ग्रामीण भारत में ई-गवर्नेंस
भारत आज एक ऐसे खास बिन्दु पर खड़ा है, जहाँ देश के 1.2 अरब नागरिकों की आकांक्षाएँ पूरी करने के लिये प्रौद्योगिकी का अधिक समग्र इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। प्रत्येक नागरिक की दहलीज पर सरकारी सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करने और एक दीर्घावधि विकासात्मक प्रभाव पैदा करने के लिये यह जरूरी है कि डिजिटल समर्थ और डिजिटल असमर्थ के बीच अन्तराल (यानी डिजिटल अन्तराल) दूर किया जाए।
ई-गर्वनेंस क्या है और भारत में इसका क्या महत्त्व है?
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना
डिजिटल इंडिया
डिजिटल इंडिया के लक्षित क्षेत्र :
यह एक तथ्य है कि सरकार के प्रमुख कार्यक्रम डिजिटल इंडिया के अन्तर्गत दूर-दराज के क्षेत्रों सहित समूची ग्रामीण आबादी को डिजिटल रूप में सक्षम समाज में रूपान्तरित करना एक बड़ी चुनौती है। परन्तु, एक सार्थक और स्थानीय दृष्टि से प्रासंगिक ढंग से दूर-दराज के कोनों तक ई-गवर्नेंस सेवाओं के वितरण की परिणति एक ऐसे ग्रामीण भारत के सफल निर्माण के रूप में हो सकती है, जहाँ सर्वाधिक आधुनिक आईसीटी सुविधा कायम हो और विभिन्न वर्तमान ढाँचागत सुविधाओं का समन्वित उन्नयन हो। जैसा कि हम जानते हैं कि ई-गर्वनेंस का सम्बन्ध उन तौर-तरीकों के साथ है, जिनसे सामाजिक और राजनीतिक ताकतों को एकजुट किया जा सकता है और उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें नागरिकों, व्यापारिक समुदाय और सरकार के अन्य अंगों के बीच सम्बन्धों का कायाकल्प करने की व्यापक क्षमता है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अन्तर्गत ई-गर्वनेंस सेवा वितरण के सफल कार्यान्वयन के लिये निम्नांकित बुनियादी ढाँचागत अपेक्षाएँ हैं :-
वर्ष | ई-ट्रांजेक्शन गणना | वित्तीय वर्ष | ई-ट्रांजेक्शन गणना (रुपये में) |
2013 | 241.76 करोड़ | 2013-14 | 242.49 करोड़ |
2014 | 357.70 करोड़ | 2014-15 | 359.67 करोड़ |
2015 | 760.75 करोड़ | 2015-16 | 763.19 करोड़ |
2016 | 1089.81 करोड़ | 2016-17 | 1872.96 करोड़ |
2017 | 915.35 करोड़ (19 जुलाई, 2017 तक) |
1. सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ढाँचा, जैसे ग्राम पंचायत-स्तर तक लोगों के लिये ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी (तार/रेडियो के जरिए), एक समेकित प्लेटफॉर्म के जरिए ग्राम पंचायत-स्तर पर नागरिकों को समेकित सेवा वितरण के लिये सामान्य सेवा केन्द्र (सीएससीज)।
2. पंचायतों के स्तर तक सरकारी कार्यालयों में इंटरनेट, वाई-फाई, मैसेजिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, स्किल-सेट्स जैसी सुविधाएँ होनी चाहिए।
3. अबाधित विद्युत आपूर्ति।
4. कम-से-कम जिला स्तर पर प्रशिक्षित कार्मिक संसाधन (बेहतर कार्यान्वयन और निगरानी के लिये ग्राम पंचायत-स्तर तक कुशल कार्मिकों को वरीयता)।
5. ग्राम पंचायत-स्तर तक माँग के अनुसार व्यवहार्य और सुरक्षित क्लाउड ढाँचा।
6. राष्ट्रीय आँकड़ा, केन्द्रों, स्टेट डाटा सेंटरों और अन्य डाटा सेंटरों का एकीकरण।
डिजिटल इंडिया की शुरुआत के बाद ई-सर्विसेज और ई-ट्रांजेक्शन में वृद्धि
“सीएससी का प्राथमिक लक्ष्य एक भौतिक सेवा वितरण आईसीटी ढाँचा कायम करते हुए नागरिकों की पहुँच के भीतर ई-गर्वनेंस सेवाएँ प्रदान करना है।”
