एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइटोकैमिकल्स से स्वास्थ्य को होने वाले लाभ

“भोजन को औषधि बनाएं; और औषधि को भोजन” हिप्पोक्रेट्स (431 ईसा पूर्व)

हम जो भी भोजन करते हैं, वह मात्रा और गुणवत्ता दोनों ही दृष्टियों से हमारे पोषण/स्वास्थ्य के स्तर और कुल मिलाकर हमारी खुशहाली को प्रभावित करता है। इसलिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों की समुचित मात्रा शैशव अवस्था से लेकर वृद्धावस्था तक हमारे भोजन में शामिल होनी चाहिए।हम जो भी भोजन करते हैं, वह मात्रा और गुणवत्ता दोनों ही दृष्टियों से हमारे पोषण/स्वास्थ्य के स्तर और कुल मिलाकर हमारी खुशहाली को प्रभावित करता है। इसलिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों की समुचित मात्रा शैशव अवस्था से लेकर वृद्धावस्था तक हमारे भोजन में शामिल होनी चाहिए। ठीक ही कहा गया है कि ‘हम जो कुछ हैं, वह इस पर निर्भर है कि हम खाते क्या है” दूसरे शब्दों में “जैसा अन्न-वैसा मन”। हमारे शरीर की संरचना हमारी खुराक पर निर्भर करती है। कोई अकेला भोजन ऐसा नहीं है, जो हमारी सभी पोषक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो। हमारा भोजन पौष्टिक तत्वों की दृष्टि से संतुलित होना चाहिए और उससे हमें ऊर्जा, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन, खनिज, आहार संबंधी रेशा और जल पर्याप्त मात्रा में मिलने चाहिए। पोषण हमारे स्वास्थ्य और खुशहाली में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। पहले से ज्ञात आहार विषयक घटकों के अलावा; हाल के वर्षों में कुछ ऐसे मिश्रणों में रुचि बढ़ रही है, जिनका स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। इनमें एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइटोकैमिकल्स शामिल हैं।

एंटीऑक्सिडेंट एक कण है जो अन्य कणों के ऑक्सीकरण को रोकता है। ऑक्सीकरण अनुक्रियाएँ हालांकि हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्पूर्ण होती हैं, परंतु कई बार वे क्षति भी पहुँचा सकती है। ऑक्सीकरण प्रक्रियाओं के दौरान पैदा होने वाले मुक्त रेडिकल्स (मूल तत्व) हमारे शरीर में सृजित होने वाले ऐसे उच्च-अनुक्रियात्मक मिश्रणों का विमोचन करते हैं, जो सामान्य प्रक्रियाओं के सह-उत्पाद के रूप में हमारे शरीर में पैदा होते हैं या वातावरण से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। एंटीऑक्सिडेंट्स का अपर्याप्त स्तर अथवा एंटीऑक्सिडेंट्स एन्जाइम्स (किण्वक) का निरोधक ऑक्सिडेटिव तनाव पैदा करता है जो डीएनए कोशिकाओं को क्षति पहुँचा सकता है या उन्हें समाप्त कर सकता है। एंटीऑक्सिडेंट्स ऐसे मिश्रण होते हैं जो ऑक्सीजन प्रजातियों/मुक्त मूल तत्वों को निष्क्रिय बनाते है और, इस तरह वे कोशिकाओं और शरीरिक ऊतकों को होने वाली ऑक्सिडेंटिव क्षति को रोकते हैं। पौधों से बनने वाला भोजन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक होता है, क्योंकि वह ऑक्सिडेंट्स और एंटीऑक्सिडेंट्स के बीच संतुलन कायम करते हुए हमारे शरीर में ऑक्सिडेंटिव तनाव दूर करता है। पौधों/मवेशी से प्राप्त भोजन में कई किस्म के पोषक/गैर-पोषक एंटीऑक्सिडेंट, जैसे ग्लुटेथिओन, विटामिन सी, विटामिन ए और विटामिन ई होते हैं। एंटीऑक्सिडेंट्स का आहार विषयक पूरक तत्वों के रूप में व्यापक इस्तेमाल किया जा रहा है और वे कैंसर, कोरोनरी हृदय रोग और यहाँ तक कि ऊँचाई पर होने वाली रुग्णता जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए जाँचे-परखे जा रहे हैं।

