जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिये कार्यशाला का आयोजन

जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिये कार्यशाला का आयोजन

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29 जुलाई 2015, देवास। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों और कुप्रभावों से बचने के लिये हमें क्या तैयारी करनी होगी और किस-किस तरह विकास के दिशा को हासिल करते हुए जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करें; इस मुद्दे पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। देवास और बागली ब्लॉक की करीब सौ महिला जन-प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। कार्यशाला का आयोजन ‘अर्थ-डे-नेटवर्क’, बीबीसी मीडिया एक्शन और कॉन्ट्रैक्ट बेस संस्था की तरफ से किया गया।

कार्यशाला में बताया गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की अनियमित परिस्थितियों से बचने के लिये हमें तैयार रहना होगा। पिछले दशकों में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में अनियमितता देखने को मिल रही है। मध्य प्रदेश में सूखाग्रस्त घोषित किये जाते रहे हैं।

सूखा पहले भी पड़ता रहा है किन्तु अब यह जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितता का परिणाम है कि मध्य प्रदेश में सूखा एक स्थाई परिघटना बनता जा रहा है। इसी के साथ ही बाढ़ की निरन्तरता भी बढ़ती जा रही है। मौसम में चरम अवस्था देखी जा रही है। या तो बारिश का कहर है या सूखे के हालत हो रहे हैं। मौसम का सन्तुलन गड़बड़ हो रहा है। इन परिस्थितियों के कारण हादसों और प्राकृतिक आपदाओं का दुष्चक्र शुरू हो चुका है जिससे लोगों का भारी नुकसान हो रहा है।

कार्यशाला में बोलते हुए ‘अर्थ-डे-नेटवर्क’ की राष्ट्रीय-मुखिया करुणा सिंह कहती हैं कि आने वाले 30 से 40 वर्षों में पृथ्वी के तापमान में 2 डिग्री और जिस वातावरण में हम रहते हैं, उसमें 3 से 4 डिग्री की बढ़ोत्तरी हो जाएगी। मध्य प्रदेश में फसलों के उत्पादन में तेजी से गिरावट दर्ज की जाएगी। इसलिये हमें अभी से किसानों को तैयार-करना होगा।

बीबीसी मीडिया एक्शन के अंकुर गर्ग ने भी कार्यशाला को सम्बोधित किया। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों से बचने में महिलाओं की भूमिका सुनिश्चित करनी होगी। महिला पंचायत प्रतिनिधियों को हम लोग अपने अभियान में जोड़ रहे हैं। उनको खेती, आजीविका और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरुक किया जा रहा है। उन्होंने आगाह किया कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बीमारियाँ फिर से लौट रही हैं।

कोलकाता की चर्चित रंगकर्म समूह बंगला-नाटक की टीम ने तरह-तरह के मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से कार्यशाला प्रतिभागियों को जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक किया। बंगला-नाटक टीम की निदेशिका शायंतिनी कहती हैं कि हम लोग देवास और बागली ब्लॉक में गाँव स्तर तक इस अभियान को ले जाएँगे।
 

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