जहरीली होती यमुना नदी

यह विडंबना है देश की पवित्र नदियों में शामिल यमुना दिल्ली में एक गंदे नाले में तब्दील हो गई है। यमुना की इस हालत के लिए कई कारक हैं। घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट को लेकर गिरने वाले बाइस नालों के अलावा यमुना को गंदा और प्रदूषित करने में धार्मिक आस्था भी कम दोषी नहीं हैं।दुर्गा पूजा महोत्सव के बाद दुर्गा प्रतिमाएं एवं निष्प्रयोज्य पूजन सामग्री को यमुना नदी में विसर्जित किए जाने की परंपरा इस नदी की अपवित्रता को बढ़ाने का ही काम कर रही है। एक अध्ययन के मुताबिक, यमुना नदी में 7.15 करोड़ गैलन गंदा पानी रोज प्रवाहित होता है, किंतु पानी का अधिकांश भाग परिशोधित नहीं हो पाता।

यदि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर यकीन करें तो आज यमुना का पानी स्नान करने योग्य भी नहीं रहा है। हालांकि यमुना नदी की हालत देखकर यह कहना भी अनुचित नहीं कि आखिर सरकार, सरकारी एजेंसियों और स्वयंसेवी संस्थाओं ने यमुना की सफाई के लिए क्या ठोस उपाय किए हैं? जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अब तक सफाई के नाम पर 1800 करोड़ रुपये की राशि खर्च कर चुका है और 15 सौ करोड़ रुपये खर्च करने के लिए योजना बनाई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट भी यमुना में बढ़ते प्रदूषण को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुकी है।

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