हर आदमी रोज बहाता है दो हजार लीटर पानी

15 Dec 2010
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पानी का दुरुपयोग
पानी का दुरुपयोग

पानी की महत्ता के बारे में अनभिज्ञ होने की वजह से औसतन हर आदमी अपनी दिनचर्या के दौरान, यानी नाश्ता और दिन के भोजन के दौरान रोजाना लगभग दो हजार लीटर पानी व्यर्थ बहा देता है।

दिल्ली जैसे राज्य में पानी का इस तरह दुरुपयोग काफी चिंताजनक है, क्योंकि यहां पानी की भारी किल्लत है। दिल्ली जल बोर्ड द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र में स्थापित ‘स्टेट ऑफ आर्ट जल एवं अवजल गैलरी’ नामक प्रदर्शनी में इसका खुलासा किया गया है।

गैलरी में उल्लेख किया गया है कि यदि हम सुबह के वक्त आम शॉवर (झरना) के बदले लो फ्लो शॉवर का उपयोग करें तो एक मिनट के दौरान 60 लीटर पानी की बचत कर सकते हैं।

इसके अलावा, आधा कप काफी के बदले आधा कप चाय का उपयोग करने पर 112 लीटर, नाश्ते के समय दो अंडे के आमलेट के बदले आधा प्लेट सेरल (अनाज) का सेवन करने पर दो सौ लीटर तथा एक सेब के बदले एक संतरे के उपयोग से 20 लीटर पानी की बचत की जा सकती है।

इसी प्रकार, भोजन के दौरान 500 मिलीलीटर सोडा वाटर के बदले 600 मिलीलीटर पानी का उपयोग करने पर लगभग 233 लीटर पानी की बचत होती है, जबकि एक पीस मीट बर्गर के बदले एक प्लेट सलाद के सेवन से 2412 लीटर पानी बचाया जा सकता है।

यदि 450 ग्राम मीट के बदले 200 मिलीलीटर दूध का उपयोग करें तो 5800 लीटर का पानी की बचत होती है, अर्थात 450 ग्राम मीट को तैयार होने में 6000 लीटर पानी की खपत होती है। जबकि, 200 मिलीलीटर दूध तैयार होने के लिए 200 लीटर पानी की जरूरत होती है।

ज्ञात हो कि पिछले 50 वर्षों के दौरान दिल्ली का जल स्तर काफी नीचे चला गया है। स्थितियां इतनी भयावह हो गई हैं कि राजधानी में अब हैंडपम्प लगाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके बाद भी बड़े पैमाने पर बढ़ती जनसंख्या की प्यास बुझाने के लिए दिल्ली को आमतौर पर पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है।

वैसे भी, यमुना में पानी काफी कम है। इसके चलते पूर्वी दिल्ली स्थित सोनिया विहार जल संयंत्र और भागीरथी जल संयंत्र को कच्चे पानी की आपूर्ति के लिए गंगा पर निर्भर रहना पड़ता है।

जबकि, दिल्ली के चारो ओर कृषि प्रधान राज्य हैं और इन राज्यों में बड़े पैमाने पर सिंचाई के लिए पानी की जरूरत होती है। ऐसे में पानी का सही ढंग से सदुपयोग करके ही दिल्ली में पानी की किल्लत को दूर किया जा सकता है
 

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