गंगा के लिए गिरफ्तार

19 Nov 2009
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swami dayanand ji
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पहले की खबर के लिए आप नीचे देखें। अब 18 नवंबर को स्वामी यजनानन्द को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उनके बाद भी अनशन सत्याग्रह को स्वामी पूर्णानन्द जारी रखे हुए हैं। स्वामी यजनानन्द की गिरफ्तारी का वीडियो आप ऊपर देख रहे हैं।

ब्रह्मचारी स्वामी दयानन्द जीब्रह्मचारी स्वामी दयानन्द जीसैकड़ों ट्रैक्टर, ट्रक, जेसीबी मशीन के भयंकर खनन से गंगा भयानक रूप से प्रदूषित हो रही है। गंगा के सुन्दर तटों एवं द्वीपों का विनाश हो रहा है। और यह खनन लगातार जारी है। हरिद्वार के अजीतपुर, मिसारपुर और आसपास के क्षेत्रों की गंगा में 20 से 30 फीट तक खोदा जा चुका है। आसपास के क्षेत्र और द्वीप नष्ट किए जा रहे हैं। गंगा के विनाश के खिलाफ मातृ सदन और उनके ब्रह्मचारी पिछले कई सालों से खनन माफिया के खिलाफ सत्याग्रह शुरू कर रखा है।

15 अक्टूबर से हरिद्वार में शुरू हुआ ब्रह्मचारी स्वामी दयानन्द जी द्वारा सत्याग्रह आंदोलन का आज भी चालू है, 26 अक्टूबर की रात को जबरन उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उनके ऊपर घारा 309 का केस दर्ज करने की कोशिश की गयी। जज के मना करने के बाद उनके खिलाफ सरकारी काम में गड़बड़ी फैलाने के आरोप में जेल में डाल दिया गया है। प्रशासन के अत्याचार के खिलाफ स्वामी ब्रह्मचारी यज्ञानन्द जी का 26 अक्टूबर से मातृ सदन में ही अनशन शुरू हो गया था अब उनको 18 नवंबर को गिरफ्तार किया गया है।

29 अक्टूबर को गंगा बेसिन प्राधिकरण के सदस्य राजेन्द्र सिंह और रवि चोपड़ा ने मातृ सदन के स्वामी शिवानन्द, सिटीजन काउंसिल हरिद्वार के डॉ विजय वर्मा तथा विजेन्द्र चौहान के साथ गंगा नदी के उन क्षेत्रों का दौरा किया जहाँ से पत्थरों का बेतहाशा अवैध उत्खनन किया जा रहा है।

इसके बाद यह टीम रोशनाबाद जेल भी गई, जहाँ कि स्वामी दयानन्द का अनशन सत्याग्रह लगातार जारी है। स्वामी जी की हालत दिनोंदिन गिरते जाने के बावजूद, इन सदस्यों को हरिद्वार के प्रशासन ने उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी। गंगा बेसिन प्राधिकरण के सदस्यों ने भी गंगा से पत्थरों के उत्खनन के विरोध में स्वामी दयानन्द के अनशन को अपना समर्थन व्यक्त किया।

टीमसिटीजन काउंसिल हरिद्वार के डॉ विजय वर्मा कहते हैं ‘लगता है प्रशासन अब उत्खनन माफ़िया के आगे नतमस्तक होकर दमन पर उतारू हो गया है।‘

पिछले जनवरी 2009 में 30 दिन के करीब मातृ सदन हरिद्वार में स्वामी दयानन्द जी का अनशन हुआ था। जिनकी मुख्य मांग हरिद्वार में हो रहे गंगा के ढांगों में खनन को बन्द करवाने के लिए थी। स्वामी दयानंद ने 30 दिन उपवास किया और कमिश्नर ने खनन रोकने का आदेश दिया।

इसके पहले भी मातृ सदन के स्वामी निगमानंद द्वारा 73 दिन का अनशन 20 /1/2008 से 1/4/2008 तक चला था। स्थिति खराब होने पर भाजपा की खण्डूरी सरकार द्वारा लिखित समझौता हुआ और खनन बंद हो गया। परंतु सरकार ने वायदा खिलाफी की एवं धोखाधड़ी करते हुए 10 महीने बाद 4/2/09 से दोबारा खनन खोल दिया। 2008 में स्वामी निगमानंद सरस्वती ने अजीतपुर और मिसारपुर, हरिद्वार के कुंभ क्षेत्र को बचाने के लिए 73 दिनों के लिए उपवास किया था। 69वें दिन, तत्कालीन आयुक्त श्री सुभाष कुमार ने चालबाजी से मातृ सदन को बताया कि ये क्षेत्र कुंभ क्षेत्र में नहीं हैं। खैर जो भी रहा, उत्तराखंड में खंडूरी सरकार ने खनन बंद कर दिया था।

बार-बार अपने जान की परवाह न कर, गंगा की रक्षा के लिए लम्बे अनशन का परिणाम हो रहा है कि स्वामी दयानंद जी के शरीर के कई अंग अशक्त हो चुके हैं।


 

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