गोलाघाट की भयावह बाढ़ में दोयांग बाँध की भूमिका

28 Aug 2018
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दोयांग बाँध
दोयांग बाँध
दोयांग बाँध (फोटो साभार - विकिपीडिया)इस साल 2 अगस्त की सुबह जब असम से बहनेवाली धानसिरी नदी का पानी नुमालीगढ़ के निकट उच्चतम बाढ़ स्तर के ऊपर पहुंच गया था, तो यह न केवल डरानेवाली खबर थी बल्कि किसी को भी इसकी उम्मीद नहीं थी।

वजह ये थी कि पहले पानी का जो उच्चतम बाढ़ स्तर था, वह 79.87 मीटर था, जो पार कर 80.18 मीटर पर पहुंच गया था यानी पूर्व के स्तर से 31 सेंटीमीटर ऊपर था।

सामान्यतः ऐसा देखने को नहीं मिलता है। यह असामान्य बात थी। दरअसल, समान्य सूरत में नया उच्चतम बाढ़ स्तर पहले के उच्चतम बाढ़ स्तर से कुछेक सेंटीमीटर ऊपर होता है, न कि एक तिहाई मीटर। दूसरी बात यह कि जलस्तर 60 घटों से अधिक समय तक 79.87 सेंटीमीटर के ऊपर रहा। यह भी एक अद्भुत बात थी क्योंकि सामान्यतः पानी उच्चतम बाढ़ स्तर से ऊपर करीब एक दिन तक रहता है। तीसरी बात यह कि पूर्व में 24 सितंबर 1985 को उच्चतम बाढ़ स्तर पर पानी पहुंचa था, इस का मतलब था कि 33 सालों का रिकॉर्ड टूट रहा था।

हाइड्रोग्राफहाइड्रोग्राफ (फोटो साभार - सैंड्रप)लेकिन, ज्यादा आश्चर्यजनक ये था कि जब हमने मौसम विज्ञान विभाग से रोज के जिला स्तरीय बारिश के आंकड़ों को देखा, तो पता चला कि 2 अगस्त 2018 के पूर्ववर्ती हफ्ते में धानसिरी नदी के कैचमेंट एरिया में अभूतपूर्व बारिश नहीं हुई थी। हालांकि, हल्की बारिश जरूर हुई थी। इसी तरह धानसिरी के आसपास की अन्य नदियों में भी अभूतपूर्व बारिश या बाढ़ के स्तर के निशान नहीं थे।

फिर धानसिरी नदी में भयावह बाढ़ आई कैसे ? असम के मुख्यमंत्री व एएएसयू व केएमएसएस जैसे संगठन जब आरोप लगाते हैं कि नागालैंड के वोखा जिले में दोयांग हाइड्रोपावर डैम से छोड़े गए पानी की बाढ़ में भूमिका है, तो एक संकेत मिलता है।

हाइड्रोग्राफहाइड्रोग्राफ (फोटो साभार - सैंड्रप)खासकर जब बाँध को परिचालित करनेवाली केंद्र सरकार की कंपनी नीप्को ने विपरीत दावा किया कि दोयांग बाँध ने नीचे की तरफ बहनेवाली नदी में बाढ़ को औसत स्तर पर रखने में मदद की। लेकिन, हर बाँध का परिचालन करनेवाले ऐसा ही दावा किया करते हैं। सैद्धांतिक रूप से हर बाँध बाँध ने नीचे की तरफ बहनेवाली नदी में बाढ़ को औसत रखने में मदद कर सकते हैं, बशर्ते कि उन्हें उसी उद्देश्य के लिये परिचालित किया जाए, लेकिन ज्यादातर बाँधों के साथ ऐसा नहीं होता है।

तो दोयांग का सच क्या था? आश्चर्यजनक रूप से नीप्को की वेबसाइट इस आशय की सूचना नहीं देती है कि 2-4 अगस्त की गोलाघाट बाढ़ से पहले दोयांग बाँध कैसे संचालित हो रहा था। नीप्को की वेबसाइट यह भी नहीं बताती है कि दोयांग बाँध का संचालन कैसे होना चाहिए, खासकर मॉनसून के सीजन में।

हाइड्रोग्राफहाइड्रोग्राफ (फोटो साभार - सैंड्रप)हमें इस सम्बन्ध में कुछ संकेत सीईआरसी (सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी अथॉरिटी, एक वैधानिक संस्था के आदेश में मिल जाते हैं, जिसमें दोयांग प्रोजेक्ट से उत्पन्न होनेवाली बिजली के बारे में माहवार रिपोर्ट मिलती है। आदेश में बताया गया है कि दोयांग प्रोजेक्ट से पूरे जुलाई महीने में 14.24 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन अपेक्षित है।

