जल की कठोरता : कारण और निवारण

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परिचय

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पृथ्वी पर पीने, स्नानादि एवं कृषिकार्य हेतु उपलब्ध शुद्ध मीठे जल की मात्रा, कुल जल मात्रा के 1% से भी कम है।

अधिकांश जनसमुदाय पीने के लिये जल या तो सतही जलस्रोतों जैसे कि नदी, झील, पोखर, तालाब या फिर भूमिगत जलस्रोतों जैसे कि कुआँ, नलकूप इत्यादि से प्राप्त करते हैं। चूँकि भूमिगत जल मिट्टी की ऊपरी सतहों से रिसकर सरंध्र चट्टानों में जमा हो जाता है और इस प्रक्रिया के दौरान जल छनकर शुद्ध हो जाता है। अतः भूमिगत जल को मानवोपयोगी शुद्ध जलस्रोत माना जाता है। पृथ्वी में उपलब्ध जल के भौगोलिक वितरण को पिरामिड के माध्यम से चित्र में दर्शाया गया है।

जल के प्राकृतिक संघटक

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सारणी-1 जल में उपस्थित प्रमुख प्राकृतिक संघटक: उनके स्रोतों, सांद्रता एवं उपयोग से होने वाले प्रभाव

घटक

मुख्य स्रोत

प्राकृतिक जल में सान्द्रता

उपयोग से होने वाले प्रभाव

कार्बोनेट (CO3-2)

चूने का पत्थर, डोलोमाइट

सामान्यतः सतह जल में मौजूद नहीं होता। भूमिगत जल में <10 मिग्रा/ली। सोडियम की अधिकता वाले जल में 50 मिग्रा/ली तक हो सकती है।

Ca+2 एवं Mg+2 के साथ संयोग कर कार्बोनेट की परत बनाता है।

बाईकार्बोनेट (HCO3-)

 

बाईकार्बोनेट की सान्द्रता सामान्यतः <500 मिग्रा/ली लेकिन उच्च कार्बन डाइऑक्साइड युक्त जल में 1000 मिग्रा/ली से भी अधिक।

गरम करने पर बाईकार्बनोट वाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड एवं कार्बोनेट में परिवर्तित हो जाते हैं।

सल्फेट (SO4-2)

सल्फाइड अयस्क के आक्सीकरण, जिप्सम;

 

Ca+2 के संयोग से ऊष्मा रोधी पपड़ी का निर्माण। >500 मिग्रा/ली जल का कड़वा स्वाद

क्लोराइड (Cl-)

औद्योगिक अपशिष्ट मुख्य स्रोत अवसादी चट्टानें समुद्री धाराएँ;

 

>100 मिग्रा/ली जल में खारापन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, वस्त्र उद्योग, पेपर और संश्लेषित रबर उद्योग में >100 मिग्रा/ली नुकसानदायक

कैल्शियम (Ca+2)

जिप्सम, कैल्साइट, डोलोमाइट और मृदा खनिज

 

साबुन के साथ झाग उत्पन्न न होना, ऊष्मारोधी परत (Heat retarding scale) का

मैग्नीशियम (Mg+2)

मैग्नेसाइट

डोलोमाइट पायरोक्सेन खनिज

कई सतह जलस्रोतों में 1000 मिग्रा/ली, लवण जल में करीब 57,000 मिग्रा/ली तक। समुद्री जलस्रोतों में 1000 मिग्रा/ली तक लवण जल में करीब 25,000 मिग्रा/ली

नल तथा पाइपों का जाम हो जाना।

सोडियम (Na+)

हैलाइट (NaCl) मिराबिलाइट (Na2SO4.H2O) और औद्योगिक अपशिष्ट

 

सोडियम और पोटैशियम दोनों की >50 मिग्रा/ली मात्रा जल में फेन बनाती है और ऊष्मा जनित्रों में संक्षारण  (Corrosion) उत्पन्न करती है।

पोटैशियम (K+)

फेल्ड्सपार, कुछ माइका एवं मृदा खनिज

सामान्यतः <10 मिग्रा/ली। गर्म जलस्रोतों में >100 मिग्रा/ली तक और लवण जल में करीब 25,000

सोडियम की >65 मिग्रा/ली मात्रा से बर्फ निर्माण में समस्या उत्पन्न होती है।

कठोर जल और इसकी उत्पत्ति का कारण

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कठोर जल के विश्लेषण की विधियाँ
गुणात्मक विश्लेषण

परिमाणात्मक विश्लेषण

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EDTA संकुलमिति अनुमापन द्वारा जल की कठोरता ज्ञात करना-

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ध्यान रखें :


1. अमोनिया बफर को फ्यूमहुड में रखना चाहिए।
2. इरियोक्रोम ब्लैक-टी संसूचक से त्वचा और कपड़े में दाग पड़ सकता है।
3. अनुमापन के पश्चात सभी अपशिष्ट पदार्थों को सुरक्षित सिंक में बहाना चाहिए।

गणना एवं मापन इकाई

जल की कुल कठोरता (CaCO3  mg/L)

वर्गीकरण

0-17

मृदु जल

17-60

मामूली कठोर जल

60-120

मध्यम कठोर जल

120-180

कठोर जल

> 180

अति कठोर जल

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अन्य मापन इकाइयाँ

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कठोर जल के उपयोग से उत्पन्न समस्याएँ घरेलू समस्या

औद्योगिक समस्या

स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या

आयन विनिमय प्रक्रिया द्वारा जल का विखनिजीकरण

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लाभ :


1. लगभग सभी धनायन एवं ऋणायन अशुद्धियों का निष्कासन
2. अधिक दक्षता, कई बार उपयोग
3. पुनःप्रापन (Regenaration) सम्भव
4. प्रचालन की कम लागत

दोष :

1. रेजिन कालम का अवरुद्ध होना
2. रेजिन के सुरक्षित निपटान की समस्या

संक्षिप्त सारांश

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जल सभी जीवधारियों के लिये अतिआवश्यक है। साथ ही जल विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिये आधारभूत पदार्थ है। अतः इसकी वांछित परिशुद्धता का आकलन अतिमहत्त्वपूर्ण हो जाता है। हालाँकि जल की उपयोगिता के आधार पर इसके विभिन्न मापदंडों के विश्लेषण की प्रक्रिया अपनायी जाती है फिर भी सामान्यतः जिन मापदंडों का विश्लेषण जल के सभी उपयोगों में आवश्यक होता है- वह है जल की कठोरता। प्रस्तुत लेख में जल की कठोरता से सम्बन्धित विभिन्न तथ्यों- जैसे कि कठोर जल के कारण, इसके उपयोग से उत्पन्न समस्याएँ, इसके विश्लेषण की तकनीक तथा जल की कठोरता को दूर करने के लिये अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं पर विस्तृत चर्चा की गई है।

वैज्ञानिक अधिकारी ‘डी’ नियंत्रण प्रयोगशाला ईंधन पुनर्संसाधन प्रभाग भाभा परमाणु अनुसन्धान केन्द्र मुम्बई-400085, ई-मेल : pathaksk2004@gmail.com

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