गर्मी में पानी को बनाएँ अपना फेवरेट दोस्त

गर्मियों की शुरुआत के साथ ही पानी में सबसे ज्यादा परेशान करने वाला और साथ ही साथ राहत देने वाला एक ही नाम है - ‘पानी’। गर्मियों के दिनों में पानी को कैसे अपना फेवरेट दोस्त बनाएँ। इसी विषय पर शरीर और सेहत से जुड़ी कोशिश।

क्यों पीते हैं हम पानी


हमारे शरीर के सारे अंगों व कोशिकाओं को कामकाजी बने रहने के लिए चाहिए पानी। शरीर में पानी की कमी का कारण केवल पसीना या पेशाब नहीं है। सांस लेने में भी शरीर का पानी खर्च होता है।

हमारे जोड़ों के लिए लुब्रिकेंट्स का काम करता है पानी।
स्पायनल कार्ड की केयर करता है पानी तो अन्य टिश्यूज को भी बर्केबल और सुचारू बनाए रखता है।
इन्टेस्टिटाइन्स से खाद्य पदार्थों के परिवहन का स्रोत है पानी।
पानी मिनरल्स और न्यूट्रीएंट्स को घुलनशील बनाता है ताकि शरीर उन्हें स्वीकार कर ले।
पाचन क्रिया को चुस्त-दुरुस्त रखने के साथ पानी शरीर से वेस्ट को बाहर निकालता है।
यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन से बचाता है पानी।

ग्रीष्म ऋतु और पानी


चिलचिलाती गर्मी यानी ज्यादा तापमान, गरम हवा और पसीना। पसीना यानी पोटेशियम, सोडियम, कॉपर, कैलसियम मिश्रित पानी। शरीर तापमान घटाने के लिए पसीना बहाता है, जो जरूरी है पर पसीना बहने से शरीर में जल की कमी होती है। इसकी पूर्ति ना करेंगे तो सबसे पहले होगा डिहाइड्रेशन। यदि गर्मी में शरीर को पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा तो मेटाबेलिज्म यानी न्यूट्रीएंट्स, मिनरल्स और प्रोटीन को घोलने की रासायनिक क्रिया धीमी हो जाएगी। रक्त और प्लास्मा की विस्कोसिटी में मददगार है पानी। विस्कोसिटी से शरीर में गुड ब्लड का प्रवाह बढ़ता है और हम कई रोग से बचते हैं। इनमें शामिल है गर्मी में डिहाइड्रेशन। ग्रीष्म ऋतु में पानी पीने में कंजूसी करेंगे तो पीएच स्तर गड़बड़ा जाएगा। गेस्ट्रिक रोग और फ्लू जैसे रोग का खतरा बढ़ जाएगा।

किडनी का फ्यूल है पानी


शरीर का बहुत छोटा अंग है किडनी, जो कई महत्त्वपूर्ण काम करता है। यह शरीर से वेस्ट व गैरजरूरी तरल पदार्थ पेशाब के जरिए बाहर निकालता है। किडनी या काम ठीक से नहीं करें तो शरीर में वेस्ट व फ्लूड जमा हो जाते हैं, जो कई गम्भीर रोगों का खतरा बढ़ाते हैं। ये वेस्ट किडनी को भी डैमेज करते हैं, जिसकी अस्थाई उपचार है डायलोसिस और स्थाई उपचार है किडनी ट्रांसप्लांटेशन जो जोखिम भरा खर्चीला उपचार है। किडनी का एक और महत्त्वपूर्ण काम है शरीर में साल्ट, पोटेशियम और एसिड का स्तर नियन्त्रित रखें। इनके गड़बड़ाने से कई रोग हो सकते हैं या याददास्त खो सकती है। किडनी ही खाद्य पदार्थ व ड्रिक्स से मिलने वाले न्यूट्रीएंट्स व मिनरल्स को व्हाया ब्लड शरीर के अन्य अंगों तक पहुँचाती है। इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है तो उनकी रिपेयरिंग भी होती है। इन सब कामकाज के लिए किडनी को चाहिए पर्याप्त पानी। किडनी स्टोन का कारण भी पानी की कमी है।

वाटर थैरेपी को अपनाएँ


प्राकृतिक चिकित्सक सलाह देते हैं कि वाटर थैरेपी अचूक चिकित्सा है। पानी केवल शरीर की सफाई ही नहीं करता बल्कि इसका सही उपयोग बहुत ही राहत दिलाता है। गर्मियों में पेट से सम्बन्धित रोगों में पानी की भूमिका अति आवश्यक होती है। त्वचा रोगों, कब्ज, अनिद्रा, थकान, दर्द, जैसे कई अन्य रोगों में जल चिकित्सा बेहद असरदार होती है और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता। पानी प्रयोग चिकित्सा प्रणाली में अगर गरम पानी का इस्तेमाल किया जाए तो इसका फायदा ज्यादा होता है।

गर्मी की मौसमी परेशानियाँ


इसमें जल नीति क्रिया फायदेमंद होती है। एक लोटा लेकर उसमें हल्का गर्म पानी और ½ चम्मच नमक मिलाकर नाक में लगाएँ और मुँह को खोलकर सास लें तथा दूसरी नाक से पानी को निकाल दें।

थकान, अनिद्रा और बेचैनी


रात में हल्का भोजन लें। रात को सोने के लिए हवादार कमरे तथा आरामदायक बिस्तर का प्रयोग करें। सोने से पहले स्नान करें। नहाते समय सिर पर पानी की धार डालें।

दर्द और सूजन


10 से 20 मिनट तक कटि स्नान करें। उसके बाद तौलिए को गीला करके कमर पर रगड़ें। दर्द या सूजन वाले स्थान पर पानी की धार धीरे-धीरे छोड़े।

पेट सम्बन्धी परेसानियाँ


जब पित्त की मात्रा शरीर में अधिक हो जाए तो रोगी को चाहिए की वह पेट को वमन से ठीक करे। पीने के पानी में नमक डालें। अब कागासन में बैठ कर पानी पानी पिएं। अब 5 से 10 मिनट तक टहलें। उसके बाद आगे की तरफ झुककर वमन कर दें।

कितना पीएँ पानी


इसका कोई निश्चित मापदंड नहीं है। यह व्यक्ति विशेष की दिनचर्या व स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। सामान्यतः प्रतिदिन पुरुष को 2.9 लीटर और महिला को 2.2 लीटर पानी पीना चाहिए। हमें कई खाद्य पदार्थ जैसे-सूप, टमाटर, मौसंबी व नारंगी से पानी की कमी दूर होती है। दूध व जूस जैसे नेचुरल व ताजा बेवरेजेस भी दिन में लेते रहने चाहिए।

प्लास्टिक कंटेनर्स का पानी देता है नुकसान


अमेरिकी के चिकित्सा-विज्ञानियों ने ताजा शोध में पाया है कि प्लास्टिक कंटेनर्स में रखा पानी घातक बीमारियों का कारण बन सकता है।

गर्मी के मौसम में ठंडे पानी की तड़प फ्रीज में रखी प्लास्टिक बोतल भले ही तुरन्त पूरी कर देती हो लेकिन बोतल में रखा पानी बीमारियाँ भी साथ में परोसता है। अमरीकी चिकित्सा-विज्ञानियों ने एक रिसर्च में यह पाया है कि प्लास्टिक कंटेनर्स में रखा पानी न केवल कई घातक बीमारियों का कारण बनता है, साथ ही महिलाओं में मोटापा भी बढ़ाता है। प्लास्टिक फूड रैपिंग और प्लास्टिक फीडिंग बोटल्स में प्रयोग किए जाने वाले केमिकल के बारे में माना जाता है कि ये शरीर के हार्मोन्स में इंटरफेयर कर फैट लेवल बढ़ाते हैं। शरीर को प्लास्टिक से होने वाले नुकसान और गुणवत्ता के अनुसार सात श्रेणियों में बाँटा गया है। प्लास्टिक के ग्रेडिंग नम्बर कंटेनर या बोतल के निचले भाग में महीन अक्षरों में लिखे होते हैं। इसमें 3,6 और 7 ग्रेड वाला प्लास्टिक सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। 3 ग्रेड वाले प्लास्टिक में पॉली विनाईल क्लोराइड (पीवीसी) होता है, जो गर्म होने पर हाईड्रोजन क्लोराइड और डायोक्सिन छोड़ता है। यह कैंसर और प्रजनन से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है। वहीं, 7 ग्रेडिंग के प्लास्टिक में पोलीकार्बेनेट होता है, जो शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को प्रभावित करता है। कई विशेषज्ञ प्लास्टिक बोटल्स में पानी भरकर रखने को ठीक नहीं मानते। विशेज्ञों के अनुसार प्लास्टिक के मुकाबले स्टील या ताम्बे के बर्तनों में पानी रखना कहीं ज्यादा सुरक्षित है।

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