अब सवाल यह है कि दोयांग प्रोजेक्ट से जुलाई 2018 में कितनी बिजली उत्पन्न हुई? भारत सरकार की सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के नेशनल पावर पोर्टल के अनुसार जुलाई 2018 में दोयांग प्रोजेक्ट से 45.52 मिलियन यूनिट बिजली उत्पन्न हुई! यह उत्पादन लक्षित बिजली उत्पादन से तीन गुना अधिक है। यह हमें ये भी बताता है कि डिजाइन के लिहाज से नीप्को को जुलाई 2018 में जलस्तर कम रखना है, ताकि निचले हिस्सों में बाढ़ का न्यूनतम खतरा हो। लेकिन, नीप्को दैनिक स्तर पर इस नियम की अनदेखी कर रहा था। बाँध में ज्यादा जलस्तर रखे बिना नीप्को क्षमता से तीन गुना अधिक बिजली का उत्पादन नहीं कर सकता था, जो बाढ़ प्रबन्धन की बुनियादी नीति के खिलाफ भी है।

डब्ल्यूआरआईएस मानचित्र में धनसिरी बेसिन में दोयांग बाँधडब्ल्यूआरआईएस मानचित्र में धनसिरी बेसिन में दोयांग बाँध (फोटो साभार - सैंड्रप)और जब दोयांग प्रोजेक्ट के कैचमेंट एरिया में भारी बारिश हुई, तो नीप्को ने खुद को असहाय बताया और कहा कि उसके पास गेट को खोल कर पानी को छोड़ देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। एक प्रेस विज्ञप्ति में नीप्को ने दावा किया कि उसे 27 जुलाई को बाँध का गेट खोलना पड़ा, जब प्रवाह की तरफ जानेवाली नदी में बाढ़ आ गई और गोलाघाट में भयावह बाढ़ का कहर बरपने लगा।

लेकिन, 27 जुलाई के बाद भी नीप्को ने अधिक बिजली उत्पादन जारी रखा। एनपीपी की वेबसाइट के अनुसार दोयांग प्रोजेक्ट द्वारा 31 जुलाई को 1.70 मिलियन यूनिट, 28-30 जुलाई तक हर दिन 1.71 मिलियन यूनिट, 27 जुलाई को 1.76 मिलियन यूनिट, 26 जुलाई को 1.78 मिलियन यूनिट, 20-24-25 जुलाई क्रमशः1.67 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया। साफ तौर पर इसका मतलब है कि दोयांग बाँध में 24-31 जुलाई तक भी पानी बहुत था ताकि निप्को इस अवधि में अधिक से अधिक बिजली का उत्पादन कर सके।

नीप्को ने जुलाई 2018 में अधिकतम बिजली उत्पादन के लिये साफ तौर पर सामान्य सुरक्षा नियम और डिजाइन नियमों का पूरी तरह उल्लंघन किया है।

डब्ल्यूआरआईएस मानचित्र में धनसिरी बेसिन में दोयांग बाँधडब्ल्यूआरआईएस मानचित्र में धनसिरी बेसिन में दोयांग बाँध (फोटो साभार - सैंड्रप)ऊपर के विश्लेषण से कुछ अनुशंसाएं निकल कर सामने आई हैं, जो इस प्रकार हैं:

1. नीप्को को निश्चित तौर पर यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि 2-4 अगस्त 2018 को गोलाघाट जिले के धानसिरी नदी में बाढ़ के कहर के बढ़ने में दोयांग बाँध ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नीप्को को चाहिए कि वह इस बाढ़ से पीड़ित लोगों को उचित मुआवजा दे।

2. नीप्को को चाहिए वह आश्वस्त करे कि आगे नियमों को मानेगा और अपेक्षित नहीं होने पर अधिक बिजली उत्पादन के लिये बाँध में जलस्तर नहीं बढ़ाएगा।

3. नीप्को को रोजाना अपनी वेबसाइट पर यह अपडेट देना चाहिए कि डैम में पानी का स्तर और स्टोरेज कितना है, पानी का इनफ्लो और आउटफ्लो कितना रहा, पानी का इनफ्लो और आउटफ्लो आगे के कुछ दिनों में कितना रहने की अपेक्षा है और कितनी बिजली का उत्पादन हुआ। यह नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी (http://nca.gov.in/dsr/dsr-aug-18/dsr-7-aug-2018.pdf) के तर्ज पर किया जा सकता है।

4. नीप्को को अपनी वेबसाइट पर डैम ऑपरेशन मैनुअल भी डालना चाहिए। साथ ही इसमें रूल कर्व भी शामिल करना चाहिए कि पानी भरने की अवधि में बाँध का परिचालन किस तरह होना है।

5. सीडब्ल्यूसी को अपने फ्लड फॉरकास्टिंग सिस्टमके इनफ्लो फॉरकास्टिंग में दोयांग रिजर्वायर को भी शामिल करना चाहिए।

6. सीडब्ल्यूसी, आईएमडी और नीप्को को दोयांग बाँध के कैचमेंट एरिया में होनेवाली बारिश के रोजाना आंकड़े उपलब्ध कराने चाहिए। इसके लिये उन्हें बारिश मापक व ट्रांसमिशन सिस्टम लगाने की जरूरत पड़ेगी। फिलवक्त तो भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के रोजाना जिलास्तरीय बारिश की बुलेटिन में दोयांग-धनसिरी के कैचमेंट जिले जैसे नागालैंड जुनहिबोटो, फेक और पेरेन जिले में 25 जुलाई से 6 अगस्त तक हुई बारिश के आंकड़ों की जगह खाली है।

अनुवाद – उमेश कुमार राय


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