गंगा बहे अविरल, तो होगी निर्मल

25 Jan 2016
0 mins read

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की हरिद्वार ईकाई ने हरिद्वार के होटलों को फरमान कर दिया कि वे अपने होटलों को प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड में पंजीकृत करवा ले और बोर्ड की संस्तुति भी प्राप्त कर लें। समय रहते ऐसा नहीं हुआ तो होटलों के लाइसेंस निरस्त कर दिये जाएँगे। इसके अलावा बोर्ड अब नगर निगम, जल संस्थान, एचआरडीए, ऊर्जा निगम, परिवहन निगम, तहसील प्रशासन, विकास विभाग जैसे सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों को इस आदेश से जोड़ने की तैयारी एनजीटी कर रहा है। एनजीटी के अनुसार एक होटल से औसतन 15 हजार रु. सालाना प्रदूषण कर के रूप में वसूला जाएगा। गंगा नदी गोमुख से गंगा सागर तक कितनी मैली हो रही है यह सभी जानते हैं। हम यहाँ सिर्फ गोमुख से हरिद्वार तक की बात कर रहे हैं कि क्या गंगा यहाँ पर भी भविष्य में पहले जैसी अविरल व स्वच्छ बहती हुई नजर आएगी? जी हाँ नजर आएगी।

क्योंकि राज्य सरकार ने जो अब गंगा की स्वच्छता के लिये ज़िम्मेदारी ले ली है। राज्य सरकार दावा कर रही है कि अगले छः माह के भीतर गंगा में सफाई का काम शुरू कर दिया जाएगा।

दिल्ली में हुई कैबिनेट सचिव स्तरीय बैठक में बाक़ायदा खाका भी तैयार हो चुका है। इस अन्तराल में 12 कस्बो के 24 स्थानों पर कॉमन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना है। इसके लिये जगदीशपुर में बाक़ायदा 90 करोड़ से 45 एमएलडी का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है।

इस बाबत केन्द्र सरकार ने 500 करोड़ रुपए के बजट को हरी झण्डी भी दे दी है। इस बात की पुष्टी उत्तराखण्ड सरकार में अपर मुख्य सचिव एस. राजू ने की है।

उल्लेखनीय हो कि सरकारी लावलश्कर की मेहरबानी से गंगा की सफाई एक बारगी हो जाएगी। क्या उसके बाद लगातार गंगा निर्मल और अविरल दिखेगी यह अहम मसला है। क्योंकि एक तरफ गंगा पर भारी-भरकम परियोजनाएँ बनाई जा रही हैं तो दूसरी तरफ गंगा को निर्मल करने की बात हम लगातार कर रहे हैं।

यह दोनों कार्य सन्तुलन इसलिये नहीं बना सकते कि जब तक गंगा में पानी अविरल ना बहे तब तक गंगा की स्वच्छता के बारे में कहना कठिन होगा। हरिद्वार से गोमुख तक दो दर्जन ऐसे शहरनुमा कस्बे हैं जहाँ पर सीवेज की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। यह ऐसे कस्बे हैं जो अभी-अभी विकसित हो रहे हैं।

यहाँ पहाड़ के गाँव से लोग सड़क किनारे कस्बों की तरफ बढ़ रहे हैं। उन्हें अपने नौनिहालों को अच्छी शिक्षा देनी है, सुलभ स्वास्थ्य पाना है तो वे लोग पहाड़ के गाँव छोड़कर नदियों के किनारे व राष्ट्रीय राजमार्गों पर अपने अथवा किराए के आशियाने में प्रवास करने को मजबूर हो रहे हैं।

इस कारण पहले जहाँ होटलनुमा ढाबा हुआ करते थे वहाँ पर अब एक बाजार व कस्बे का रूप ले लिया है। ऐसे कस्बों का सीवेज सीधे गंगा मे ही समाहित हो रहा है। इन स्थानों पर जो होटल, आश्रम व अन्य ढाँचागत विकास हो रहे हैं उनके सामने अब तक कोई स्पष्ट खाका नहीं है कि वे भविष्य में सीवेज का शोधन कैसे करेंगे।

सरकार भी इन विकसित हो रहे कस्बों के विकास के लिये मुस्तैद दिख रही है तो वहीं गंगा की सफाई के लिये भी कमर कस चुकी है। हालात ऐसे बन रहे हैं कि मानवमल से लेकर अन्य गन्दगी को गंगा में मिलने से गंगा का पानी विषैला बनता जा रहा है। अर्थात अन्तर साफ दिखाई दे रहा है कि जल उपयोग में दो तरह से काम हो रहे है।

एक संस्थान अथवा कम्पनी जल दोहन का काम कर रही है तो दूसरी जल संरक्षण की बात कर रही है। दोनों के कामों में भेद स्पष्ट है। होना यह चाहिए था कि जो भी संस्थान अथवा कम्पनी जल दोहन, उपयोग पर काम करेगी उसकी ही ज़िम्मेदारी हो कि वह जल संरक्षण का भी काम साथ-साथ करें।

ज्ञात हो कि गोमुख से हरिद्वार तक गंगोत्री, दराली, हर्षिल, गंगनाणी, भटवाड़ी, मनेरी, गंगोरी, उत्तरकाशी, धरासू, चिन्यालीसौड़, कण्डीसौड़, चम्बा, कोटीकालोनी, कोटेश्वर, देवप्रयाग, तीनमूर्ती, कौड़ियाला, ऋषिकेश, हरिद्वार ऐसे बाजार हैं जहाँ पर सीवेज के ट्रीटमेंट की समुचित व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है।

