जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र

21 Sep 2011
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वैश्विक जैव विविधता पूरी पृथ्वी की सम्पूर्ण जैव विविधता है और इसकी सटीक रूप से गणना करना लगभग असंभव है। हम इतना जरूर जानते हैं कि अधिकांश प्रजातियों का समय समाप्त होता जा रहा है।

वर्णित प्रजातियों में से लगभग:


• 7,50,000 कीट हैं।
• 41,000 कशेरुकी जीव हैं।
• 2,50,000 वनस्पतियां हैं।

शेष बची हुई प्रजातियों में अकशेरुकी, फफूंदी, शैवाल एवं अन्य सूक्ष्मजीव सम्मिलित हैं। वास्तव में हम अभी तक पृथ्वी पर समस्त संभावित पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक आवास भी नहीं खोज पाए हैं। इस प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्रों में महासागरों की गहराइयां, पेड़ों की चोटियां और उष्णकटिबंधीय वनों की मिट्टी सम्मिलित हैं। समय हमारे लिए भी बहुत तेजी से भाग रहा है। बहुत सी प्रजातियां खतरनाक ढंग से विलुप्तता के कगार पर हैं और शायद जब तक विज्ञान के ज्ञान का प्रकाश उन तक पहुंचे, उनमें से कई गुमनामी की गर्त में खो चुके होंगी।

जैव विविधता का विस्तार पूरे विश्व में एक समान नहीं है। दुनिया की कुल भूमि क्षेत्र के लगभग सात प्रतिशत हिस्से में दुनिया भर की आधी प्रजातियां निवास करती हैं जिसमें से उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में ही एक बहुत बड़ा हिस्सा बसता है। हालांकि इस विषय पर एक राय कायम नहीं है कि पृथ्वी के किस हिस्से में सर्वाधिक जैव विविधता है, परन्तु अमेजन वर्षावनों को इस शीर्ष पद पर काबिज करने के लिए सर्वाधिक स्वीकार्यता प्राप्त है।

वृहद जैव विविधता वाले देश


कुछ राष्ट्रों में अन्य देशों की तुलना में अत्यधिक प्रजातीय प्रचुरता एवं देशी या स्थानिक प्रजातियों की अधिक संख्या पाई जाती है। ऐसे देश वृहद जैव विविधता वाले देश कहलाते हैं। दुनिया भर में वृहद जैव विविधतावृहद जैव विविधता12 ऐसे देशों को वृहद जैव विविधता वाले देशों का दर्जा मिला हुआ है। ये हैं: भारत, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, कोलम्बिया, इक्वाडोर, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मैक्सिको, पेरू एवं जैरे। यदि इन देशों की जैव विविधता को संयुक्त रूप से देखा जाए तो ये विश्व भर की ज्ञात जैव विविधता का 60-70 प्रतिशत हिस्सा होगा।

भारत की समृद्ध जैव विविधता


भारत विश्व के 12 वृहद जैव विविधता वाले देशों में से एक है। विश्व भर के भूमि क्षेत्रफल के 2.4 प्रतिशत हिस्से के साथ भारत ज्ञात प्रजातियों के 7-8 प्रतिशत हिस्से का आश्रयदाता है। अभी तक वनस्पतियों की 46,000 से अधिक एवं प्राणियों की 81,000 से अधिक प्रजातियां भारत में खोजी जा चुकी हैं। यह खोज क्रमशः बॉटेनिकल सर्वे आफ इंडिया एवं जेलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के तत्वावधान में की गई हैं।

भारत को फसलों की विविधता का केन्द्र माना जाता है। यह खेती की गई वनस्पतियों की उत्पत्ति के 12 केन्द्रों में से एक है। भारत को चावल, अरहर, आम, हल्दी, अदरक, गन्ना, गूज़बेरी आदि की 30,000-50,000 किस्मों की खोज का केन्द्र माना जाता है और दुनिया में कृषि को सहयोग प्रदान करने में भारत का सातवां स्थान है। भारत बहुत से जंगली एवं पालतू पशुओं का आवास है। दुनिया के ‘जैव विविधता हॉटस्पॉट’, ऐसे क्षेत्र हैं जहां स्थानित प्रजातियों की भरमार हो। ऐसे दो क्षेत्र भारत में हैं।