दूसरी ओर फाइटोकैम्किल्स ऐसे मिश्रण हैं जो प्राकृतिक रूप में पौधों (ग्रिक भाषा में फाइटों का अर्थ पौधा होता है) में घटित होते हैं। तकनीकी दृष्टि से, हालांकि इसके अंतर्गत पादप आधारित मिश्रणों की अनेक किस्में आती हैं, परंतु मुख्य रूप से इस शब्द का इस्मेमाल उन मिश्रणों के लिए किया जाता है जो मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।

फाइटोकैमिकल्स के अंतर्गत गैर-पोषक एवं जैविक दृष्टि से सक्रिय मिश्रणों की कई प्रजातियाँ (फ्लेवोनोइड्स और पोलिफेनोल्स) आती हैं, जो पादप भोजन में पाई जाती है, जो बुनियादी पोषण से परे विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं।

फाइटोकैमिकल्स वास्तव में सभी फलों, सब्जियों, दालों/फलियों और अनाज में पाए जाते हैं, जिनका आमतौर पर सेवन किया जाता है। अतः उन्हें दैनिक आहार में आसानी से शामिल किया जा सकता है। हालांकि हजारों फाइटोकैमिकल्स की पहचान की गई है, लेकिन उनमें से गिने-चुने रसायनों के बारे में अध्ययन किया गया है। कुछ जाने-माने पादप रसायनों में β-कैरोटिन और अन्य कैरोटेनॉयड्स, एस्कोर्बिक एसिड (विटामिन सी), फोलिक एसिड, और विटामिन ई शामिल हैं। कुछ पादप रसायनों में एंटीऑक्सिडेंट सक्रियता या हार्मोन जैसी अनुक्रियाएँ भी होती हैं।

1. एंटीऑक्सिडेंट हमारे शरीर में ऑक्सीकरण के दुष्प्रभावों का मुकाबला करते हैं। इनमें विटामिन ए, एस्कोर्बिक एसिड (विटामिन सी) विटामिन ई, पोलिफेनोल्स और विभिन्न खनिज (जैसे सेलेनियम) शामिल हैं जो मुक्त रेडिकल्स (मूल तत्व) को शांत करते हुए हमारी रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं।

2. मुक्त रेडिकल्स उच्च-अनुक्रियात्मक मिश्रण होते हैं, जो हमारे शरीर में होने वाली सामान्य मेटोबोलिक प्रक्रियाओं के दौरान सह-उत्पादों के रूप में बनते हैं अथवा वातावरण से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स इन नुकसानदायक मिश्रणों को शांत करते हुए विभिन्न प्रकार के कैंसर को रोकने और प्रतिरक्षण प्रणाली को मजबूत बनाते हुए एचआईवी रोगियों के प्रबंधन में भी मददगार बनते हैं।

3. विटामिन ई और एस्कोर्बिक एसिड जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स वृद्ध होने की प्रक्रिया को टालने में भी सहायक हो सकते है; और वे स्मृति क्षति को रोकने या खोई स्मृति क्षमता वापस लाने में भी सहायक हो सकते हैं।

अध्ययनों से पता चलता है कि एंटीआक्सीडेंट्स की दृष्टि से समृद्ध भोजन के विभिन्न समीकरण स्वास्थ्य को ऐसे लाभ पहुँचाते हैं जो अकेले किसी एक भोजन से संभव नहीं है। उदाहरण के लिए ब्लूबेरी (नील बदरी), स्ट्राबेरी (हिसालू) और स्पिनिच (पालक) में मौजूद एंटीआक्सीडेंट स्नायु प्रणाली की रक्षा करते हैं क्योंकि वे उस एंजाइम को रोकते हैं, जो विभिन्न प्रकार की स्नायु विषयक विकृतियों के लिए जिम्मेदार होता है। इनमें ऑटिज्म, डिप्रेशन और सिजोफ्रेनिया जैसी विकृतियाँ शामिल हैं।

4. एंटीऑक्सीडेंट्स विभिन्न प्रकार की न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारियों जैसे, अल्जाइमर (मानसिक रोग)/पार्किसन्स के उपचार में भी लाभदायक हो सकते हैं।

