हैंडपंप उगल रहे जहरीला जल

17 Dec 2013
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जल वैज्ञानिकों के अनुसार पानी में आर्सेनिक, आयरन, नाइट्रेट, क्लोराइड, फ्लोराइड जैसे हानिकारक तत्व मौजूद हैं। शुद्ध पानी रंगहीन, गंधहीन व स्वादहीन होता है। जबकि पानी मीठा लगे तो आर्सेनिक तत्व ज्यादा होता है। बताया जाता है कि विभिन्न केमिकल कारखानों के गंदे प्रदूषित जल को बोरिंग कर धरती में समाए जाने के कारण विकट स्थिति पैदा हुई है। हापुड़, 14 दिसंबर। जनपद के गाँवों में लोग जहरीला पानी पी रहे हैं। इस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कैंसर, अल्सर, त्वचा रोग, पीलिया, हेपेटाइटिस, उल्टी-दस्त आदि बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।

सीएमओ डॉ. दिनेश शर्मा का कहना है कि दूषित जल पीने से पेट खराब होने के कारण विभिन्न बीमारियाँ मनुष्य के शरीर में आ जाती हैं। हापुड़ सहित गाज़ियाबाद व गौतमबुद्ध नगर जनपदों के हैंडपंप जहरीला जल उगल रहे हैं। हैंडपंपों से गंदा पीला जल निकल रहा है।

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम विषयक (ग्राम पेयजल व स्वच्छता समिति) एक एनजीओ विजय पाल सिंह के मुताबिक विभिन्न योजनाओं के तहत लगने वाले सरकारी हैंडपंपों पर रोक लगा दी गई है क्योंकि हैंडपंप 120 फुट गहराई तक लगाए जाते हैं। जल वैज्ञानिकों के मुताबिक 150 फुट गहराई तक मिलने वाला पानी दूषित हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक सरकारी हैंडपंप लगवाने में सरकार का लगभग 54 हजार रुपया खर्च आता है। फिर भी दूषित जल आता है।

केंद्र सरकार ने लोगों को शुद्ध जल मुहैया कराने के लिए 2022 तक हर गांव में ओवरहेड टैंक बनाकर पाइप लाइन के जरिए जल सप्लाई की रणनीति बना ली है। इसके लिए हर गांव में पेयजल समिति का गठन किया जाएगा। इसमें गांव से चुनाव जीतने वाले छह सदस्य व दूसरे गांव के छह सदस्य यानी कुल 12 सदस्य होंगे।

बताया जाता है कि ज़मीन में शुद्ध जल 300 से 1100 फुट तक बोरिंग करने पर पाया जाता है। हापुड़ में शुद्ध जल प्राप्त करने के लिए 300 से 500 फुट गहराई तक बोरिंग कराना होगा। गाज़ियाबाद व गौतमबुद्ध नगर में 900 से 1100 फुट बोरिंग पर शुद्ध जल मिलता है। हर ब्लॉक स्तर पर पानी की जांच के लिए किट उपलब्ध कराई जा रही है।

जल वैज्ञानिकों के अनुसार पानी में आर्सेनिक, आयरन, नाइट्रेट, क्लोराइड, फ्लोराइड जैसे हानिकारक तत्व मौजूद हैं। शुद्ध पानी रंगहीन, गंधहीन व स्वादहीन होता है। जबकि पानी मीठा लगे तो आर्सेनिक तत्व ज्यादा होता है। बताया जाता है कि विभिन्न केमिकल कारखानों के गंदे प्रदूषित जल को बोरिंग कर धरती में समाए जाने के कारण विकट स्थिति पैदा हुई है। इसके लिए नगरपालिका, प्रशासन व प्रदूषण विभाग मुख्य रूप से दोषी समझे जा रहे हैं।

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