कब बुझेगी पयासी की प्यास

29 May 2015
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केन्द्रीय मन्त्री कलराज मिश्र ने जिस पयासी गाँव को चुना वह अभी उनकी बाट जोह रहा है। विकास की किरण तो दूर लोग सांसद महोदय की शक्ल देखने को बेचैन हैं। लघु और कुटीर उद्योग मन्त्री के गाँव वालों में उद्योग लगाने की प्यास जग गई है। पर अभी बात सर्वे तक ही पहुँची है।

26 नवम्बर, 2014 को पयासी गाँव के निवासी खुशी से नाच उठे थे। उन्हें समाचारों से पता चला कि उनका गाँव सांसद आदर्श ग्राम योजना में चयनित हो गया है। देवरिया के सलेमपुर विकास खंड में है, गाँव पयासी। उस दिन इस गाँव के लोगों को ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई दुर्लभ खजाना उन्हें प्राप्त हो गया हो। गाँव में मल्लाह टोली की सविता देवी, कौसिला देवी हो या मिसिर बस्ती के कंवलदेव मिश्र-सब लोगों को ऐसा लग रहा था कि अब उन्हें पास के महानगर गोरखपुर को मिलने वाली ज्यादातर सुविधाएँ यहीं प्राप्त होने लगेंगी।

पयासी गाँव के नौजवानों ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान कलराज मिश्र को पयासी गाँव का निवासी साबित करने के लिए उनके कुछ शुभचिंतकों ने अथक प्रयास किए। कुछ प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए। जो जाँच के दौरान सही नहीं पाए गए। इस कारण वे पयासी के मतदाता नहीं बन पाए। कलराज मिश्र मूलतः गाजीपुर जिले के रहने वाले हैं। हालाँकि पयासी के नागरिक यह दावा करते हैं कि बाहरी प्रत्याशी होने के बाद भी हमने उन्हें अपना माना।

ऐसी मान्यता है कि पयासी के वत्स, गोत्रीय, ब्राह्मणों (मिश्र) लोग पूरी दुनिया में इसी गाँव से जाकर बसे हैं। श्रीनाथ, मधुसूदन मिश्र की इस बात की पुष्टि गाँव में बने वत्समुनि मंदिर से होती है। इसी गाँव के सरयू प्रसाद मिश्र 1952 व 1957 में देवरिया के सासंद निर्वाचित हुए थे। इस गाँव की स्थिति आस-पास के गाँवों से बेहतर है। इस गाँव के आधा दर्जन लोग प्रांतीय न्यायिक सेवा में और इतने ही लोग प्रांतीय प्रशासनिक सेवा में हैं। अध्यापन पेशे और सरकारी नौकरियों से जुड़े लोगों की तादात भी अच्छी है।

गाँव के नौजवानों ने वत्स ऋषि आदर्श चैरिटेबल सोसाइटी नाम की पंजीकृत संस्था बनाई है। इसका उद्देश्य गाँव के विकास में पारदर्शिता लाना है। संस्था के कोषाध्यक्ष हृदय प्रकाश मिश्र, संतोष कुमार यादव, दीपक कुमार सिंह, अनिल कुमार सिंह का मानना है कि हमारे सांसद को गाँव में बिजली और सरकारी अस्पताल में दवा की व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही रोजगार उपलब्धता पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। लेकिन वे इस बात से दुखी हैं कि हम लोगों ने गाँव की समस्याओं से सम्बन्धित पत्र दो बार सांसद महोदय को दिया। लेकिन किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया। इनका कहना है कि शौचालय और आवास जैसी योजनाओं में हम पारदर्शिता चाहते हैं। लेकिन न तो सांसद और न ही उनके अधिकारी सहयोग करने को तैयार हैं।

