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Gandaki river in Hindi / गण्डकी

पुराणों में इसे गंगा की सात धाराओं में से एक धारा माना जाता है। हिमालय की धौलागिरि के एकमात्र पर्वत नारायण से सप्त गण्डक स्थान पर प्रकट होकर मुक्ति नाथ, भैरहवा आदि में प्रवाहित होती हुई यह गण्डकी, सोनपुर-पटना के पास गंगा नदी में समाहित हो जाती है। नेपाल के अधिकांश भाग में बहने वाली इस नदी के ऊपरी भाग में सुवर्ण मिश्रित शालग्राम मिलते हैं जिससे इसे हिरण्यवती नाम भी दिया गया है। वैसे इसके और भी नाम हैं। भागवत एवं ब्रह्मांड पुराण में बलरामजी की तीर्थयात्रा प्रसंग में यहां आने का विशेष उल्लेख है। जरासंध वध के समय कृष्ण, अर्जुन, भीमसेन आदि ने इसमें स्नान किया था। उल्लेखनीय है कि इसके जल में स्नान करने वाले को अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। उसे सूर्य लोक की भी प्राप्ति हो जाती है।

वृंदा, शंखचूड़ की पत्नी थी लेकिन विष्णु की उपासक सदा तन-मन से उन्हीं को पति रूप में पाने के लिए उपासना करती। विष्णु उनके मन की बात जानते थे, इसलिये छल से पति बनने का अभिनय किया तो वृन्दा रुष्ट हो गई और उन्होंने विष्णु को शाप दिया कि वे पत्थर बन जाएं और छल से पति का रूप धरा, इसलिये उस शरीर को त्याग स्वयं गंडकी नदी में बदल गई तथा उन्हें हृदय में धारण कर लिया। हिमालय के मध्य भाग में शालग्राम शिखर है। यह शिखर शालग्राम पर्वत तथा मुक्तिनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। यहां भगवान विष्णु के गण्डस्थल से समुद्रभूत गण्डकी नदी प्रवाहित होती है और जिसके गर्भ में शालग्राम शिला प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। सोमेश्वर की पहाड़ियों से निकली बूढ़ी गंडक नदी तथा मध्य हिमालय के अन्नपूर्णा, मानंग मोट एवं कुतांग की गंडक उपर्युक्त गण्डकी नदी के प्रतिरूप हैं।

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बाहरी कड़ियाँ:

विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia):
गंडक बिहार और नेपाल में बहने वाली एक नदी का नाम है। इस नदी को नेपाल मे सालिग्रामि और मैदान मे नारायनी कहते है यह पटना के निकट गंगा मे मिल जाती है। इस नदी की लम्बाई लगभग १३१० किलोमीटर होगी।

गंडक नदी, 'नारायणी' नदी भी कहलाती है।

यह मध्य नेपाल और उत्तरी भारत में स्थित है।

यह काली और त्रिशूली नदियों के संगम से बनी है, जो नेपाल की उच्च हिमालय पर्वतश्रेणी से निकलती है।

इनके संगम स्थल से भारतीय सीमा तक नदी को नारायणी के नाम से जाना जाता है।

यह दक्षिण-पश्चिम दिशा में भारत की ओर बहती है और फिर उत्तर प्रदेश-बिहार राज्य सीमा के साथ व गंगा के मैदान में दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती है।

यह 765 किमी. लम्बे घुमावदार रास्ते से गुज़रकर पटना के सामने गंगा नदी में मिल जाती है।

बूढ़ी गंडक नदी एक पुरानी जलधारा है, जो गंडक के पूर्व में इसके समानांतर बहती है।

यह मुंगेर के पूर्वोत्तर में गंगा से जा मिलती है।

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