जैविक हॉटस्पॉट


जैव विविधता विशेषज्ञ डॉ. नॉर्मन मायर्स ने सबसे पहले इन जैव विविधता हॉटस्पॉट को पहचाना और 1988 और 1990 में प्रकाशित अपने दो लेखों में इन्हें प्रस्तुत किया। अधिकांश हॉटस्पॉट उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों और जंगली इलाकों में मौजूद हैं। 1988 में किए गए अध्ययन में पहचाने गए 18 हॉटस्पॉट में से दो भारत में खोजे गए। ये दो क्षेत्र पश्चिमी घाट और पूर्वी हिमालय थे। हाल ही में संशोधित 25 हॉटस्पॉट की सूची में चुने गए दो क्षेत्र पश्चिमी घाट/श्रीलंका और भारत-बर्मा क्षेत्र को शामिल किया गया है। ये दोनों ही विश्व के आठ शीर्ष सर्वाधिक महत्वपूर्ण हॉटस्पॉट क्षेत्रों में सम्मिलित हैं।

इसके साथ ही भारत में ऐसे 26 मान्यता प्राप्त स्थानिक केन्द्र हैं जहां आज तक पहचाने गए और वर्णित पुष्पीय पौधों में से लगभग एक तिहाई पौधे पाए जाते हैं।

पश्चिमी घाट/श्रीलंका हॉटस्पॉट


पश्चिमी घाटों को सहयाद्री पहाडि़यां भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में लगभग 1,60,000 वर्ग कि.मी. का क्षेत्रफल आता है और यह क्षेत्र देश के दक्षिणी छोर से गुजरात तक 1600 कि.मी. तक फैला हुआ है। पश्चिमी घाट दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाओं को रोकते हैं इसलिए इन पहाडि़यों की पश्चिमी ढलानों पर हर साल भारी बारिश होती है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि यहां पाई जाने वाली वानस्पतिक विविधताएं गणना से लगभग परे हैं। झाड़ीदार जंगल, पतझड़ी एवं उष्णकटिबंधी वर्षावन, पर्वतीय जंगल और ढलानदार घास के मैदान, यहां सभी कुछ पाया जाता है।

इस प्रकार के विविध प्राकृतिक वास स्थल अविश्वसनीय प्रजातियों को संजोए होते हैं।

भारत-बर्मा हॉटस्पॉट


भारतीय जैव विविधता के दो हॉटस्पॉटभारतीय जैव विविधता के दो हॉटस्पॉटयह हॉटस्पॉट उष्णकटिबंधीय एशिया के गंगा-ब्रह्मपुत्र निम्नभूमि का 23,73,000 वर्ग कि.मी. क्षेत्र घेरता है। इस हॉटस्पॉट में पारिस्थितिकी तंत्रों की आश्चर्यजनक विविधताएं देखने को मिलती हैं। इनमें मिश्रित आर्द्र सदाबहार, शुष्क सदाबहार, पतझड़ी एवं पर्वतीय वन सम्मिलित हैं। झाड़ीदार वन, काष्ठवन और बिखरे हुए बंजर वन भी कहीं-कहीं पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में निम्नभूमि बाढ़ से तैयार दलदल, कच्छ वनस्पतियां (मैंग्रोव) और मौसमी घास के मैदान भी पाए जाते हैं।

प्राकृतिक वासों की विविधता के सहयोग से प्राप्त जीवन के प्रकार वास्तव में बेहतरीन विविधता का उदाहरण हैं। पर अब सवाल यह उठता है कि इस विस्तृत प्राणि एवं वनस्पति जीवन की प्लैनेट अर्थ यानी पृथ्वी ग्रह में क्या भूमिका है?

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