्थ्य केन्द्र है। यह विश्वविद्यालय कर्मियों का एकमात्र अस्पताल है। आपको हैरानी होगी यह जानकर कि कई सालों से यहां पीने का पानी ही नहीं है। ज्यादातर तो यहां पानी आता ही नहीं है और कभी आता है तो वह भी काफी दुर्गंध भरा होता है। दावे से कह सकता हूं कि वह दिल्ली जल बोर्ड का पानी तो हो नहीं सकता।

WUS स्वास्थ्य केन्द्र का उद्घाटन भारत के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद, ने वर्ष 1955 में किया था। वर्ल्ड युनिवर्सिटी सर्विस, जिनेवा का एक अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन है, इसकी सहायता से ही विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य केंद्र की शुरुआत हुई थी। केंद्र के प्रबंधन के लिए पैसा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा दिया जाता है। WUS स्वास्थ्य केन्द्र एक अंशदायी योजना है जिसका मुख्य लक्ष्य दिल्ली विश्वविद्यालय के कर्मचारियों, उनके परिवार के सदस्यों और छात्रों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरत पूरा करना है। यह परिसर में चिकित्सा सुविधा का एकमात्र स्रोत है।

यह डीयू प्राधिकारियों की लापरवाही का सूचक है कि स्वास्थ्य केन्द्र कई सालों से पीने के पानी के बिना चल रहा है। रोजाना 400-500 रोगी स्वास्थ्य की जरूरतों के लिए केंद्र पर जाते हैं लेकिन उन्हें पानी बाहर आसपास की दुकानों से खरीदना पड़ता है। इस संबंध में शिकायत भी की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

मैं इस केन्द्र का एक सदस्य और दिल्ली विश्वविद्यालय का कर्मचारी हूँ। अधिकारियों से कई बार प्रार्थना करने के बाद भी पेयजल मुहैया कराने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। तब मैंने 5 दिसम्बर, 2008 को इस संबंध में जानकारी देने के लिए एक आरटीआई याचिका दायर की, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय के इंजीनियर ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया यहां तक कि तत्कालीन प्रथम अपीलीय अधिकारी और रजिस्ट्रार एके दुबे के आदेश की भी अनसुनी कर दी।फिर मैने केन्द्रीय सूचना आयोग में 16/03/2009 को दूसरी अपील दायर की। CIC ने उस पर अनुमति देते हुए 17/04/2009 को विश्वविद्यालय अभियंता से कारण पूछते हुए नोटिस जारी किया कि “आप पर पेनल्टी क्यों नहीं लगाए जाए।“ CIC के नोटिस के बाद इंजीनियरिंग विभाग के लोगों ने दिन रात काम करके स्वास्थ्य केंद्र के साथ एक भूमिगत पाइपलाइन जोड़ दी। चिकित्सा प्रशासक डा. पी के वर्मा ने विश्वविद्यालय अभियंता के नाम एक गलत प्रमाणपत्र जारी कर दिया कि उस दिन तक वहां दिल्ली जल बोर्ड का पानी उपलब्ध है। (यह डा. वर्मा ही थे जिंहोंने विश्वविद्यालय अधिकारियों से कम से कम 4-5 बार यह शिकायत की थी कि स्वास्थ्य केंद्र में दिल्ली जल बोर्ड का पानी उपलब्ध नहीं है। उनके द्वारा लिखे गए शिकायत पत्र की प्रतिलिपि मैने आऱटीआई की मदद से प्राप्त की है।)

CIC के तथाकथित कारण बताओ नोटिस नोटिस के बाद मुझे जानकारी तो मिल गई लेकिन वह झूठी थी क्योंकि स्वास्थ्य केंद्र में न तो उस वक्य दिल्ली जल बोर्ड का पानी थ जब सर्टीफिकेट जारी किया गया था और न ही इस समय है।
इतना ही नहीं सूचना के अधिकार के तहत यह भी पता चला कि हर दो महीने पर स्वास्थ्य केंद्र दिल्ली जल बोर्ड को रु.15000 / - चुका रहा है अब सवाल यह उठता है कि जब वहां डीजेबी का पानी ही नहीं है तो डीयू किस बात का पैसा दिल्ली जल बोर्ड को दे रहा है। क्या यह डीयू की लापरवाही और सार्वजनिक पैसे की बर्बादी नहीं है?

फिर और अधिक सच जानने के लिए मैने पानी के नमूनों के लिए फिर सूचना के अधिकार का सहारा लिया ताकि पानी के नमूनों का किसी प्रतिष्ठित प्रयोगशाला में परीक्षण किया जा सके और सच का पता लगाया जा सके। आरटीआई दायर करने के बाद अब पूरे विश्वविद्यालय के अधिकारी स्वास्थ्य केन्द्र के लिए डीजेबी का पानी प्राप्त करने के लिए काम कर रहे हैं। बहरहाल सच यही है कि वहां आज तक डीजेबी का पानी वहाँ उपलब्ध नहीं है।

इस मुद्दे पर आप सभी का समर्थन चाहता हूं और पानी की जांच के मामले में सीएसई की मदद की दरकार करता हूं।

ध्यान: कृपया मीडिया रिपोर्टों सहित सभी दस्तावेजों के लिए संलग्नक देखें.

राजेश मेहता
दिल्ली विश्वविद्यालय
नामांकित- राष्ट्रीय आरटीआई पुरस्कार 2009
सेल: 9810036311
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