जल बोर्ड में प्राइवेटाइजेशन की आहट

2 Nov 2010
0 mins read
नई दिल्ली।। वॉटर लॉस कम करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड ऑपरेशंस और मैनेजमेंट का जिम्मा प्राइवेट हाथों में सौंपने की तैयारी कर रहा है। इसकी शुरुआत नांगलोई जोन से होगी। इसके लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा रही है। नए साल की शुरुआत में प्रोजेक्ट रिपोर्ट आ जाएगी जिसके बाद इस पर अमल किया जाएगा। टेंडर के जरिए जिसे भी नांगलोई जोन का जिम्मा दिया जाएगा उसे 30 सालों तक ऑपरेट और मेंटेन की जिम्मेदारी संभालनी होगी। नांगलोई जोन के बाद दिल्ली के बाकी छह जोन में ही यह तरीका अपनाया जाएगा।

देश के बड़े शहरों से तुलना की जाए तो दिल्ली में पानी लीकेज की सबसे खराब स्थिति है। यहां 9000 किलोमीटर पाइप लाइन के जरिए 800 एमजीडी पानी सप्लाई होता है जिसका 40 फीसदी बेकार हो जाता है। एसोचैम की एक स्टडी के मुताबिक लीकेज और पानी चोरी की वजह से 40 फीसदी पानी का रेवेन्यू नहीं मिल पाता जबकि दूसरे विकासशील देशों में 15-20 फीसदी पानी का ही हिसाब-किताब नहीं होता है। मुंबई में यह आंकड़ा 20 फीसदी है। 15 फीसदी पानी लीकेज को सामान्य माना जाता है। बढ़ती आबादी के साथ दिल्ली में पानी की जरूरत बढ़ती जा रही है और लीकेज से निपटना बहुत जरूरी हो गया है। वॉटर लॉस कम करने के लिए जल बोर्ड ने प्राइवेट कंपनियों की मदद लेने की योजना बनाई है।

पायलट प्रोजेक्ट के लिए नांगलोई को इसलिए चुना गया है क्योंकि यहां वॉटर कनेक्शन और मीटर लगने हैं। यहां हाल ही में करीब 100 गैरकानूनी टैपिंग पकड़ी गई। इस एरिया में सबसे ज्यादा लीकेज और पानी चोरी होता है। जल बोर्ड ने अभियान चलाकर कई गैरकानूनी टैपिंग बंद कराई है। जल बोर्ड के मेंबर आर. के. गर्ग ने कहा कि नांगलोई जोन से शुरुआत करने के लिए अभी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा रही है। ऑपरेशंस और मैनेजमेंट प्राइवेट फर्म को देने की योजना है जिसमें वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट भी शामिल है। इसकी कैपेसिटी 40 एमजीडी है।

दिल्ली में पानी के 1.7 मिलियन कनेक्शन हैं जिनमें से आधे से कुछ ज्यादा ही मीटर वाले हैं। जल बोर्ड ने मीटरों की संख्या बढ़ाने के लिए अभियान चला रखा है। एक साल में पानी के 2 लाख से अधिक नए मीटर लगाए गए हैं और 2.5 लाख नए मीटर लगाने की योजना है। पानी चोरी और बर्बादी पर लगाम लगाने की भी कोशिश हो रही है। इससे संबंधी मामलों की सुनवाई के लिए जनवरी में तीन स्पेशल मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए। तब से करीब साढ़े तीन हजार मामले आ गए हैं और 23 लाख रुपये से अधिक का फाइन वसूला गया है। लोग भी पानी की बर्बादी रोकने को लेकर जागरूक हुए हैं और आरडब्लूए भी पानी बर्बाद करने वालों की शिकायत करने आगे आ रही हैं।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading