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गंगा की सफाई योजना

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लव तालाब में डेढ़ हेक्टेयर के क्षेत्र में पानी भरा है। इस रमणीक संरचना के आस-पास के किसानों ने गर्मियों में सब्जी की फसल सहित तीन-तीन फसलें ली हैं। यहाँ अब गर्मी में भी ट्यूबवेल पानी दे रहे हैं। तालाब के दोनों ओर 25-25 बीघा जमीन सिंचित हो रही है। जबकि, तालाब बनने के पूर्व गाँव के सभी नलकूप सूख जाया करते थे। लव तालाब के पास ही इसका भाई यानी कुश तालाब है। पानी आन्दोलन की जड़ें जमाने में पंचायत की एक पुरानी तलैया की भी सराहनीय भूमिका रही है।

नमामि गंगे कार्यक्रम गंगा नदी को बचाने का एक एकीकृत प्रयास है और इसके अन्तर्गत व्यापक तरीके से गंगा की सफाई करने को प्रमुखता दी गई है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत नदी की सतही गन्दगी की सफाई, सीवेज उपचार के लिये बुनियादी ढाँचे, एवं नदी तट विकास, जैव विविधता, वनीकरण और जनजागरूकता जैसी प्रमुख गतिविधियाँ शामिल हैं। इस सफाई योजना के तहत पिछले वर्ष इलाहाबाद, कानपुर, वाराणसी, मथुरा, वृन्दावन और पटना में ट्रेश स्कीमर से सफाई का कार्य निगमित सामाजिक उत्तरदायित्वि के तहत शुरू किया गया था।गंगा को स्वच्छ करने के लिये तीन दशक में कई योजनाएँ आईं। लेकिन योजनाओं में करोड़ों रुपए पानी की तरह बह गए, कोई खास फायदा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने गंगा को अविरल बहने और निर्मल करने की महत्त्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे तो शुरू ही की, गंगा पर अतिरिक्त संवेदनशीलता दर्शाते हुए एक अलग मंत्रालय का गठन भी कर दिया। इसकी मंत्री साध्वी उमा भारती हैं।

उमा भारती इस सरकार में मंत्री बनने के पहले से ही गंगा के सफाई अभियान से जुड़ी रही हैं। वे उत्तराखण्ड से गंगा उद्गम स्थल से गंगासागर तक की यात्रा भी कर चुकी हैं। उनके मंत्री बनने के बाद देश की जनता में इस आशा का संचार हुआ था कि अब गंगा की सफाई सिर्फ योजनाओं तक नहीं रह जाएगी। गंगा को साफ करने के लिये सिर्फ योजनाओं की घोषणा नहीं होगी। जमीन पर भी कुछ काम दिखेगा। लेकिन दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि ढाई साल बीत जाने के बाद गंगा की सफाई अभियान में कुछ कारगर नहीं दिख रहा है।

यह बात अलग है कि अभी हाल ही में मंत्री महोदया ने फिर कई योजनाओं की घोषणा की है। इससे कुछ आशा बनती है कि गंगा की गन्दगी में कुछ सुधार होगा। हाँ, यह है कि नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा में गिरने वाले गन्दगी को साफ करने के लिये जगह-जगह ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं। इसी के तहत हरिद्वार और वाराणसी में नमामि गंगे के तहत कई परियोजनाओं को मंजूरी मिली है।

केन्द्र सरकार ने हरिद्वार में होने वाले सीवेज प्रदूषण के निस्तारण के लिये नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कई परियोजनाएँ तैयार की है। इसके अन्तर्गत हरिद्वार के जगजीतपुर में 110.30 करोड़ रुपए की लागत से 68 एमएलडी के एसटीपी और सराय में 25 करोड़ की लागत से 14 एमएलडी के एसटीपी के बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये हाइब्रिड एन्यूटी आधारित पीपीपी मॉडल पर कार्य के टेंडर जारी करने के लिये उत्तराखण्ड पेयजल निगम को निर्देशित किया गया है।

जगजीतपुर में 81.15 करोड़ रुपए की लागत से आई और डी कार्य की शुरुआत की जा रही है। जगजीतपुर में 27 एमएलडी प्लांट के टरटियरी ट्रीटमेंट और सराय में 18 एमएलडी प्लांट के टरटियरी ट्रीटमेंट का डीबीओटी मोड में कार्य शुरू करने के लिये टेंडर जारी करने के लिये निर्देश दिये गए हैं। 29.75 करोड़ रुपए की लागत से सराय में आई और डी कार्य की शुरुआत की जा रही है। टेंडर प्रक्रिया पूर्ण होते ही राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की कार्यकारी समिति द्वारा प्रशासनिक और व्यय सम्बन्धी मंजूरी दी जाएगी।

इसी के अन्तर्गत वाराणसी के रमन्ना में 120 करोड़ रुपए की लागत वाले 50 एमएलडी के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के क्रियान्वयन के लिये हाइब्रिड एन्यूटी आधारित पीपीपी मॉडल पर कार्य को 30 दिसम्बर 2016 को मंजूरी दी गई है। उत्तर प्रदेश पेयजल निगम को टेंडर के लिये नोटिस जारी करने के लिये निर्देशित कर दिया गया है। टेंडर प्रक्रिया पूर्ण होते ही राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की कार्यकारी समिति द्वारा प्रशासनिक और व्यय सम्बन्धी मंजूरी दी जाएगी।

नमामि गंगे कार्यक्रम गंगा नदी को बचाने का एक एकीकृत प्रयास है और इसके अन्तर्गत व्यापक तरीके से गंगा की सफाई करने को प्रमुखता दी गई है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत नदी की सतही गन्दगी की सफाई, सीवेज उपचार के लिये बुनियादी ढाँचे, एवं नदी तट विकास, जैव विविधता, वनीकरण और जनजागरूकता जैसी प्रमुख गतिविधियाँ शामिल हैं।

इस सफाई योजना के तहत पिछले वर्ष इलाहाबाद, कानपुर, वाराणसी, मथुरा, वृन्दावन और पटना में ट्रेश स्कीमर से सफाई का कार्य निगमित सामाजिक उत्तरदायित्वि के तहत शुरू किया गया था। इस दौरान टनों मात्रा में कचरा इकट्ठा कर निर्धारित स्थानों पर पहुँचाया गया था। इसके बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिले थे। आने वाले समय में अन्य चयनित शहरों में भी ट्रेश स्कीमर से नदी की सतह की सफाई शुरू की जाएगी।

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