हमें ही चुकानी होगी बर्बादी की कीमत

6 May 2019
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भारत का खुबसूरत हिल स्टेशन पानी से बेहाल
भारत का खुबसूरत हिल स्टेशन पानी से बेहाल

पानी की बर्बादी जल संकट का एक बड़ा कारण है। और हमें इसका एहसास भी नहीं होता कि जिस पानी को हम बर्बाद कर रहे हैं उसी की कमी की वजह से कितने लोग प्यासे रह जाते हैं। गंदा पानी एक और बड़ी समस्या है, जिसके कारण 80 फ़ीसदी बीमारियां होती हैं

मैं पिछले 25 साल से मुंबई और दूसरे शहरों की झुग्गी झोपड़ियों में काम कर रही हूं। मैं वहां जाती हूं और उन लोगों से मिलती हूं।  मैंने अपने कई साल और कई घंटे उन लोगों के साथ रह कर बिता दिए जो गरीबी में हैं और गंदी जगहों पर रहते हैं। मैं उनके हर दुख और सुख में उनके साथ रही और वहां रहकर मैंने जाना कि हमारे मुल्क की जो 80 फ़ीसदी बीमारियां हैं वह पानी के कारण है। पानी से मेरा मतलब है कि साफ पानी और पानी की उचित मात्रा। हमारे देश में ऐसी कई जगह है जहां पर लोगों को उचित मात्रा में पानी नहीं मिलता है, जिसके कारण उनका स्वास्थ्य खराब रहता है और बीमारियां घर कर जाती हैं। वहीं कई जगहों पर पानी तो है, लेकिन वह साफ नहीं है और साफ पानी इतनी दूर है कि उनकी पहुंच से बाहर हो जाता है, इसलिए उसका प्रभाव भी शरीर पर पड़ता है। मैंने कुछ समय पहले ‘प्यासे को पानी’ अभियान भी ज्वाइन किया और लोगों से गुजारिश की कि वे पानी का खास ख्याल रखें। बड़े शहरों में लोग पीने के पानी के प्रति जागरूक तो होते हैं लेकिन पानी को कैसे बचाना है? इस पर ध्यान नहीं देते। आज के दौर में जहां आराम के लिए हर चीज बटन के रूप में बदल गई है। उसी बटन का लोग सही इस्तेमाल करना नहीं जानते, तभी तो मोटर का बटन दबा कर छोड़ देते हैं, जिसके कारण न जाने कितने लीटर पानी बर्बाद होकर बह जाता है। उसी तरह बाथरूम में नहाने के लिए शाॅवर खुला छोड़ देते हैं। क्या कभी उन लोगों ने छोटी जगहों या फिर ऐसी जगहों पर जाकर देखा है, जहां पर सिर्फ एक बाल्टी पानी के लिए घंटों दूर जाना पड़ता है और घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता है। मैं जहां भी जाती हूं इस बात का खास ध्यान रखती हूं कि कुछ भी काम ऐसा ना हो जिसमें बेवजह पानी की बर्बादी करनी पड़े। बाथरूम में भी बाल्टी और मग का ज्यादा-से-ज्यादा प्रयोग करती हूँ। मेरा मानना है कि पैसा हो या फिर कोई भी चीज, बिना वजह बर्बाद नहीं करनी चाहिए । आखिर बर्बादी की कीमत चुकानी हमें ही तो चुकानी पड़ती है।

पिछले साल ही जब मैंने देखा कि शिमला में एक बाल्टी पानी के लिए लोग कई किलोमीटर दूर जाने को विवश हैं, तो सबसे पहले मेरे दिमाग में यही आया कि कैसे सिर्फ एक पानी की दिक्कत ने इतने सुंदर शहर की हालत खराब कर दी। वहां पर उस वक्त छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बूढे तक एक बर्तन पाने के लिए खड़े थे। यहां तक कि पानी के लिए खूब लड़ाई-झगड़ा भी हुआ। ये सब उसी पानी के लिए था जिसे हम बिना सोचे-समझे यूं ही वह बहाते रहते हैं। सोचिए कि सिर्फ एक पानी की किल्लत ने कई दिनों तक वहां के रहनेवाले लोगों की आजीविका पर इस कदर प्रभाव डाला कि उनके घर का पूरा बजट बिगड़ गया।

दरअसल पानी की कमी के कारण वहां पर पर्यटकों ने आना बंद कर दिया था, जिसके कारण वहां के लोगों की हालत खराब हो गई। होटलों में पानी की कमी थी जिस कारण होटल वाले भी बुकिंग लेने से इनकार कर रहे थे। ऐसे में माहौल और खराब होता चला गया जिसका सीधा प्रभाव आम आदमी पर पड़ा।

यही हाल देश में कई शहरों का है, जिन पर हम ध्यान भी नहीं देते हैं। महाराष्ट्र में हर साल पड़नेवाले सूखे और उससे होने वाले नुकसान के बारे में तो सभी जानते हैं। हर साल वहां के लोगों की मुसीबत के बारे में खबर सुनकर दिल भर आता है और यही सोच आती है कि कब उनकी समस्या दूर होगी!

(लेखिका मशहूर फिल्म अभिनेत्री हैं)

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