अल्जाइमर बीमारी (एडी) चिरकालिक डिमेंशिया का एक रूप है जो मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों में प्लेग एकत्र होने और विभिन्न प्रकार के स्नायुओं के नष्ट होने के कारण होता है। यह आमतौर पर 70 वर्ष की आयु के बाद शुरू होता है। इसके प्रारंभिक लक्षणों में विस्मृति और सुगंध/स्वाद के प्रति संवेदनशीलता में कमी आना शामिल है जिसकी परिणति धीरे-धीरे व्यवहार संबंधी समस्याओं के रूप में होती है जैसे अस्थिर चित्त, उग्रता और निद्रादोष प्रकट होना। इनका दुष्प्रभाव भोजन ग्रहण करने और सुरक्षित तत्वों की बरबादी के रूप में सामने आता है जिससे पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है।

पार्किंसन बीमारी (पीडी) डोपामाइन का समुचित सृजन न हो पाने के कारण होती है। इसकी शुरुआत आमतौर पर करीब 60 वर्ष की आयु या उससे पहले होती है। यह बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होती है। इसके लक्षणों में हाथ, भुजा, पैर, जबड़ा और चेहरा कांपना; हाथ, पैर और धड़ का सख्त होना; गति में कमी आना; और संतुलन/समन्वय का अभाव होना शामिल है। कुछ रोगियों को डिप्रेशन और निद्रा संबंधी समस्याएँ भी होती हैं।

एंटीऑक्सीडेंट और अन्य भोजन अवयवों के बीच लाभदायक परस्पर अनुक्रियाओं के लिए यह सलाह दी जाती है कि एंटीऑक्सीडेंट पूरक तत्वों के रूप में लेने की बजाय भोजन स्रोतों से ग्रहण करने चाहिए जो स्वास्थ्य को अधिक लाभ पहुँचाते हैं।

अधिकतम स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के पादप स्रोतों से प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोकैमिकल्स की पर्याप्त मात्रा का सेवन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।आधुनिक जीवनशैली संबंधी बदलावों (निष्क्रिय जीवनशैली, आहार पद्धतियाँ, तनाव और कुछ मामलों में धूम्रपान/नशीली दवाएँ/अल्कोहल का सेवन) के कारण मुक्त रेडिकल्स और अनुक्रियात्मक ऑक्सीजन प्रजातियों का उत्सृजन अधिक मात्रा में हो सकता है। अनेक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स स्वास्थ्य देखभाल में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। पादप भोजन प्राकृतिक रूप से होने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स का प्रमुख स्रोत होते हैं; फल, सब्जियाँ, जड़ें और ट्यूबर, पोलिफेनोल्स का समृद्ध स्रोत हैं। अतः डिजेनेरेटिव (अपकर्षक) बीमारियों का जोखिम कम करने के लिए फलों/सब्जियों के अधिक इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। सुरक्षा और उपचारात्मक प्रभाव की संभावनाओं को देखते हुए प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स में आहार विशेषज्ञों, खाद्य विनिर्माताओं और उपभोक्ताओं की पर्याप्त रुचि होती है।

फेनोलिक मिश्रणों की संभावित एंटीऑक्सीडेंट सक्रियता के आधार पर पादप खाद्य पदार्थों की कुल फेनोलिक मात्रा (टीपीसी) में भारी अंतर होता है। ताजा फलों की टीपीसी 26 मि.ग्रा./100 ग्राम (तरबूज) से लेकर 374 मि.ग्रा./100 ग्राम (अमरूद) तक और मेवों की टीपीसी 99.0 मि.ग्रा./100 ग्राम (पियाल बीज/चिरोंजी नट) से लेकर 959.7 मि.ग्रा./100 ग्राम (अखरोट) तक होती है। इसके अलावा गहरे रंग की सब्जियाँ जैसे चुकंदर और लाल पत्तागोभी में एंटीऑक्सीडेंट सक्रियता होती है जबकि गाजर में टीपीसी सबसे कम होती है।

यह याद रखना महत्त्वपूर्ण है कि एंटीऑक्सीडेंट्स पूरक तत्वों की अधिक मात्रा, कुछ मामलों में, स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकती है। उदाहरण के लिए बी-कैरोटीन की अधिक मात्रा से धूम्रपान करने वालों में फेफड़े के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है जबकि विटामिन ई की अधिकता से प्रोस्टेट कैंसर और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

