हेंवल जागर
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जल संरक्षण के लिये एक अभियान, हेंवल जागर

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साल 2016 के अन्तिम माह के उत्तरार्द्ध में गाँधी चिन्तक, साहित्यकार और

‘आज भी खरे हैं तालाब’

जैसी कालजयी रचना के लेखक अनुपम मिश्र का इस दुनिया से विदा होना इस सदी की सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक है। लोग उन्हें स्मरण करते हुए जल संरक्षण के नाम पर एक अभियान के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। इसलिये टिहरी जनपद के हेंवल घाटी में जल संरक्षण के लिये

‘हेंवल जागर-स्मृतियों में अनुपम भाई’

नाम से स्कूलों, समूहों, संगठनों के मध्य जाकर

‘जल संरक्षण अभियान’

के नाम से जन जागृति संस्था खाड़ी, हिमालय सेवा संघ दिल्ली, हिमकॉन संस्था साबली संयुक्त रूप से लोगों को प्रेरित कर रहे हैं कि जलस्रोतों का संरक्षण होगा तो नदियों का अस्तित्व भी बचा रहेगा। विशेषकर ये संगठन स्कूली बच्चों के साथ मिलकर इस अनुभव को साझा कर रहे हैं।

इस अभियान में सम्मिलित वरिष्ठ सर्वोदयी नेता व बीज बचाओ आन्दोलन के सूत्रधार धूम सिंह नेगी ने युवाओं को आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ-साथ जल, जंगल जमीन की महत्ता का ज्ञान भी बच्चों का पसन्दीदा विषय बनना चाहिए। शिक्षक और कवि सोमवारी लाल सकलानी ‘निशान्त’ ने ‘हेंवल जागर’ साथ चलो कविता के माध्यम से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कविता में हेंवल जागर, चम्पारण यात्रा एवं अनुपम मिश्र के कार्यों को सरल भाषा में बताते हुए हेंवल जागर को समय की माँग बताई।

सर्वाेदयी कार्यकर्ता व पत्रकार साहब सिंह सजवाण ने जनगीत के माध्यम से अपने विचारों को रखते हुए जलस्रोत संरक्षण और खेती से युवाओं के जुड़ने की बात कही। वरिष्ठ पत्रकार महिपाल नेगी ने चम्पारण की परिस्थितियों को वर्तमान सन्दर्भों से जोड़ते हुए युवाओं को अपने स्तर पर मामूली परिवर्तन के माध्यम से गाँधी और स्वराज के विचारों से जुड़ने के लिये प्रेरित किया।

ठक्कर बापा छात्रावास के कुंवर सिंह सजवाण ने चिपको कवि घनश्याम शैलानी की कविता के माध्यम से अभियान से जुड़ने के लिये युवाओं को आगे आने की अपील की। हिमालय सेवा संघ के मनोज पांडे ने अनुपम मिश्र के कृत्यों को ‘जल संरक्षण’ के लिये महत्त्वपूर्ण मानते हुए कहा कि श्री मिश्र की कालजयी रचना ही पानी की जरूरत और दोहन की सही प्रक्रिया बताती है। राइका जाजल के लक्ष्मण सिंह रावत ने विद्यालय और शिक्षक संघ के द्वारा अभियान को सहयोग करने का संकल्प दिया।

‘हेंवल जागर-स्मृतियों में अनुपम भाई’

अभियान के साथ टिहरी जनपद की हेंवल घाटी के सभी इंटर कॉलेज, हाईस्कूल, जूनियर व प्राथमिक विद्यालयों को जोड़ा जा रहा है। इस हेतु विद्यालयों में छात्र व शिक्षकों के साथ मिलकर ‘हेंवल क्लब’ का गठन भी किया जा रहा है। ये क्लब भविष्य में अपने-अपने विद्यालयों के परिसर में जल संरक्षण के कार्यों को आगे बढाएँगे ऐसा संकल्प इस अभियान के दौरान लिया जा रहा है।

ज्ञात हो कि दूसरी तरफ विद्यालयों के अलावा हेंवल जागर के मार्फत यह अभियान सुरकण्डा से शिवपुरी तक यानि 30 किमी के दायरे में मौजूद गाँवों की महिलाओं, युवाओं और किसानों के साथ मिलकर जलस्रोतों के संरक्षण के लिये जागरूकता कार्यक्रम भी चला रहे हैं। यही नहीं हेंवल क्लब से जुड़े छात्र आने वाले दिनों में हेंवल नदी की वर्तमान स्थिति पर अध्ययन रिपोर्ट भी सामने लाएँगे।

10 जनवरी 2017 से आरम्भ हुआ

‘हेंवल जागर-स्मृतियों में अनुपम भाई’

