कैसा जमाना आया, पानी भी बिक रहा है
1 September 2009

प्यासे को पानी पिलाकर पुण्य कमाना भारतीय सनातन परंपरा रही है, मगर बुंदेलखंड में यह परंपरा टूट चली है और अब यहां पानी पुण्य कमाने नहीं, बल्कि धन कमाने का जरिया बन चुका है। आलम यह है कि पानी यहां लीटर के भाव बिकने लगा है।

पिछले पांच सालों से बुंदेलखंड अवर्षा का शिकार होता आ रहा है। बुंदेलखंड में आने वाले मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, छतरपुर, दमोह, सागर, पन्ना तथा दतिया, उत्तर प्रदेश के झांसी, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर, महोबा और चित्रकूट में पानी का संकट गंभीर रूप ले चुका है। तालाब, कुएं, नहरें सूख चुकी हैं। इस इलाके में पानी हासिल कर लेना किसी जंग से कम नहीं है। लोगों की इसी समस्या का हर तरफ लाभ उठाने की कोशिशें हो रही हैं।

मध्य प्रदेश के दतिया में तो पानी पांच रुपए टीन (कनस्तर) के भाव तक बिक रहा है। यहां के अधिकांश जल स्रोत सूख चुके हैं। पीने के पानी के लिए लोगों को रात रात भर जागना पड़ता है और कई किलो मीटर का फासला तय करते हैं तब कहीं जाकर पानी हासिल हो पाता है। हरिराम बताते हैं कि पिछले कई सालों से दतिया में यही हाल चल रहा है। जून आते आते तक पानी का भाव आठ रुपए कनस्तर तक पहुंच जाता है।

दतिया जैसे ही हालात टीकमगढ़ के हैं, जहां पानी के लिए मारकाट तक मचने लगी है। पानी की रखवाली के लिए पुलिस का सहारा लेना पड़ रहा है। इन स्थितियों का वहां के कारोबारियों ने पूरा लाभ उठाया और वे डेढ सौ रुपए में पानी का टैकर बेच रहे हैं। नगर पालिका और प्रशासन इन हालातों से वाकिफ हैं मगर वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

पानी के इस संकट ने छतरपुर में तो स्थिति और खराब करके रख दी है। नगर पालिका अध्यक्ष प्यारा सिंह बताते हैं कि लोगों को उपलब्ध कराने के लिए उनके पास पानी ही नहीं है। कुछ दिन पहले तक नगर पालिका ही सौ रुपए में टैंकर बेच रही थी। अब नगर पालिका ने नि:शुल्क पानी उपलब्ध कराने के प्रयास किए हैं मगर जहां टैंकर पहुंचता हैं वहां मार पीट की स्थिति बन जाती है। इसी का लाभ कई लोगों ने उठाना शुरू कर दिया है और वे दो सौ से ढाई सौ रुपए में पानी का टैंकर बेचने का काम कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में आने वाले बुंदेलखंड के झांसी, ललितपुर, बांदा, महोबा में भी पानी का संकट चरम पर है। यहां पानी बिक रहा है, कई इलाके तो ऐसे हैं जहां लोगों को दाम देने पर भी जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिल पा रहा है। बुंदेलखंड के हालात बताते हैं कि इस इलाके में आने वाले वक्त में सबसे ज्यादा झगड़े पानी को लेकर ही होने वाले हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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