यह पारदर्शी सेवा वितरण व्यवस्था कायम करने और नागरिकों को विभिन्न सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने से बचने में मदद करता है। सामान्य सेवा केन्द्रों का लक्ष्य ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट तक व्यक्तिगत पहुँच प्रदान करना और नागरिकों को एक्सेस उपकरण प्रदान करना भी है, जहाँ आईसीटी सुविधाएँ कम होने के कारण डिजिटल अन्तराल है। आईसीटी सक्षम केन्द्र होने के नाते सीएससीज नागरिकों के लिये बहुत सारी सेवाओं तक सार्वभौम पहुँच कायम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और नागरिकों के डिजिटल सशक्तीकरण के लिये नींव के पत्थर के रूप में काम करते हैं। इस प्रकार वे एक पारदर्शी शासन प्रणाली का सृजन करते हैं। कुल मिलाकर ये सामान्य सेवा केन्द्र ग्रामीण नागरिकों के लिये एक साझा सूचना प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म प्रदान करते हुए परिवर्तनकारी एजेंट बन गये हैं।
लक्ष्य और अभियान
“सीएससी ई-गर्वनेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड”
की स्थापना 2009 में कम्पनी अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत तत्कालीन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय) के तहत एक साझा सेवा केन्द्र विशेष उद्देश्य संस्था के रूप में की गई थी। सीएससी-एसपीवी का प्रमुख लक्ष्य मंत्रालय को प्रोग्राम प्रबन्धन सहायता प्रदान करना और देशभर में सीएससी नेटवर्क की निरन्तरता सुनिश्चित करना था। इसके लिये अनेक नागरिक-केन्द्रित सेवाओं की समेकित डिलीवरी वहनीय लागत पर की गई।
वर्तमान सीएससी मॉडल को क्रियान्वित करने का सिद्धान्त
सभी राज्यों/संघशासित पदेशों में मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिये, “डिजिटल सेवा केन्द्रों” की राष्ट्रीय ब्रैंडिंग और राज्यों/संघशासित प्रदेशों की सह-ब्रैंडिंग शुरू की गई है।
प्रत्येक सीएससी को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की गई है और उसकी जीआईएस मैपिंग की गई है। इससे सामान्य सेवा केन्द्रों के जरिए वितरित की जा रही ई-सेवाओं के लिये एक पारदर्शी और जवाबदेह निगरानी फ्रेमवर्क का निर्माण हुआ है और सरकार को सभी राज्यों/संघशासित प्रदेशों में एक आत्मनिर्भर सीएसटी नेटवर्क की स्थापना में अन्तराल दूर करने में मदद मिली है।
सामान्य से केन्द्र की प्रणाली में महिलाओं की भागीदारी
सीएससी के परिणाम एवं लाभ
सीएससी नेटवर्क के जरिए प्रमुख सेवाएँ
राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन (एनडीएलएम) -
डिजिटल साक्षरता अभियान (दिशा)/प्रधानमंत्री ग्रामीण (पीएमजी) दिशा, साइबर ग्राम परियोजना, राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान (एनआईओएस), राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनईआईलिट) के पाठ्यक्रम, एनिमेशन पाठ्यक्रम, लेखा
कौशल विकास-
डेटा इंट्री ऑपरेटर, इलेक्ट्रिक, ऑटो
यूटिलिटी सेवाएँ-
बिजली, पानी के बिल
स्वास्थ्य सेवाएँ-
टेली परामर्श, जन औषधि
अन्य-
टेली कानून, वित्तीय साक्षरता, निवेशक जागरुकता पिछले कुछ वर्षो में सीएससी की वृद्धि एवं उपलब्धियाँ
