जल संरक्षण का संदेश दूर-दूर तक पहुंचाना है

2 Sep 2009
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रांची-झारखंड की राजधानी रांची से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर अनगड़ा प्रखंड के गेतलसूद निवासी 25 वर्षीय सुरेश महतो की डैम के किनारे रहते-रहते कब पानी से दोस्ती हो गई पता नहीं चला। आज वह जलगीत गाता है। जल के बिना जीवन की परिकल्पना बेमानी है, लोगों को समझाता है, जल संरक्षण का गुर बताता है। यह सब करने के लिए वह घंटों जल क्रीड़ा करता है। 12-12 घंटे तक पानी में रहने का उसने रिकार्ड कायम किया है। उसका शौक है इंग्लिश चैनल पार करने का परंतु वहां तक पहुंचने की प्रक्रियाओं से वह अनभिज्ञ है।

सुरेश महतो जल की सतह पर पद्मासन ,शवासन, वज्रासन, अ‌र्द्ध मत्स्यासन, पूर्ण मत्स्यासन, धनुरासन आदि करने की विशेषता से पूर्ण है। डेढ़ घटे के बाद वह अपनी मुद्रा बदलता है। अथाह जल के उपर वह लेट जाता है। इसी अवस्था में वह जलगीत गाता है, माउथ आर्गन बजाता है, शख बजाकर भगवान विष्णु को स्मरण करता है।वह उस नाव पर सवार होता है, जहां उसके दो अन्य दोस्त मौजूद है। उसके दोस्त उसके हाथ-पांव को प्लास्टिक की रस्सी से बांध उसे डैम में धक्का दे दे देते हैं। इस अवस्था में भी वह घंटों पानी में रह सकता है।

और अब उसे प्लास्टिक के बोरे में बंद किया जा रहा है। बस उसकी आंखें और मुंह भर खुले हैं। कोई फर्क नहीं। बंद बोरे में भी वह मस्त है, उसका शरीर पानी की सतह पर तैर रहा है और वह गुनगुना रहा है। सुरेश कहता है- भैया जल संरक्षण का संदेश दूर-दूर तक पहुंचाना।

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