धरती, जल,हवा, वन कोई नहीं रहा पावन

Published on
3 min read

धरती, जल, वायु और वन, जीवन के लिए अनिवार्य इन तत्वों में से कोई शुद्ध नहीं बचा। धरती बंजर हो रही है, पानी जहरीला होता जा रहा है। हवा दूषित है और आकाश में धुँआ और धूलकण हैं। केन्द्र सरकार की स्टेट आफ इंवायरमेंट रिपोर्ट 2009 इसी कड़वी हकीकत को बयान करती है। रिपोर्ट के अनुसार देश की 328.73 मिलियन हेक्टेयर जमीन बंजर हो रही है। इसमें से 93.68 मिलियन हेक्टेयर पानी के क्षरण तथा 16.03 मिलियन हेक्टेयर पानी की अम्लता के कारण जमीन बंजर हुई है। इसी प्रकार खेतों में नरवाई जलाने से श्वसन तंत्र बिगड़ रहा है तो फ्लोराइडयुक्त पानी हड्डियों को टेढ़ा बना रहा है।

धरती

• आजादी के बाद भारत की कुल आबादी तो तीन गुना बढ़ गई, लेकिन कृषि भूमि क्षेत्र में मामूली वृद्धि हुई। 1951 में खेती का रकबा 118.75 मिलियन हेक्टेयर था जो 2005-06 में 141.89 हुआ।

• ज्यादा उपज की लालच में प्रति हेक्टेयर रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल में इजाफा हुआ है। 1991-92 में 69.8 किलोग्राम उर्वरकों का उपयोग किया जाता था जो 2006-07 में बढ़कर 113.3 किग्रा हो गया। इस कारण मिट्टी की उर्वरता खत्म हो रही है।

• खेतों में नरवाई जलाने के कारण न केवल जमीन का उपजाऊपन खत्म हो रहा है, बल्कि हवा प्रदूषित हो रही है और तापमान में इजाफा हो रहा है। अकेले पंजाब में 23 मिलियन टन चावल और 17 मिलियम टन गेहूँ की नरवाई होती है। चावल की 80 प्रतिशत यानि 18.4 मिलियन टन और गेहूँ की 5.5 मिलियन टन नरवाई जला दी जाती है।

• नरवाई जलाने से खेतों की मिट्टी का कार्बन का कार्बन डाई ऑक्साइड में तथा नाइट्रोजन का नाइट्रेट में परिवर्तन हो जाता है। यह 0.824 मिलियन टन उर्वरक के खत्म होने के बराबर है, यानि पंजाब में कुल उर्वरकों की खपत का आधा।

• नरवाई से बिगड़ा पर्यावरण बड़े क्षेत्र में श्वाँस, चर्म और नेत्र रोग का कारण बनता है।

जल

• पर्यावरण में बदलाव के कारण देश में बारिश का अनुपात गड़बड़ा गया है। अनुमान है कि 2050 तक पश्चिम और मध्य भारत के बारिश के 15 दिन घट जाएँगे। दूसरी तरफ हम अभी औसतन बारिश का 45 प्रतिशत पानी संभाल नहीं पाते। यह व्यर्थ बह जाता है।

• मप्र के प्रथम श्रेणी के 25 शहरों में 1560.91 मिलियन लीटर प्रतिदिन पानी प्रदान किया जाता है। इसमें से 1248.726 एमएलडी पानी सीवेज के रूप में निकल जाता है।

• दूसरी श्रेणी के 23 शहरों में 163.64 एमएलडी पानी प्रदान किया जता है। इन शहरों में 130 लीटर पानी मैला कर बहा दिया जाता है।

• प्रदेश के 19 जिलों में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है। इस कारण बच्चों में दाँत के क्षरण और हड्डियों के टेढ़ा होने की बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं।

हवा

• हमारे वाहनों और कारखानों ने ऑक्सीजन को कार्बन डाई ऑक्साइड में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। केवल दिल्ली का उदाहरण देखें तो यहाँ प्रतिवर्ष हवा में 3 हजार टन प्रदूषण घुल रहा है जिसमें 66 प्रतिशत वाहनों के कारण है।

• 2006-07 में भारत के कोयले का उपयोग कर रहे विद्युत क्षेत्र ने 495.54 मिलियन टन कार्बन का उत्सर्जन किया।

• भारत में 60 पीसदी घरों में ईंधन के रूप में जलाऊ लकड़ी और कोयला और कंडे का इस्तेमाल होता है।

वन

• यूँ तो देश की हरियाली में इजाफे के संकेत हैं लेकिन 2003 से 2005 के बीच कुल वन क्षेत्र में 728 वर्गकिमी. की कमी आई थी। वन क्षेत्र घटने वाले प्रमुख राज्यों में मप्र भी शामिल है। यहाँ 132 वर्ग किमी वन घटा तीन सालों में बड़े पैमाने पर वन क्षेत्र का कम होना, खतरनाक चेतावनी है।

• बदलते पर्यावरण के कारण ही राजस्थान का जलसंकट झेल रहा 92 प्रतिशत क्षेत्र रेगिस्तान में तब्दील हो रहा है। गुजरात में 91 फीसदी क्षेत्र रेगिस्तान बन रहा है।

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org