2016-17 में पूरे देश में 90 हजार सीएससी ने कामकाज आरम्भ किया और कुल कामकाजी सीएससी की संख्या मार्च, 2016 के 1.6 लाख सीएससी से बढ़कर मार्च, 2017 में 2.50 लाख सीएससी तक पहुँच गई। 31 मार्च, 2017 को उनमें से लगभग 1.60 लाख सीएससी ग्राम पंचायत-स्तर पर कार्य कर रहे हैं, जो 2016-17 में ग्राम पंचायत-स्तर पर काम कर रहे सीएससी की तुलना में 62 हजार अधिक हैं।
कामकाजी सीएससी के विशाल नेटवर्क हेतु अधिक मजबूत एवं विस्तार योग्य तकनीकी प्लेटफॉर्म चाहिए, जिसमें सेवाओं की निर्बाध इलेक्ट्रॉनिक आपूर्ति के लिये डिजिटल बी2बी वॉलेट की जरूरत है। सीएससी के इस विशाल नेटवर्क की जरूरत पूरी करने के लिये और सीएससी 2.0 में की गई परिकल्पना के अनुसार सीएससी-एसपीवी ने 2016-17 में एक मजबूत तथा विस्तार योग्य एसीएसी राष्ट्रीय पोर्टल
‘डिजिटल सेवा पोर्टल’
को डिजाइन, विकसित और आरम्भ कर दिया है। इससे देश भर में सभी सीएससी एक समान तकनीकी प्लेटफॉर्म के जरिए सेवाओं का प्रसार कर सकते हैं, जिससे देश में किसी भी स्थान पर ई-सेवाएँ विशेषकर जी2सी सेवाएँ इस्तेमाल की जा सकेंगी।
2016-17 के उत्तरार्द्ध में भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अन्तर्गत डिजिटल वित्तीय समावेशन, जागरुकता एवं उपब्धता (डीएफआईएए) कार्यक्रम आरम्भ किया है। एक करोड़ नाागरिकों को इसके दायरे में लाने तथा 25 लाख व्यापारियों को इसके उपयोग हेतु तैयार करने का जिम्मा सीएससी-एसपीवी को ही दिया गया। सीएससी-एसपीवी ने नवम्बर, 2016 से मार्च, 2017 की छोटी-सी अवधि के बीच ही 2.04 करोड़ नागरिकों को पंजीकृत किया तथा 26 लाख व्यापारियों को इसके उपयोग में सक्षम बनाया।
2016-17 के दौरान सीएससी नेटवर्क में पहले से मौजूद सेवाओं के साथ ही
प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई), मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ई-जनपद सेवाएँ तथा पीएमजी दिशा
जैसी कई महत्त्वपूर्ण सरकारी सेवाएँ भी जोड़ी गई हैं। सीएससी ने दिव्यांगों के लिये कौशल विकास कार्यक्रम भी आरम्भ किया है। सीएससी के जरिए ग्रामीण भारत के उत्पादों का प्रदर्शन करने हेतु ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म
‘वीएलईबाजार’
आरम्भ किया गया है।
सीएससी-एसपीवी ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम से हाथ मिलाया और आधार पर आधारित भुगतान प्रणाली (एईपीएस) के प्लेटफॉर्म पर सीएससी नेटवर्क के लिये दिसम्बर, 2016 में
‘डिजिपे’
आरम्भ किया ताकि देशभर में ऑनलाइन बैंकिंग सेवाएँ प्रदान की जा सके। इसका उद्देश्य सभी बैंकों के बीच आधार पर आधारित भुगतान का लेनदेन आरम्भ करना है। डिजिपे एप्लिकेशन सीएससी को देश के सुदूर और बैंकिंग सेवा से वंचित क्षेत्रों में भी वित्तीय सेवा की आवश्यकता पूरी करने में सक्षम बनाती है।
सीएससी ई-गर्वनेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (सीएससी-एसपीवी) को भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत बिल पेमेंट सर्विसेज (बीबीपीएस) के अन्तर्गत भारत बिल पेमेंट ऑपरेटिंग यूनिट (बीबीपीओयू) के रूप में काम करने का लाइसेंस दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत में एकीकृत बिल भुगतान प्रणाली बीबीपीएस आरम्भ की है। बीबीपीएस का उद्देश्य ग्राहकों को सीएससी के विशाल नेटवर्क के जरिए विभिन्न बैंकों के बीच होने वाली तथा सुगम बिल भुगतान सेवाएँ मुहैया कराना, भुगतान के विभिन्न तरीके मुहैया कराना तथा भुगतान की तुरन्त पुष्टि करना है। इससे नकद के बजाय इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ऑनलाइन भुगतान का चलन बढ़ेगा और
नकदरहित समाज
बनाने में सुविधा होगी।
जीएसटी सुविधा प्रदाता
जीएसटी सुविधा प्रदाता
(जीएसपी) के रूप में जोड़ लिया। जीएसपी के रूप में सीएससी-एसपीवी को विभिन्न पक्षों मुख्यतया व्यापारियों, प्रतिष्ठानों एवं उन लोगों की मदद के लिये कई कार्य करने होते हैं, जिन लोगों को जीएसटी प्रणाली के अन्तर्गत अनुपालन करना होता है।
वाई-फाई चौपाल
वाई-फाई चौपाल
आरम्भ की, जिसके साथ ही गाँवों में केनेक्टिविटी प्रदान करने के मामले में नया युग आ गया। वाई-फाई चौपाल परियोजना सीएससी के जरिए ग्रामीण भारत में वाई-फाई इंटरनेट सुविधा प्रदान करने के लिये आरम्भ की गई है। पहली वाई-फाई चौपाल 7 अप्रैल, 2016 को फरीदाबाद में घरौड़ा गाँव में आरम्भ की गई। आज 9 राज्यों और 2 केन्द्रशासित प्रदेशों की 819 ग्राम पंचायतों में वाई-फाई ढाँचा स्थापित कर दिया गया है। 483 स्थानों पर इंटरनेट सेवा आरम्भ हो चुकी है।
वर्ष 2016-17 में 28 हजार स्थायी पंजीकरण केन्द्रों- पीईसी (सीएससी) पर 596 लाख से अधिक आधार क्रमांक बनाए गए और सीएससी देश में सबसे बड़ा यूआईडी पंजीयक बन गया। इस वर्ष सीएससी पोर्टल पर सबसे अधिक काम आधार कार्ड छपाई सेवा (45.59 लाख प्रिंट) के जरिए ही हुआ। आधार के लिये 0 से 5 वर्ष तक आयु वर्ग के बच्चों के नामांकन में सीएससी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। वर्ष 2016-17 में सीएससी द्वारा लगभग 47.48 लाख बच्चों का पंजीकरण किया गया, जिससे 31 मार्च, 2017 तक कुल 80 लाख बच्चों का पंजीकरण हो चुका था।
सीएससी-वीएलई और साझेदारों ने
राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन/डिजिटल साक्षरता अभियान (एनडीएलएम/दिशा)
के जरिए प्रत्येक परिवार के कम-से-कम एक व्यक्ति को डिजिटल साक्षर बनाने के लक्ष्य की दिशा में बहुत उत्साह से काम किया। वर्ष 2016-17 में लगभग 35.44 लाख लोगों को इस कार्यक्रम के तहत प्रमाणपत्र दिए गए, जिससे मार्च, 2017 तक प्रमाणपत्र हासिल करने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या 55.46 लाख (55.27 लाख का लक्ष्य था) तक पहुँच गई, जो मार्च, 2016 में 18.01 लाख ही थी।
एनडीएलएम-दिशा कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सफलता के कारण सीएससी-एसपीवी को डिजिटल साक्षरता के लिये भारत सरकार द्वारा फरवरी, 2017 में आरम्भ किए गए नए महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम
प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा)
के क्रियान्वयन का जिम्मा दे दिया गया है। योजना में राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में ग्रामीण क्षेत्रों के 6 करोड़ लोगों को डिजिटल साक्षर बनाने की परिकल्पना की गई है ताकि डिजिटल रूप से पूरी तरह निरक्षर प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सिखाकर 40 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक पहुँचा जा सके। योजना दो वर्ष में पूरी की जानी है और हमें उम्मीद है कि निश्चित समयावधि में इसे पूरा किया जा सकेगा।
एनडीएलएम के अलावा
साइबर ग्राम योजना
