हिमालयी प्राकृतिक संपदा एवं जैवविविधता संरक्षण में सहायक हैं स्थानीय पारंपरिक ज्ञान


काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ‘पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान’ द्वारा राजीव गांधी दक्षिणी परिसर, मिर्जापुर में ‘‘जलवायु परिवर्तन के युग में धारणीय जल संसांधन प्रबंधन’’ विषयक दो दिवसीय (10-11 जनवरी, 2014) राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया।

इस परिसंवाद के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता एवं पर्यावरणविद तथा चिपको आंदोलन के सक्रिय सदस्य पद्मभूषण श्री चंडी प्रसाद भट्ट थे। उन्होंने हिमालय में स्थित प्रचुर जैव विविधता तथा प्राकृतिक संपदा की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा की स्थानीय समुदायों का पारंपरिक ज्ञान हिमालय की प्राकृतिक संपदा एवं जैवविविधता को संरक्षित रखने में सहायक सिद्ध हो सकती है। संस्थान के निदेशक प्रो. ए.एस. रघुवंशी ने वर्तमान संदर्भ में जल उपलब्धता व प्रबंधन की धारणीय विधियों पर चर्चा की। राजीव गांधी दक्षिणी परिसर के विशेष कार्याधिकारी प्रो. आर.पी. सिंह ने इस प्रकार की संगोष्ठियों के अधिक से अधिक आयोजन पर बल दिया। कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद के डॉ. एच.के. पाण्डेय ने भूजल संसाधन : वर्तमान परिदृश्य एवं भावी चुनौतियों पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रारंभ में संगोष्ठी की आयोजन सचिव प्रो. कविता शाह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी के उद्देश्यों से अवगत कराया।

इस अवसर पर संगोष्ठी की शोध सारांशिका का लोकार्पण भी किया गया। कृषि विज्ञान संस्थान, का.हि.वि.वि. के उद्यान विभाग के प्रो. अनिल कुमार सिंह ने कृषि क्षेत्र में जल के धारणीय उपयोग एवं सिंचाई की नवीन विधियों को जनसामान्य तक सुलभ कराने पर बल दिया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. देवेन्द्र मोहन ने भारी धातुओं का जीव-जंतुओं पर विषैले प्रभावों का वर्णन किया। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के वैज्ञानिकों डॉ. एस.एन.एस. चौरसिया तथा डॉ. ए.बी. सिंह ने सब्जी उत्पादन संबंधी व्याख्यान प्रस्तुत किये।

समापन सत्र की अध्यक्षता वनस्पति विज्ञान विभाग, का.हि.वि.वि. के प्रो. आर.एस. उपाध्याय ने की तथा कृषि विज्ञान केंद्र, का.हि.वि.वि. के समन्वयक प्रो. श्री राम सिंह विशिष्ट अतिथि रहे। इस सत्र में प्रो. आर.पी. सिंह, प्रो. जी.एस. सिंह, डॉ. आर.के. मल, डॉ. आर.पी. सिंह, डॉ. पी.सी. अभिलाष, डॉ. जे.पी. वर्मा, डॉ. टी. बनर्जी, डॉ. अनिल पाण्डेय, डॉ. रजनी श्रीवास्तव, डॉ. विजय कृष्ण सहित अनेक शिक्षक व शोध छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे। संगोष्ठी के शोध कार्यों के मौखिक प्रस्तुतियों में चार को पुरस्कृत भी किया गया। समापन कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. कविता शाह ने किया।

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