व्यावहारिक खाद्य वस्तुएँ इस तरह से तैयार की जाती है कि वे प्राकृतिक रूप में पौष्टिक भोजन के सेवन में मदद पहुँचाती हैं ताकि तरल अथवा कैप्सूल के रूप में आहार विषयक लेने की आवश्यकता न पड़े। व्यावहारिक खाद्य वस्तुएँ इस तरह से संसांधित या संरक्षित की जाती हैं कि वे पोषक तत्वों का स्तर उतना या उससे अधिक बनाए रख सके जितना कि प्रसंस्करण से पहले उनमें विद्यमान था। कभी-कभी पोषक मूल्य बढ़ाने के लिए पूरक पोषक तत्व/विभिन्न मिश्रण जोड़े जाते हैं अथवा खाद्य वस्तुओं का स्वास्थ्यवर्धक प्रभाव बढ़ाया जाता है जैसे दूध में विटामिन डी जोड़ना, दूध आधारित पेय पदार्थों में पादप सांद्रव मिलाना।

फाइटोकैमिकल और स्वास्थ्य पर उनका प्रभाव


फाइटोकैमिकल (पोलिफेनोल्स, टोकोफेरोल्स, टोकोट्रिएनोल्स, क्रोनॉयड्स और एस्कोर्बिक एसिड) का सेवन स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने और अनेक बीमारियों की रोकथाम/उपचार से संबद्ध है। इन बीमारियों में कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, मेटाबोलिक सिंड्रम और अन्य डिजेनेरेटिव बीमारियाँ शामिल हैं।

कुछ फाइटोकैमिकल भोजन के रंग एवं अन्य आर्गेनोलेप्टिक गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं जैसे ब्लूबेरी का गहरा बैंगनी रंग और लहसुन की तीखी गंध। विभिन्न प्रकार के करीब 4000 ऐसे फाइटोकैमिकल्स हैं जो बीमारी की स्थितियों में लाभ पहुँचाते हैं। उदाहरण के लिए टमाटर में मौजूद लिकोपिन को हृदय रोगों और प्रोस्टेट कैंसर से बचाव में मददगार समझा जाता है।

फाइटोकैमिकल्स, पोलिफेनोल्स के अनेक प्रमुख समूहों में व्यापक मिश्रणों का एक बड़ा उप समूह शामिल है जिसे फ्लेवोनोइड्स कहा जाता है। फ्लेवोनोइड्स विभिन्न प्रकार के फलों, सब्जियों और अनाज में पाया जाता है, आइसोफ्लोनोस (सोयाबीन/सोया उत्पादों में मौजूद, अलसी के बीजों और साबुत अनाज में मौजूद लिग्नेन्स) मादा हार्मोन एस्ट्रोजेन के कार्य का अनुकरण करते हैं। पादप स्रोतों से मिलने वाले ये एस्ट्रोजन जैसे पदार्थ कुछ हार्मोन-आधारित कैन्सरों जैसे स्तन/कैंसर के खिलाफ संरक्षण में सहायता प्रदान करते हैं।

अन्य पोलिफेनोल्स (कुछ फ्लेवोनोइड्स सहित) एंटीऑक्सीडेंट्स के रूप में काम करते हैं। ये मिश्रण चाय और ब्रोकली, ब्रसल्ज स्प्राउट्स, बंदगोभी, फूलगोभी, आदि सब्जियों में आमतौर पर पाए जाते हैं। काले अंगूरों, लाल पत्तागोभी और लाल मूली में एंथोसाइएनिडिन्स (एक तरह का फ्लेवोनोइड) होता है जो सक्षम एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह काम करता है। कार्टोनोएड्स, जो सब्जियों और फलों को पीले से नारंगी रंग में परिवर्तित करते हैं, को कैंसर-रोधी एजेंटों के रूप में प्रोन्नत किया जाता है। टमाटर, लाल मिर्च और गुलाबी अंगूर में लिकोपीन होता है जो एक सशक्त एंटीऑक्सीडेंट है। हरी पत्तेदार सब्जियों में लुटेइन और जेक्सांथिन नाम के कार्टोनोएड्स होते हैं जो विभिन्न प्रकार के कैंसरों का जोखिम कम करते हैं। फाइटोकैमिकल्स का एक अन्य समूह एलाइल सल्फाइड्स (लहसुन और प्याज में विद्यमान) कहलाता है, जो ऐसे एंजाइम्स (किण्वकों) को तीव्र बनाता है जो नुकसानदायक रसायनों से छुटकारा पाने में मददगार हैं। ये हमारी रोग प्रतिरक्षण प्रणाली को सुदृढ़ करने में भी मददगार हैं।

अधिकतम स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के पादप स्रोतों से प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोकैमिकल्स की पर्याप्त मात्रा का सेवन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

(स्रोतः पसूका)

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