के अन्तर्गत चार राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों के मदरसा छात्रों के लिये बुनियादी कम्प्यूटर प्रशिक्षण भी चलाया जा रहा है। वर्ष 2016-17 में 1.56 लाख मदरसा छात्रों को कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें से 1.44 लाख को प्रमाणपत्र भी मिला। इस तरह मार्च, 2016 की तुलना में प्रमाणपत्र वाले छात्रों की संख्या 1.15 लाख बढ़ गई।
भारत सरकार की सेवाओं को देशभर में लोकप्रिय बनाने की दिशा में भी सीएससी के प्रयास सराहनीय हैं। नवम्बर, 2016 में सीएससी के जरिये पीएमएवाई आरम्भ किया गया और तब से मार्च, 2017 तक सीएससी के माध्यम से 29 लाख से अधिक आवेदन जमा किए जा चुके हैं। जुलाई, 2016 में सीएससी के माध्यम से एफएसएसएआई के अन्तर्गत सेवा उपलब्ध कराई गई; उसके बाद से मार्च, 2017 तक सीएससी के जरिए लगभग 1.19 लाख पंजीकरण कराए गए हैं। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अन्तर्गत सेवा भी दिसम्बर, 2016 में सीएससी के अन्तर्गत ही आरम्भ की गई थी और अगले तीन महीने के भीतर ही इस सेवा के लिये 1.24 लाख पंजीकरण कर लिये गये हैं।
सीएससी ने बिजनेस कोरेस्पोंडेंट एजेंटों (बीसीए) के रूप में बैंकिंग सेवाओं को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। 2016-17 में औसतन 11,200 बीसीए ने देशभर में बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराई और नागरिकों को 320.99 लाख बैंकिंग लेनदेन करने में मदद की, जिसमें कुल 570163.61 लाख रुपये का लेनदेन हुआ था। इस वर्ष इन बीसीए ने 7079.59 लाख रुपये का कमीशन हासिल किया, जो 2015-16 की तुलना में 2971 लाख रुपये अधिक रहा। इसी प्रकार सीएससी ने एईपीएस सेवाएँ उपलब्ध कराने में भी सराहनीय उत्साह दिखाया है। वर्ष 2016-17 में लगभग 1.22 सीएससी ने एईपीएस के अन्तर्गत बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराने हेतु पंजीकरण कराया है और 17901.90 लाख रुपये मूल्य के 28.35 लाख लेनदेन किए।
वर्ष 2016-17 में लगभग 40 हजार सीएससी ने बीमा सेवाएँ मुहैया कराईं, जिनमें पॉलिसी की बिक्री और उनका नवीकरण दोनों शामिल थे। इसी वर्ष इन सीएससी ने 10,47,387 ग्राहकों से 33,415.93 लाख रुपये का प्रीमियम इकट्ठा किया, जिस पर उन्हें लगभग 199 लाख रुपये का कमीशन मिला है, जो 2015-16 की तुलना में लगभग 134 लाख रुपये अधिक था।
वर्तमान सीएससी 2.0 में जैसी परिकल्पना की गई थी, उसी के अनुसार जिला-स्तर के प्रशिक्षण द्वारा वीएलई की उद्यमशीलता विकसित करने को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके तहत सीएससी के जरिए उपलब्ध विभिन्न प्रकार की सेवाओं का लाभ प्रदान करने के लिये 3 दिन का प्रशिक्षण होता है। वर्ष 2016-17 में 19 राज्यों के 206 जिलों में जिला-स्तरीय क्षमता निर्माण एवं उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम आयोजित किए गए और 33 हजार से अधिक वीएलई की उद्यमशीलता सम्बन्धी क्षमताएँ विकसित करने के लिये विभिन्न सेवाओं में प्रशिक्षण दिया गया।
सीएससी-एसपीवी ग्रामीण समुदायों के लिये डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता तथा कानूनी साक्षरता को बढ़ावा देते आए हैं, जिससे उन्हें राष्ट्र निर्माण में सक्रिय सहभागिता की ताकत मिलती है। सीएससी के जरिए सुदूर चिकित्सा (टेली-मेडिसिन) को बढ़ावा देने के प्रयासों को स्वीकार्यता मिलती दिखती है। सीएससी के जरिए अब लोगों को एलोपैथी, होमियोपैथी तथा आर्युवेदिक चिकित्सा सम्बन्धी टेली-परामर्श उपलब्ध है। सीएससी-एसपीवी एफएमसीजी कम्पनियों के साथ भी काम कर रहे हैं ताकि उन्हें ग्रामीण भारत में अपने उत्पाद/सेवाएँ बेचने के लिये सीएससी नेटवर्क के इस्तेमाल की सुविधा मिल सके।
विवरण | उपलब्धि (ग्राम पंचायत स्तर समेत पूरे भारत में) | उपलब्धि (ग्राम पंचायत स्तर) |
मई, 2014 तक पंजीकृत कुल सीएससी | 1,34,956 | 83,903 |
मई, 2014 तक काम कर रहे कुल सीएससी | 83,950 | 64,259 |
नवम्बर, 2015 (सीएससी 2.0 का क्रियान्वयन आरम्भ होने से पहले) तक पंजीकृत कुल सीएससी | 1,44,875 | 92,106 |
नवम्बर, 2015 (सीएससी का क्रियान्वयन आरम्भ होने से पहले) तक काम कर रहे कुल सीएससी | 1,19,779 | 85,952 |
मार्च, 2016 तक पंजीकृत कुल सीएससी | 1,99,325 | 1,22,621 |
मार्च, 2016 तक काम कर रहे कुल सीएससी | 1,66,671 | 97,243 |
मार्च, 2017 तक पंजीकृत कुल सीएससी | 2,91,366 | 1,81,173 |
मार्च, 2017 तक काम कर रहे कुल सीएससी | 2,50,345 | 1,59,633 |
जून, 2017 तक पंजीकृत कुल सीएससी | 3,00,774 | 1,96,922 |
जून, 2017 तक काम कर रहे कुल सीएससी | 2,61,071 | 163,226 |
मई, 2014 के बाद से पंजीकृत सीएससी की संख्या में वृद्धि | 1,65,818 | 1,13,019 |
मई, 2014 के बाद से कामकाजी सीएससी की संख्या में वृद्धि | 1,77,121 | 98,967 |
सीएससी 2.0 का क्रियान्वयन आरम्भ होने (दिसम्बर, 2015) के बाद से पंजीकृत सीएससी की संख्या में वृद्धि | 1,55,899 | 1,04,816 |
सीएससी 2.0 का क्रियान्वयन आरम्भ होने (दिसम्बर, 2015) के बाद से कामकाजी सीएससी की संख्या में वृद्धि | 1,41,292 | 77,274 |
वर्ष 2016-17 में वीएलई ने सीएससी कामकाज से कुल 58,578.29 लाख रुपये का कमीशन प्राप्त किया, जो 2015-16 की तुलना में लगभग 11,405 लाख रुपये अधिक है। सीएससी को टिकाऊ बनाने की दिशा में यह अहम कदम है।
सीएससी के जरिए परोक्ष रोजगार सृजन
विवरण | मई, 2014 तक | मार्च, 2015 तक | मार्च, 2017 तक | मार्च 14 से 17 तक वृद्धि |
स्थायी पंजीकरण केन्द्रों की संख्या | 5097 | 15,244 | 27681 | 22,584 |
बनाए गए आधार की संख्या (लाख में) | 114.71 | 977.63 | 1573.60 | 1458.89 |
आधार में अपडेट (लाख में) | - | 105.51 | 335.21 | 335.21 |
छपे आधार (लाख) | - | 29.34 | 74.93 | 74.93 |
सीएससी के क्रियान्वयन में चुनौतियाँ
कनेक्टिविटी (सम्पर्क) :
यह सोचा गया कि भारतनेट/एनओएफएन के रूप में तैयार किये गये बुनियादी ढाँचे तथा राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में उपलब्ध संचार के अन्य ढाँचों के समुचित उपयोग से सीएससी की प्रणाली अच्छी तरह काम करेगी। अभी सीएससी सुविधा के अनुसार कनेक्टिविटी के उपलब्ध तरीकों जैसे डाटा कार्ड, वाई-फाई और ब्रॉडबैंड नेटवर्क पर काम कर रहे हैं। किन्तु सुगमता नहीं होने के कारण दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट की बैंडविड्थ पर्याप्त एवं स्थिर नहीं है। सरकार के वायदे को देखते हुए सीएससी परियोजना को अगस्त, 2015 में मंजूरी मिलने के चार वर्ष के भीतर की निर्धारित अवधि में पूरा करने के लिये सभी जरूरी कदम एवं प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिये वाई-फाई ई-चौपाल के जरिये कनेक्टिविटी बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
भारतनेट :
संचार मंत्रालय के अधीन दूरसंचार विभाग देश में सभी ग्राम पंचायतों (लगभग 2.5 लाख) को ऑप्टिकल फाइबर के जरिये जोड़कर और भूमिगत केबल, बिजली की लाइनों पर फाइबर, रेडियो तथा उपग्रह मीडिया का समुचित प्रयोग कर नेटवर्क का बुनियादी ढाँचा तैयार करने के लिये भारतनेट परियोजना क्रियान्वित करने का प्रयास भी कर रहा है ताकि सभी प्रकार के सेवा प्रदाताओं द्वारा भेदभाव के बगैर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जा सके। परियोजना तीन चरणों में क्रियान्वित की जाएगी। परियोजना के पहले चरण में नवम्बर 2017 तक भूमिगत ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाकर एक लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ा जाना है। दूसरे चरण में भूमिगत केबल, बिजली की लाइनों पर फाइबर, रेडियो तथा उपग्रह मीडिया का समुचित प्रयोगकर मार्च, 2019 तक शेष 1.5 लाख ग्राम पंचायतों को भी कनेक्टिविटी प्रदान कर दी जाएगी। तीसरे चरण में छल्ले जैसे ढाँचे वाले अत्याधुनिक नेटवर्क की योजना है, जिसे 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा।
इस योजना (प्रथम चरण) के अन्तर्गत 09 जुलाई, 2017 तक 1,06,276 ग्राम पंचायतों में 2,38,489 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है, 1,00,152 ग्राम पंचायतों के लिये 2.20 लाख किमी ऑप्टिकल फाइबर लगाया जा चुका है और 23,147 ग्राम पंचायतों को जोड़ा जा चुका है। सीएससी को भारतनेट टर्मिनलों से जोड़ा जा रहा है ताकि ई-प्रशासन सेवाओं के लिये बैंडविड्थ का प्रयोग किया जा सके।
एनडीएलएम-दिशा (दिसम्बर, 2014 में आरम्भ हुआ) | लक्ष्य | मई, 2014 तक | मार्च, 2016 तक | मार्च, 2017 तक |
पंजीकृत व्यक्तियों की संख्या (लाख) | 55.27 | 0 | 10.73 | 102.85 |
प्रशिक्षित व्यक्तियों की संख्या (लाख) | 55.27 | 0 | 10.27 | 89.68 |
प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की संख्या (लाख) | 55.27 | 0 | 9.74 | 55.46 |
पीएमजी-दिशा (दिसम्बर, 2014 में आरम्भ हुआ) | लक्ष्य | मई, 2014 तक | मार्च, 2016 तक | मार्च, 2017 तक |
पंजीकृत व्यक्तियों की संख्या (लाख) | 600 | 0 | 0 | 6.33 |
प्रशिक्षित व्यक्तियों की संख्या (लाख) | 600 | 0 | 0 | 4.54 |
प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की संख्या (लाख) | 600 | 0 | 0 | 0.78 |
वाई-फाई हॉटस्पॉट के लिये सीएससी का उपयोग
राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों से सहयोग
सीएससी के जरिए आरम्भ हो चुकी/आरम्भ की जा रही नई सेवाएँ
टेली कानून :
कानूनी जानकारी एवं सलाह देने के लिये संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल। वकील और लोगों के बीच यह ई-संवाद सीएससी में मौजूद वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के द्वारा होगा। 1800 ग्राम पंचायतों में वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग/चैट/टेलीफोन के जरिए सीएससी में टेली-कानून सेवाएँ आरम्भ की जानी हैं। बिहार में 500, उत्तर प्रदेश में 500, पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर में 800 पंचायतों में ये सेवाएँ दी जाएँगी।
- सीएससी को विभिन्न बैंकों की सेवाओं के लिये व्हाइट लेबल बिजनेस कोरेस्पोंडेंट के रूप में भी तैयार किया जा रहा है।
निष्कर्ष
(लेखक भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं।)