पयासी गाँव के किनारे गंडक नदी बहती है। वह यहाँ पश्चिमी-वाहिनी हो गई है। मतलब यहाँ से उसने अपना मार्ग बदला है, दिशा बदली है। इसके कारण यहाण कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बड़ा मेला लगता है। इस मेले में आसपास के हजारों लोग सम्मिलित होते हैं। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है। यह नदी बरसात में विकराल रूप धारण कर लेती है। जिसकी वजह से प्रतिवर्ष काफी क्षति होती है। कटान की वजह से जन-धन दोनों की हानि हो रही है। मल्लाह टोली नदी के किनारे बसी है। उसे प्रतिवर्ष इसकी चपेट में आना पड़ता है। इस टोली की सोमा देवी, सविता देवी, श्रीराम, रूकमीना, कल्पवती देवी, बासमती देवी, दुलारी देवी, अमरावती देवी, गिरिजा देवी दुखी मन से कहती हैं - ‘हमारी बात सुनने वाला कोई नहीं है। जो भी आता है, कुछ न कुछ घोषणा करके चला जाता है। अधिकारी और नेता बस जुबानी घोषणा करते हैं। वास्तव में कागज पर या जमीन पर कोई काम नहीं उतरते। गरीबों का मददगार कोई नहीं है।’

यो लोग याद करते हैं जब गाँव के प्राथमिक विद्यालय पर पहली बार चौपाल लगी थी। इन लोगों ने कटान का मुद्दा वहाँ उठाया था।। इन महिलाओं ने कटान के बाद जो झोपड़ी बनाई है, उसका हाल भी खस्ता है। झोपड़ी में शौचालय और स्वच्छ पेयजल की बात भी करना बेमानी है।

मल्लाह बस्ती की सोना देवी अपने विकलांग पुत्र नकुल साहनी की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं कि आज तक न तो इसका विकलांगता प्रमाण पत्र बना, न ही विकलांग को मिलने वाली सुविधाएँ प्राप्त हो पायी हैं। इस बस्ती के रहने वाले लोग, इस बात को स्पष्ट करते हैं, ‘साहब हमारी जमीन घर सब कुछ छोटी गण्डक मिटा गई, हमारा कुछ भी नहीं बचा। इनकी (सोना देवी) झोंपड़ी भी ब्राह्मण लोगों की ही जमीन पर अस्थाई रूप से बनी है। इसी झोंपड़ी में इनके गाय आदि पालतू जानवर भी रहते हैं। इनका रहना, खाना सब इस छोटी सी जगह में होता है।’ जब आवास और पानी नहीं है तो शौचालय और मोदी जी के स्वच्छता अभियान की बात करनी भी बेमानी है।

गाँव में प्राथमिक विद्यालय है लेकिन इस बस्ती के बच्चे प्रायः स्कूल नहीं जाते हैं। इन बच्चों और अभिभावकों को सर्व शिक्षा अभियान का नारा भी सुनाई नहीं पड़ता।

मिसिर बस्ती के सुधाकांत मिश्र को पशुपालन और डेयरी स्थापित करने के लिए शासकीय मदद की जरूरत है। उनके युवा बेरोजगार पुत्र खीझते हुए कहते हैं कि हमारी कोई मदद करने वाला नहीं है।

गाँव में रहने वाले लोगों का मुख्य काम खेती है। अब लघु उद्योग मन्त्री का गाँव होने के बाद भी यहाँ कुटीर एवं लघु उद्योगों का कोई काम शुरू नहीं हुआ है। नौजवान बी.ए., एम.ए. की डिग्री लेकर धूल फांक रह रहे हैं। गाँव के सदानन्द दीक्षित और राकेश मिश्र बताते हैं कि इन्टर तक पढ़ने के लिए मझौली जाना पड़ता है, जो नदी के पार है। पुल के अभाव में बरसात में बच्चे पढ़ने नहीं जाते हैं यदि एक पुल भी बन जाता तो शायद यह कमी दूर हो पाती। पयासी गाँव में ही नौजवान रोहित और मोहित मिश्रा, जो गाँव में ही सहज जनसेवा केंद्र चलाते हैं, का मानना है कि यदि किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा इनके गाँव में खुल जाती तो हमें 7 किमी. दूर सलेमपुर नहीं जाना पड़ता। बैंक की शाखा खुलने से आस-पास के निवासियों को भी सुविधा होती।

पयासी गाँव में मुख्य रूप से ब्राह्मण, क्षत्रिय, यादव, कुर्मी, चौहान, मल्लाह, दुसाध, धोबी, गोंड और हरिजन जातियाँ रहती हैं। गाँव में सुविधाओं के अभाव के कारण यहां के मूल निवासी भी पसायी आना नहीं चाहते। पूरे गाँव के भ्रमण के दौरान गाँववासियों से बातचीत के बाद पयासी के लोगों की कुछ समस्याएं सामने निकलकर आईं, वे हैं-

स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है।
नालियों को दुरूस्त करने के जरूरत।
सार्वजनिक भवन की अनुपलब्धता।
बस स्टॉप की आवश्यकता।
स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सा एवं दवा की उपलब्धता।
आवागमन हेतु सुगम मार्ग निर्माण।
जनपद मुख्यालय देवरिया हेतु बस सेवा।
मुम्बई जाने वाली ट्रेनों का सलेमपुर में ठहराव सुनिश्चित करना।
गाँव के शिक्षित बेरोजगार युवक युवतियों को प्रशिक्षित कर स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना।

गाँव में श्रीनाथ मिश्र बताते हैं कि प्राचीन वत्समुनि मंदिर के भी सौन्दर्यीकरण की आवश्यकता है। यहाँ हमारे सासंद और भारत सरकार के मन्त्री आ चुके हैं। ग्रामीण अपनी सभी समस्याओं की चर्चा करते हुए कहते हैं कि हम कल-कारखानों, पॉवर हाउस, सामुदायिक केंद्र आदि अन्य योजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराने को तैयार हैं। सांसद महोदय पहल तो करें। अभी तो हमारे यहाँण केवल सर्वे ही चल रहा है। गाँव वालों को लगता है कि प्रधानमन्त्री के गाँव जयापुर की तरह यहाँ भी विकास कार्य शुरू हो जाना चाहिए।

स्थानीय निवासियों की सबसे बड़ी शिकायत है कि सांसद महोदय का आज तक पयासी के निवासियों को दर्शन नहीं हुआ। जब सांसद महोदय गाँव में ही नहीं आए तो विकास कैसे करेंगे। जब सांसद गाँव नहीं गए तो अधिकारियों का पहुँचने का सवाल नहीं उठता। ग्रामीणों को यह बात भी सालती है कि कलराज मिश्र का राजनैतिक कद इतना बड़ा है कि यदि वे चाह लें तो गाँव का कायाकल्प हो जाए। गाँव प्रधान संजय सिंह भी बताते हैं कि क्षेत्रीय ग्राम विकास संस्थान चरगाँवा, गोरखपुर में आदर्श गाँव के प्रधानों का प्रशिक्षण हुआ था। लेकिन गाँव में समुचित विकास आज तक क्यों नहीं हुआ, इसका उत्तर संजय सिंह के पास भी नहीं है।

पयासी एक नजर में


ग्राम पंचायत का नाम -पयासी
सम्मिलित राजस्व ग्राम का नाम-बगुसरा, बनकटा दीक्षित
न्याय पंचायत का नाम-भरोली न.1
विकास खंड का नाम-सलेमपुर
तहसील का नाम -सलेमपुर
जनपद का नाम-देवरिया
कुल परिवार -737
कुल जनसंख्या-5176
अनु. जाति की जनसंख्या-862
शौचालय-78
आवास-पक्का 550 और कच्चे 70
जीविकापार्जन के स्रोत-70 प्रतिश्त कृषि/मजदूरी 20 प्रतिशत सरकारी नौकरी, 10 प्रतिशत स्वरोजगार
साक्षरता-80 प्रतिशत (90 प्रतिशत पुरुष और 80 प्रतिशत महिला)
अन्त्योदय कार्ड धारक की संख्या-140
इंडिया मार्का हैण्ड पम्प की संख्या-88
वृद्धावस्था पेंशनरों की संख्या-171
विधवा पेंशनरों की संख्या-39
विकलांग पेंशनरों की संख्या-25
विद्युतीकरण की स्थिति-हुआ है
राजकीय नलकूप-1
प्राथमिक विद्यालयों की संख्या-02
बी.पी.एल परिवारों की संख्या-210
अनुसूचित जाति परिवारों की संख्या-153
अनुसूचित जन जाति परिवारों की संख्या-38
कृषियोग्य भूमि का क्षेत्र-160.048 हे.
सिंचित भूमि का क्षेत्र - 160.048 हेक्टेयर
गैरसिंचित भूमि का क्षेत्र - 36.092 हेक्टेयर
सार्वजनिक भूमि का क्षेत्र-0.040 हेक्टेयर
रेलवे स्टेशन-सलेमपुर 7 किमी.
विकास खंड से ग्राम की दूरी-लगभग 8 किमी.
थाना-भटनी, 9 किमी.
पशु चिकित्सालय-सलेमपुर 7 किमी.
बैंक शाखाओं से दूरी-3 किमी.

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