अभियान के प्रथम चरण का समापन 28 फरवरी को एक सम्मेलन के माध्यम से खाड़ी में किया जाएगा। इस दौरान अभियान में सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम सिंह पंवार, दुलारी देवी, शीशपाल भण्डारी, गुलाब सिंह नेगी, समीरा, सुनीता, आरती, भारती, सविता, विकास, बड़देई देवी, शौर्य रावत सहित 60 से अधिक लोग सम्मिलित हैं। अभियान का नेतृत्व हिमालय सेवा संघ के मनोज पाण्डे, जन जागृति संस्था के अरण्य रंजन, हिमकॉन संस्था के राकेश बहुगुणा संयुक्त रूप से कर रहे हैं।

गाँधी जी की चम्पारण यात्रा के 100 वर्ष

अनुपम मिश्र

‘हेंवल जागर-स्मृतियों में अनुपम भाई’

पर चर्चा करते हुए प्रसिद्ध गाँधीवादी एवं

‘आज भी खरे हैं तालाब’

के लेखक अनुपम मिश्र को समर्पित किया गया।

सनद रहे कि चम्पारण यात्रा किसानो को अंग्रेजों के शोषण से मुक्त करके खेती किसानी के हक दिलाने के लिये की गई थी। श्री मिश्र ने भी जीवन के 68 बसन्त पानी के संरक्षण के लिये दिये। इस बाबत गाँधी और श्री मिश्र के रचनात्मक काम हेंवल और अन्य सभी छोटी-बड़ी नदियों पर प्रासंगिक होती है। वर्तमान में पानी, खेती और जमीन हाथों से निकलती जा रही है और युवा अपने संसाधनों से विमुख हो रहे हैं। इन विषयों को केन्द्रित करके अभियान की शुरुआत की गई है।

हेंवल जागर-स्मृतियों में अनुपम भाई को समर्पित सोमवारी लाल सकलानी ‘निशान्त’ की एक कविता

हेंवल-सौंग लघु सरिताओं से,

जागृति गीत उमड़ते हैं।

नयनाभिराम दृश्य सदा हो,

घाटी प्राण में बसते हैं।।

हेंवल-सौंग लघु सरिताएँ,

गंगा-यमुना जैसी पावन हैं।

प्राण प्रोषिता ये सरिताएँ,

जीवन रस नित भरती हैं।।

उद्गम स्रोत हेंवल-सौंग का,

दिव्य सुरकूट पर्वत है,

चतुर्दिशाओं में इस पर्वत के,

नदियाँ निर्मल बहती है।।

जल स्रोतों के संरक्षण को,

नई क्रान्ति अब आई है,

हेंवल गढ़ जागर के द्वारा,

जन जागृति भर आई है।।

नागिन जैसी शुभ सरिताएँ,

नाद नया नित भरती हैं,

चंचल चित हेंवल सरिता,

घाटी की प्यास बुझाती है।।

गढ़ जागर जागृति के द्वारा,

जन जागरूकता आई है,

जल स्रोतों की पहल यह,

संरक्षण पा भाई है।।

खारा पानी सिन्धु भरा है,

सागर का पानी खारा है,

छनकर जो पर्वत से आया,

वह जलस्रोत व धारा है।।

स्वच्छ पवन-जल जंगल माटी,

देवों को भी दुर्लभ है,

हेंवल सम नदियों का पानी,

पीने लायक निर्मल है।।

जागृति गीतों के माध्यम से,

जन जागृति जग आई है,

नई पहल हेंवल जागर की,

जल जीवन आस जगाई है।।

गाँधी का स्वप्न आज फिर,

देव भूमि साकार हुआ,

चम्पारण घटनाक्रम भी,

सौ साल इतिहास बना।।

चलो नदी की ओर मनुज तुम,

जल जंगल जीव पहचान करो,

गाँधी के सपनों का भारत,

नव जागृति भर पूर्ण करो।

नदियाँ तुम्हें पुकार रही हैं,

आँचल में आ प्यार भरो।।

शीतल मीठे स्वच्छ नीर पी,

बिन औषधि के स्वस्थ बनो,

जल जीवन जागृति जागर है,

जन जागृति की नई पहल,

जल स्रोतों के संरक्षण से,

सुन्दर सुगठित देह महल।।

नई पहल है नया जागरण,

नव स्फूर्ति भर, कर्म करो

जल संचय संरक्षण के बल,

गढ़ हेंवल जागर गान करो,

अनुपम मिश्र, गाँधी चम्पारण।।

सौ साल पूर्व यह काम किये,

हेंवल जागर नई पहल है,

जन जागृति यह नाम दिये,

हे देव भूमि के हिमपुत्रों तुम,

नया जोश अरमान भरो।

कवि “निशान्त” पुकार रहा है, हेंवल जागर साथ चलो।।

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