गंगा का उद्गम स्थल गोमुख या मानसरोवर


 

विस्तृत शोध की जरूरत


संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि गोमुख से मानसरोवर की दूरी लगभग पंद्रह किलोमीटर है। लेकिन यह रास्ता समतल न होकर टेढ़ी-मेढ़ी पर्वत श्रृंखलाओं से होकर गुजरता है। इन पर्वत श्रृंखलाओं की सतह के नीचे हो सकता है कि कोई सुरंग हो जिसके भीतर ही भीतर पानी रिसते हुए धीरे-धीरे गोमुख की ओर पहुँचता हो। हालाँकि यह एक कल्पना है और इसकी सच्चाई के लिये उस पर्वत श्रृंखला का भी विस्तृत शोध करना अनिवार्य होगा।

 

नई दिल्ली। भारतीय जनमानस में गंगा का उद्गम स्थल सैकड़ों सालों से गोमुख को बताया गया है लेकिन अब इसमें विवाद पैदा हो गया है। क्योंकि चीन ने दावा किया है कि गंगा वास्तव में मानसरोवर से निकली है न कि गोमुख से। इस विवाद को हल करने के लिये केन्द्र सरकार के आदेश पर रुड़की स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी के वैज्ञानिक ऋग्वेद, उपनिषद, शिव पुराण आदि में गंगा का उद्गम स्थल को लेकर शोध कर रहे हैं।

वैज्ञानिक परीक्षण


संस्थान ने अब तक किये शोध के बाद दावा किया है कि गंगा के उद्गम स्थल को लेकर जो भी रहस्य हैं वह इस वर्ष कैलाश मानसरोवर की यात्रा के बाद सुलझा लिया जाएगा, क्योंकि वाटर आइसोटॉप्स तकनीक से गंगा के वास्तविक उद्गम स्थल का पता लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके लिये मानसरोवर झील के चार स्थानों से पानी के नमूने का संग्रह किया जाएगा। एचटूओ का न्यूक्लियर हाइड्रोलॉजी आइसोटॉप्स लैब में परीक्षण किया जाएगा। ठीक इसी तरह से उत्तराखण्ड के गोमुख के जल का भी परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह बता पाना संभव होगा कि गंगा का वास्तव में उद्गम स्थल भारत में या चीन में है।

अब तक जाँच की जरूरत महसूस नहीं


संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना कि अब तक गंगा के उद्गम स्थल को लेकर किसी प्रकार की जाँच पड़ताल नहीं की गई थी। यह भी सही है कि इसकी आवश्यकता भी महसूस नहीं की गई थी। हालाँकि चीन ने यह अवश्य कहा है कि गंगा का उद्गम स्थल मानसरोवर है लेकिन उसने इसकी सच्चाई के लिये कोई वैज्ञानिक शोध अपने दावे के समर्थन में पेश नहीं किया है। केवल भारतीय ही नहीं विदेशी भी मानते हैं कि गंगा का उद्गम स्थल गोमुख ही है।

गंगा के प्रवाह में कमी


संस्थान के वैज्ञानिक गंगा के प्रवाह के बारे में भी शोध कर रहे हैं। कारण यह माना गया है कि पिछले कुछ सालों में गंगा के प्रवाह में कमी आई है। वैज्ञानिक इस बात पर शोध कर रहे हैं कि गंगा के प्रवाह में कमी के पीछे कहीं चीन की किसी प्रकार की छेड़खानी की नीति तो काम नहीं कर रही है।

यह है धार्मिक मान्यता


हिन्दू धर्मग्रंथों में गंगा को सबसे पवित्र नदी होने का दर्जा प्राप्त है। इस नदी किनारे करोड़ों लोग बसे हुए हैं और यह उनके लिये जीवन दायनी रेखा है। पेयजल, सिंचाई से लेकर परिवहन तक के लिये इस नदी का उपयोग किया जाता है। भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार राजा भागीरथ के कठोर तप और आग्रह से वशीभूत भागीरथ के पूर्वजों और राजा सगर के पुत्रों का उद्धार करने के लिये गंगा को धरती पर आना पड़ा था।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading