ग्रामीण क्षेत्रों में पीने योग्य पानी के जीवाणु परीक्षण के लिये हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण की सार्थकता (Suitability of the Hydrogen Sulfide test for detection of fecal contamination in drinking water in rural areas)


सारांश:


हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण की सार्थकता को पीने के पानी के विभिन्न नमूनों पर जाँचा गया व इनका तुलनात्मक अध्ययन अन्य उपलब्ध परीक्षण जैसे एम.पी.एन.एम.एफ.टी. एवं इजैकमैन परीक्षण के साथ किया गया। यह तुलनात्मक परीक्षण विभिन्न इन्क्यूबेशन तापमान जैसे 370 C तथा सामान्य तापमान एवं विभिन्न समयांतराल जैसे 18 घण्टे, 24 घण्टे एवं 48 घण्टे पर किया गया। उपरोक्त अध्ययनों के परिणामों से ज्ञात हुआ कि उपयोग किए गये जल के नमूनों में से एम.पी.एन. विधि द्वारा 74.35 प्रतिशत नमूने पीने हेतु अयोग्य व 25.65 प्रतिशत पीने हेतु योग्य पाय गये तथा 370C पर 18 घण्टे के समायंतराल पर यह त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड विधि एम.पी.एन. से 95 प्रतिशत सहसंबंध दर्शाती हैं। गहन विश्लेषण पर पाया गया कि ऐसे नमूने जिनका एम.पी.एन. सूचकांक 10 या इससे कम है वहाँ हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण ने एम.पी.एन. से क्रमशः 18, 24 एवं 48 घण्टे के समयांतराल पर 16%, 33% तथा 65% (सामान्य तापमान) एवं 35% 44% तथा 64% 370C का सहसंबंध दर्शाया। तद्संगत त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण के द्वारा इजैकमैन परीक्षण के साथ 98% तथा एम.एफ.टी. के साथ 71% का सहसंबंध दर्शाया। विश्लेषण के परिणामों से ज्ञात हुआ है कि यह परीक्षण सामान्य तापमान की तुलना में 370C तापमान एवं 24 से 48 घण्टे में मानक विधियों से सर्वाधिक सहसंबंध दर्शाता है। अध्ययन से साबित हुआ है कि पानी की गहराई इस परीक्षण को प्रभावित करती है एवं हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण घर के पानी बहते एवं कुएँ के पानी के लिये कुपालिका पानी से अधिक सार्थक है तथा इस विधि को पीने योग्य पानी के सूक्ष्मजैविकीय परीक्षण के लिये ऐसी परिस्थतियों में उपयोग किया जा सकता है जहाँ प्रायोगिक सुविधाएँ सीमित हों।

Abstract


The suitability of H2S test to detect fecal contamination in drinking water was assessed by analyzing 425 water samples from various sources and compared the results with MPN, MFT and Eijkman test at room temperature (RT) and at 370 c after 18 hr, 24 hr, and 48 hr of incubation. Results showed that 316 water samples were non-potable and 109 potable by MPN and 95% correlation at 370 c was recorded after 18 hr of incubation by H2S test. When MPN index>10, H2S test at RT was 16%, 33% and 65% correlative, while at 370 c it was 35%, 44% and 64% correlative with MPN test after 18 hr, 24 hr and 48 hr of incubation, respectively. H2S test showed 98% and 71% correlation with Eijkman test and membrane filter technique. Study showed that H2S test showed maximum correlation at 370 c after 24 hr to 48 hr of incubation as compared to room temperature, when compared with standard technique for detection of fecal contamination in drinking water. Thus concluded that the H2S test could be used to screen water for contamination in the field where laboratory facilities are limited.

प्रस्तावना


विभिन्न विकासशील देशों में पीने योग्य पानी के परीक्षण की विधि सभी जलस्रोतों को सतत रूप से जाँचने में असक्षम है। साधारण प्रयोगशाला सुविधाएँ दूरस्थ पेय जलस्रोतों की अधिकता इसका प्रमुख कारण है। पेयजल परिक्षण की मानक विधियों के उपयोग के लिये विभिन्न सुविधाओं जैसे योग्य विश्लेषक, साधन, सूक्ष्मजीव विज्ञान प्रयोगशाला आदि की आवश्यकता होती है। इन परिस्थितियों में पेयजल परीक्षण के लिये त्वरित परीक्षण विधि की आवश्यकता थी जोकि पेयजल में जीवाणुओं की उपस्थिति का पता लगा सके। 1982 में डा. के.एस. मंजा (रक्षा अनुसंधान, मैसूर) ने त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण विकसित किया तथा उन्होंने जीवाणु प्रदूषण में जीवाणु द्वारा उत्पन्न हाइड्रोजन सल्फाइड गैस को इस परीक्षण का आधार बनाया। यह विधि विभिन्न मानक विधियों से सस्ती व सुलभ थी। विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएँ जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (2002) एवं ए.पी.एच.ए. (1998) इस विधि को मान्यता देने के लिये तत्पर हैं। शिवाबॉनवान (1988) ने थाइलैंड में इस त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड विधि द्वारा 705 पेयजल नमूनों का परीक्षण किया तथा इसका मानक एम.पी.एन. विधि से तुलनात्मक अध्ययन किया तथा पाया कि सकारात्मक हाइड्रोजन परीक्षण एवं 10 एम.पी.एन. /100 एम.एल. दोनों में क्रमशः 85 एवं 88% सहसंबंध था।

पिल्लई एवं सहयोगी (1999) ने इस विधि में थोड़ा सुधार किया। उन्होंने इस त्वरित विधि में पोषक माध्यम संगठन में सिस्टीन का उपयोग किया तथा इन्क्यूबेशन तापमान 28-440C रखा तथा पाया की कम मात्रा का जीवाणु प्रदूषण शीघ्र अन्वेषित होता है। रिजाल एवं सहयोगियों (2000) ने इस त्वरित परीक्षण का मानक एम.पी.एन. तथा मेम्ब्रेन फिल्टर विधि के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया तथा निष्कर्ष निकाला कि पेयजल जीवाणु गुणवत्ता परीक्षण में यह विधि अनुकूल परिणाम देती है। मार्क एवं सहयोगियों (2002) ने इस परीक्षण के विभिन्न संरक्षित तापमान जैसे 22 एवं 350C पर एम.पी.एन. के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया तथा पाया कि विभिन्न मानक विधियों की तुलना में यह परीक्षण समान या अधिक संवेदी है। केस्टीलों एवं सहयोगियों (1994) ने इस त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड विधि को 622 पेयजल नमूनों से विश्लेषित किया तथा पाया कि 32 व 350C पर यह विधि 10 प्रतिशत अधिक सकारात्मक परिणाम देती है। तांबेकर और सहयोगियों (2007a, 2007b, 2007c, 2008) और हिरुलकर व तांबेकर (2006) ने त्वरित परीक्षण का मॉक विधि के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया तथा निष्कर्ष निकाला की यह विधि ग्रामीण क्षेत्रों में कारगर साबित हो सकती है तथा घरेलू उपयोग में लाये जाने वाला कुएँ का जल कुंप नलिका से ज्यादा संवेदी है। पाठक एवं गोपाल (2005) ने इस परीक्षण की कार्यक्षमता को 90 पेयजल नमूनों के साथ विश्लेषित किया तथा निष्कर्ष निकाला कि सुधारित त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड विधि जीवाणु प्रदूषण परीक्षण की एक वैकल्पिक विधि है जिसे कि वृहत रूप में पेयजल परीक्षण के लिये उपयोग किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं एम.पी.एन. के अनुसार इस विधि की कार्य कुशलता पर अपर्याप्त कार्य समीक्षा होने के कारण इसे और अधिक विश्लेषण की आवश्यकता है जिससे कि इसे मानक विधि का दर्जा दिया जा सके।

सामग्री एवं विधि


इस वर्तमान विश्लेषण में पेयजल नमूनों का विश्लेषण किया गया। इन नमूनों के त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण एवं उसी समय विभिन्न मानक परीक्षण जैसे एम.पी.एन.एम.एफ.टी. एवं इजैकमैन परीक्षण (ए.पी.एच.ए.1998) किए गए।

1. हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण के लिये मंजा एवं सहयोगियों (2001) द्वारा दिया गया पोषक माध्यम का संगठन तैयार किया गया। इस हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण पोषक माध्यम के 1 मिली. को 30 मिली. की ढक्कन वाली काँच की शीशी में स्थानांतरित किया गया। इस पोषक माध्यम युक्त शीशी में 20 मिली. परीक्षण किये जाने वाले पेयजल नमूने को डाला गया। इस संबंधित माध्यम युक्त शीशी को विभिन्न तापमान व विभिन्न समयांतराल के लिये इन्क्यूबेट किया गया। इस शीशी में उत्पन्न काला रंग प्रदूषणयुक्त पेयजल का संकेत देता है।

2. एम.पी.एन.परीक्षण में 9 टेस्ट टयूब वाली सीरियल डायल्यूशन तकनीकी का उपयोग किया गया।

3. एम.एफ. टी परीक्षण को एम.ई.सी. अगर माध्यम के उपयोग से तथा इजैकमैन परीक्षण का उपयोग बी.जी.एल.बी. के प्रयोग से किया गया। दोनों विधियों में मानक पद्धतियों का उपयोग किया गया है।

..Fig-2,3Fig-4Fig-54. वर्तमान अध्ययन में पेयजल नमूनों का, जो कि नलकूप, कूप तथा होटल एवं रेस्टोरेंट से एकत्रित किये गये, का उपयोग किया गया है।

5. 24 व 48 घण्टों के अंतराल पर सामान्य तापमान पर 370C पर हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण माध्यम में काले रंग का निरीक्षण किया गया।

6. एम.पी.एन. से सकारात्मक परिणाम वाले नमूनों को ही इजैकमैन टेस्ट के लिये चयनित किया गया।

परिणाम एवं विवेचना


इस अध्ययन में पेयजल के नमूनों की विभिन्न तापमान एवं समय पर विभिन्न मानक विधियों से परीक्षण करके तुलना की गई। परिणामों से ज्ञात हुआ है कि कुल नमूनों में से 74.35 प्रतिशत पेजयल नमूने दूषित पाये गये जिनका एम.पी.एन. इंडेक्स 10 से ज्यादा था। 25.65 प्रतिशत पेयजल नमूने पीने योग्य पाये गये जिनका एम.पी.एन. इंडेक्स 10 से कम था। त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण के परिणाम दर्शाते हैं कि कुल पेयजल नमूनों में से सामान्य तापमान पर 18, 24 एवं 48 घंटो में क्रमशः 30%, 47% एवं 66% तथा 370C पर क्रमशः 50% , 56% , एवं 65% पेयजल नमूने दूषित पाये गये। 68% पेयजल नमूने दूषित एवं 32% पेयजल नमूने मेम्ब्रेन फिल्टर टैस्ट द्वारा पीने योग्य पाये गए। इनमें से 55% पेयजल नमूने तापसंवेदी कॉलीफार्म से दूषित थे।

परिणामों से ज्ञात हुआ कि 25.65% पेयजल नमूने जिनका एम.पी.एन. इंडेक्स 10 से कम है उनमें त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण सामान्य तापमान पर 18, 24 एवं 48 घण्टों में क्रमशः 23%, 22% एवं 18% तथा 370C पर क्रमशः 25%, 22% एवं 17% पेयजल नमूनों में नकारात्मक रहा। इस परिणाम से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 370C पर त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड परिक्षण एम.पी.एन विधि से 48 घण्टे में 95 प्रतिशत सहसंबंध दर्शाता है। जबकि इजैकमैन परीक्षण में 95% मेम्ब्रेन फिल्टर परीक्षण से 39% सहसंबंध दर्शाता है। इस अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि जब कॉलीफार्म का घनत्व 11-40 कॉलीफार्म प्रति 100 एम.एल. होता है, ऐसे 42 पेयजल नमूनों में सामान्य तापमान पर तथा 370C पर पेयजल नमूने 24 एवं 48 घण्टों के बाद काला रंग उत्पन्न करते हैं। इस कॉलीफार्म घनत्व पर त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण अधिकतम 43% सहसंबंध दर्शाता है (सारणी1)।

इस अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि जब कॉलीफार्म का घनत्व 41 से 210 प्रति 100 मिली था तब ऐसे 51 पेयजल नमूनों में से सामान्य तापमान पर 18, 24 एवं 48 घंटों में क्रमशः 10%, 25% तथा 65% एवं 370C पर 31%, 41% एवं 61% पेयजल नमूनों ने मंजा के हाइड्रोजन सल्फाइड में काला रंग दर्शाया (चित्र 1) इस परीक्षण ने अधिकतम 61% सहसंबंध दर्शाया तथा इसी कॉलीफार्म घनत्व पर इस परीक्षण इजैकमैन एवं एम.एफ.टी. के साथ क्रमशः 18% एवं 75% का सहसंबंध दर्शाया (चित्र 2)। विश्लेषण करने पर यह भी पाया गया कि जब कॉलीफार्म का घनत्व 210 कॉलीफार्म प्रति 100 मिली था तब त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण ने एम.पी.एन. के साथ 72% का अधिकतम सहसंबंध एवं इजैकमैन व मेम्ब्रेन फिल्टर परीक्षण के साथ क्रमशः 27% एवं 70% सहसंबंध दर्शाया (चित्र 3)।

सम्पूर्ण अध्ययन से ज्ञात हुआ कि न्यूनतम कॉलिफार्म घनत्व (जैसे 11 से 40 एवं 41 से 210) होने पर त्वरित हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण की क्षमता 370C की तुलना में सामान्य तापमान पर अधिक होती है। यह भी पाया गया है कि 48 घण्टों में इस परीक्षण की सार्थकता अधिक होती है तथा जैसे-जैसे कॉलीफार्म का घनत्व बढ़ता है 370C हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण की सार्थकता बढ़ती जाती है। जब कॉलीफार्म का घनत्व 210 से ज्यादा होता है तब हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण 370C पर सर्वाधिक सहसंबंध दर्शाता है। विभिन्न समयान्तरालों पर इसकी क्षमता में भिन्नता आती है परंतु 18 एवं 24 घंटों की तुलना में 48 घंटों में यह परीक्षण अधिक सार्थक (क्षमता युक्त) होता है।

अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण एम.पी.एन. परीक्षण से 86-89 प्रतिशत सहसंबंध दर्शाता है यह परीक्षण कुएँ के पानी के लिये 84-89 प्रतिशत और होटल एवं रेस्टोरेंट के पानी के लिये 94-97 प्रतिशत और कुपालिका पानी के लिये 80-82 प्रतिशत संबंध दर्शाता है। इससे यह सिद्ध होता है कि पानी की गहराई इस परीक्षण को प्रभावित करती है (चित्र 4)। यह हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण कुपालिका के तुलनात्मक घर के एवं बहते पानी के लिये ज्यादा कारगर साबित होता है क्योंकि ज्यादा गहराई पर पानी का फिल्टरेशन होकर उसकी शुद्धता बढ़ती है (चित्र 5)।

उपसंहार


उपरोक्त अध्ययन दर्शाता है कि मंजा का हाइड्रोजन सल्फाइड परीक्षण एक सरल एवं उचित परीक्षण है जिसे कि विभिन्न संवर्धन तापमान एवं संवर्धन समयांतराल पर बड़ी परास में उपयोग किया जाता है। अतः यह परीक्षण पेयजल में जहाँ पेयजल बीमारी एवं महामारी का क्षेत्र है, जीवाणु परीक्षण के दैनिक पर्यवेक्षण के लिये अनुमोदित किया जा सकता है।

संदर्भ


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सम्पर्क


दिलीप एच तांबेकर, Dilip H Tambekar
स्नातकोत्तर सूक्ष्मजीवशास्त्र विभाग, संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्याल, अमरावती 444602 (महाराष्ट्र), P.G.Department of Microbiology. S.G.B. Amravati University, Amravati 444602 (Maharashtra)

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