इलायची, एलोवेरा उगा दूर भगा रहे गरीबी


पौड़ी से 120 किमी दूर थलीसैंण विकासखण्ड की चौथान पट्टी का कांडई गाँव बच्चीराम की कर्मभूमि है। यहाँ उन्होंने अपनी एक हेक्टेयर भूमि में सरस्वती किसान पौधालय की स्थापना की, जहाँ आज बड़ी इलाचयी, तेजपत्ता, आँवला, थुनेर व एलोवेरा के अलावा विभिन्न फल-सब्जियाँ उगा मुनाफा कमा रहे हैं। इसके अलावा मत्स्य पालन और जैविक खाद भी तैयार कर रहे हैं। उनका एक बेटा डिप्लोमा इंजीनियर है, जबकि दूसरा ग्रेजुएशन कर रहा है। दोनों ही पिता की इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं।

उत्तराखण्ड के हजारों गाँव मानवविहीन हो चुके हैं। मूलभूत सुविधाओं की कमी और खेती में लागत न निकल पाने के कारण ग्रामीणों का शहरों को पलायन जारी है। ऐसे में पौड़ी जिले के कांडई गाँव निवासी 58 वर्षीय किसान बच्चीराम ढौंडियाल की पहल उम्मीद जगा रही है। बच्चीराम ने कड़ी मेहनत से अपनी बंजर भूमि को न केवल उपजाऊ बनाया बल्कि आदर्श नर्सरी स्थापित कर स्वरोजगार की एक नई परिभाषा गढ़ी है।

पौधालय ने बदली तकदीर


यह प्रयास न केवल बच्चीराम के परिवार की गरीबी दूर करने में सफल रहा बल्कि रोजगार की तलाश में पहाड़ छोड़ने वाले ग्रामीणों को भी नई उम्मीद दे गया। मंडल मुख्यालय पौड़ी से 120 किमी दूर थलीसैंण विकासखण्ड की चौथान पट्टी का कांडई गाँव बच्चीराम की कर्मभूमि है। यहाँ उन्होंने अपनी एक हेक्टेयर भूमि में सरस्वती किसान पौधालय की स्थापना की, जहाँ आज बड़ी इलाचयी, तेजपत्ता, आँवला, थुनेर व एलोवेरा के अलावा विभिन्न फल-सब्जियाँ उगा मुनाफा कमा रहे हैं।

इसके अलावा मत्स्य पालन और जैविक खाद भी तैयार कर रहे हैं। उनका एक बेटा डिप्लोमा इंजीनियर है, जबकि दूसरा ग्रेजुएशन कर रहा है। दोनों ही पिता की इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। यही नहीं, पौधालय में उन्होंने दो स्थानीय परिवारों को रोजगार भी दिया है। बच्चीराम बताते हैं कि इस पौधालय से वे हर वर्ष लगभग आठ लाख रुपए तक कमा लेते हैं।

नजीर बना पौधालय


कांडई गाँव में स्थापित सरस्वती किसान पौधालय सरकारी विभागों के लिये भी एक नजीर बना हुआ है। बच्चीराम बताते हैं कि जिले के कई विभागों के अधिकारी ग्रामीण किसानों को नर्सरी की तकनीक और उत्पादन का प्रशिक्षण देने के लिये यहाँ लाते हैं। इसके अलावा आस-पास के जिलों से भी किसान यहाँ पहुँचते हैं।

1500 रुपए किलो में बिकती है बड़ी इलायची


बच्चीराम बताते हैं कि बड़ी इलायची की बाजार में काफी माँग है। यह 1500 रुपए किलो के दाम पर बिकती है। इसके उत्पादन से अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है। तेजपत्ता, एलोवेरा, आँवला आदि की भी माँग बनी रहती है। इसके अलावा जैविक खाद की भी अच्छी-खासी डिमांड है।

गाँव छोड़कर जाने की जरूरत नहीं


बच्चीराम के बेटे नीरज ढौंडियाल का कहना है, इंजीनियरिंग करने के बाद मैंने सोचा कि बाहर नौकरी करने के बजाय पिता का ही हाथ क्यों न बँटाया जाये। वर्तमान में पौधालय की देखभाल कर रहा हूँ और इससे अच्छी आमदनी भी मिल रही है। मुझे अपना गाँव छोड़कर बाहर जाने की कोई जरूरत महसूस नहीं हो रही है।

प्रेरक साबित हो रही पहल


बच्चीराम कहते हैं कि उनकी कोशिश है कि अन्य लोग भी इस तरह से अपनी जमीन का सदुपयोग कर सकते हैं। इसके लिये वे लोगों को प्रेरित भी कर रहे हैं। ग्राम देवराड़ी निवासी जगदीश सिंह बताते हैं, मैंने बच्चीराम ढौंडियाल के सरस्वती पौधालय से प्रेरणा ले स्वयं भी यह कार्य शुरू किया। आज मैं भी बड़ी इलायची, सेब, अखरोट आदि का उत्पादन कर रहा हूँ। ग्राम ग्वाल्थी निवासी आनंद सिंह बताते हैं, मैं सब्जी के अलावा बड़ी इलायची का उत्पादन और मत्स्य पालन कर रहा हूँ। इससे मेरी जीविका आराम से चल रही है।

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