इधर स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इन स्थानों पर ‘गंगा एक्शन प्लान’ से सीवेज ट्रीटमेंट का काम समय रहते हो जाता तो गंगा की हालात आज ऐसी नहीं होती। उत्तरकाशी में रह रहे नदी बचाओ अभियान के संयोजक सुरेश भाई, देवप्रयाग के किशनदत्त, चम्बा में पर्यावरण कार्यकर्ता राकेश बहुगुणा, ग्लेशियर लेडी शान्ती ठाकुर का कहना है कि गंगा सफाई अभियान से पहले ‘गंगा एक्शन प्लान’ के कार्यों की जाँच होनी चाहिए और गंगा पर बन रहे बाँधों के बारे में पुनर्विचार होना चाहिए।

वे मानते हैं कि गंगा सफाई से पूर्व गंगा की अविरलता के बारे में सोचना महत्त्वपूर्ण होगा। उनका आरोप है कि यदि गंगा पर सभी बाँध बन गए तो गंगा गोमुख से ऋषिकेश तक लुप्तप्रायः हो जाएगी।

इस अन्तराल में जो कस्बे विकसित हो रहे हैं उनका सीवेज गंगा के पानी की जगह ले लेगा और स्पष्ट दिखाई देगा कि यहाँ पर गंगा नहीं है यहाँ तो सीवेज का गन्दला पानी बह रहा है। यही नहीं जब गंगा सुरंगों से गुजरेगी तो इन सुरंगों के ऊपर बसे गाँव कितने सुरक्षित होंगे यह नज़ारा भी सभी के सामने होगा।

बताया जा रहा है कि गंगा पर निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजनाओं की सुरंगों के ऊपर बसे गाँव दहशत में है और उनके प्राकृतिक जल स्रोत सूख चुके हैं, उनके आवासीय भवनों में लगातार दरारें आ रही हैं। यहाँ के ग्रामीण एक तरफ पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ दरारनुमा हो चुके भवन उनकी सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर रहा है।

कुल मिलाकर गंगा को अविरल और स्वच्छ बनाने के लिये लोक सहभागिता पर फोकस करने की बात सामने आ रही है। हरिद्वार से लेकर गोमुख तक के लोगों से पता चलता है कि गंगा पर जितनी भी योजनाएँ बनाई जा रही हैं उसमें लोक सहभागिता का अभाव है।

सत्ता में बैठे लोग ही अपने कुनबों की संस्तुति को सर्वोपरी मानते हैं। उसमें लोक-समाज कहीं नजर नहीं आ रहा है यानि राजनीतिक दलों के रहमों-करम पर ही योजनाओं की इतिश्री हो रही है। यही वजह है कि गंगा सफाई अभियान की फिर से जरूरत महसूस हुई।

ग़ौरतलब हो कि यदि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों का भी पालन किया जाता तो भी गंगा की निर्मलता और अविरलता बनी रहती और सरकार को अपने खज़ाने से धन खर्च नहीं करना पड़ता। बताया जा रहा है कि एनजीटी होटलों के बाद सरकारी और गैरसरकारी संस्थानों को भी प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के दायरे में लाएगी।

यदि ऐसा हो गया तो सरकार को पाँच से छः करोड़ तक का सालाना राजस्व प्राप्त होगा। क्योंकि इस सीख से लोग खुद ही प्रदूषण पर नियन्त्रण रखेंगे तो वही नियमित मिलने वाले राजस्व से सीवेज को ट्रीटमेंट करने में सहूलियत होगी।

Tags


ganga river history in hindi, autobiography of river ganga in hindi language, information on river ganga in hindi language, national river ganga basin authority in hindi, national river ganga basin authority (ngrba) in hindi, depth of river ganga in hindi, about river yamuna in hindi, ganga serial in hindi, autobiography of river ganga in hindi, ganga in hindi wikipedia, ganga hindi poem, ganga hindi tv serial, ganga hindi serial online, ganga hindi recitation, ganga hindi poem lyrics, ganga cleaning project ppt, ganga cleaning news in hindi, clean ganga project in hindi, namami gange in hindi, ganga action plan in hindi, narendra modi in hindi, mettur dam in hindi, national green tribunal in hindi, ngt order on diesel vehicles in hindi, ngt order 2015 in hindi, ngt order on diesel cars in hindi, ngt order on vehicles in hindi, ngt orders today in hindi, ngt delhi in hindi, ngt bhopal in hindi, national green tribunal cause list in hindi, causes of water pollution in river ganga in hindi, ganga river pollution case study in hindi, ganga action plan in hindi, ganga river pollution solutions in hindi, ganga action plan wikipedia in hindi, ganga river pollution in hindi, most polluted river in the world in hindi, ganga action plan case study in hindi, places to visit in haridwar in hindi, haveli hari ganga in haridwar in hindi, ganga in uttrakhansd in hindi, ganga in dharampuri in hindi, state of haridwar in hindi, haridwar uttarakhand in hindi, har ki pauri haridwar in hindi, har ki pauri aarti timings in hindi, namami gange wiki in hindi, namami ganga project in hindi, namami gange in hindi, namami gange yojana in hindi, namami gange official website in hindi, namami gange mission in hindi, namami gange song in hindi, swachh bharat abhiyan in hindi.

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading