गर्मी में रहीम की याद


रहीम जैसे कवि हर बड़े कवि की तरह अनेक अवसरों पर याद आते ही हैं, लेकिन गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत को लेकर उनका दोहा किसी मुहावरे की तरह जुबान पर आ जाता है- ‘रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून...।’ अब मध्य प्रदेश के हिस्से वाले बुन्देलखण्ड के छतरपुर को ही लें तो लगातार तीसरे साल सूखे का सामना कर रहे इस जिले के ज्यादातर हिस्सों में जल संकट का हाल यह है कि अनेक गाँवों में लड़कों की शादी तक नहीं हो पा रही है और उनकी उम्र निकली जा रही है। सचमुच पानी न रहे तो मोती-मानुष-चून उबर नहीं सकते... यों तो रहीम जैसे कवि हर बड़े कवि की तरह अनेक अवसरों पर याद आते ही हैं, लेकिन गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत को लेकर उनका दोहा किसी मुहावरे की तरह जुबान पर आ जाता है- ‘रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून...।’ अब मध्य प्रदेश के हिस्से वाले बुन्देलखण्ड के छतरपुर को ही लें तो लगातार तीसरे साल सूखे का सामना कर रहे इस जिले के ज्यादातर हिस्सों में जल संकट का हाल यह है कि अनेक गाँवों में लड़कों की शादी तक नहीं हो पा रही है और उनकी उम्र निकली जा रही है।

सचमुच पानी न रहे तो मोती-मानुष-चून उबर नहीं सकते। ऐसे ही अनेक गाँवों में से एक गाँव है तेइयामार, जिस पर सूखे की मार इतनी जबरदस्त है कि गाँव में कहीं पानी का नामो-निशान नहीं है। इस गाँव के करीब 60 युवकों की शादी की हसरत सूख चली है, आखिर कौन अपनी बेटी की शादी ऐसे गाँवों में करे, जहाँ पानी के लिये रोजाना एक-दो किलोमीटर की फेरी लगानी पड़े।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 13 जिले भीषण सूखे का सामना कर रहे हैं और अभी से अनेक इलाकों में पानी के लिये मारामारी शुरू हो गई है, जबकि अभी पूरी गर्मी बाकी है। पिछले कुछ सालों से सूखे और जल संकट ने यहाँ खेती और सामाजिक जीवन पर बहुत ही बुरा असर डाला है। दूसरी ओर मौसम विभाग ने पहली बार गर्मी और लू को लेकर भविष्यवाणी जारी करते हुये कहा है कि अप्रैल से जून तक का मौसम लगभग पूरे देश में सामान्य से अधिक गर्म रहेगा। इसके साथ ही देश के मध्य और उत्तर पश्चिमी हिस्सों में लू के झुलसा देने वाले जबरदस्त थपेड़े चलने की बात कही गई है।

गौरतलब है पिछले साल गर्मी में सिर्फ दो राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ही ढाई हजार लोगों की जान गर्मी की चपेट में आकर चली गई थी। मौसम विभाग ने इस बार के मौसम के बारे में कहा है कि लू की प्रचंडता और इसकी अवधि पूरे देश में बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। ऐसा दरअसल ग्रीन हाउस गैसों के अधिक उत्सर्जन की वजह से होने जा रहा है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार, अप्रैल से जून तक उत्तर पश्चिम भारत, केरल से लेकर दक्षिण भारत और विदर्भ से लेकर मध्य भारत में औसत तापमान सामान्य से एक डिग्री अधिक रहने की सम्भावना है। इसका मतलब है कि दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, मराठवाड़ा, विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र और तटीय आंध्र प्रदेश में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक होने और मध्यम से प्रचंड स्तर के लू की काफी ज्यादा आशंका है।

इसके अलावा अन्य इलाकों में भी इस बार की गर्मी के मौसम का औसत तापमान आधा से एक डिग्री अधिक रहेगा। सहज ही समझा जा सकता है कि देश के लगभग तीन चौथाई क्षेत्रफल पर इस बार गर्मी की असाधारण मार पड़ने जा रही है। मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार, पूरे उत्तर पश्चिमी भारत में अप्रैल से जून तक इस मौसम का तापमान सामान्य से अधिक होगा। मौजूदा साल की शुरुआत ही अपेक्षाकृत गर्म जनवरी और फरवरी से हुई थी और यह स्थिति आगे उत्तरोत्तर और मुश्किल भरी होती जायेगी।

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