कड़ाके की सर्दी के शिकार हुए इटावा में बगुले

20 Jan 2014
0 mins read
ठंड के चपेट में बगूलेकड़ाके की सर्दी का सितम लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है। इस सर्दी से इंसान तो जूझ ही रहा है पक्षियों की भी सामत आ गई है। हालात यह बन गए हैं जिन पक्षियों की मौत हुई है उनके शव पेड़ों पर ही टंगे हुए हैं और कुछ के पेड़ों के नीचे पड़े हुए हैं जिनको कुत्तों और दूसरे जानवर नोंच-नोंच कर अपना निवाला बनाने में जुटे हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में भर्थना इलाके के पाली गांव के पास स्थित बड़ी तादाद में बगुले कड़ाके की सर्दी के कारण बडी तादाद में मौत के शिकार हो गए हैं। पाली गांव के आसपास रहने वाले लोगों के मुताबिक एक अनुमान के अनुसार 50 के आसपास बगुलों की मौत हुई है। पाली गांव के अधेड शिवनाथ सिंह यादव का कहना है कि करीब 5 साल से गांव के आसपास के दो पीपल के पेड़ों पर बगुलों ने अपना आशियाना बना रखा है हालात तो यह बनी हुई है कि पीपल के पेड़ों पर कई सैकड़ों की तादात में घोसले बने हुए हैं बगुले के कोलाहाल से गांव वाले आनंदित होते भी रहते हैं लेकिन करीब 15 दिन से पड़ रही कड़ाके की सर्दी की जद में आने से एक-एक करके 50 के आसपास बगुलों की मौत हो चुकी है और इतने ही मरने के कगार पर नजर आ रहे हैं क्योंकि सर्दी के असर ने बगुलों को चलने फिरने लायक भी नही छोड़ा है।

ठंड के चपेट में बगूलेइसी गांव के अरविंद कुमार यादव का कहना है कि पाली गांव के आसपास दो बड़े-बड़े प्राकृतिक तालाब बने हुए है ज्यादातर बगुले तालाब से अपने लिए भोजन आदि जुटाते रहते हैं। इसी कारण ज्यादातर बगुले तालाब में शरण पाए रहते हैं लेकिन प्रजनन के दौरान पेड़ों पर घोसले बना कर रहते हैं अब करीब 15 दिनों से सर्दी कड़ाके की होना शुरू हुई है तो बगुलों की मौत होनी शुरू हो गई है अब बगुले मरे रहे है गांव वाले सिर्फ बगुलों को मरते हुए देखने के अलावा कुछ भी कर ना पा रहे हैं क्योंकि उनके पास कुछ भी नहीं है जिससे बगुलों को बचाने की प्रकिया अपनाई जा सके।

इसी गांव के अशोक कुमार का कहना है कि बगुलों के मरने की लगातार खबरें प्रशासनिक और वन विभाग के अफसरों को दी जा रही है लेकिन अभी तक मरते हुए बगुलों को देखने के लिए किसी ने भी आने की जरूरत नही समझी। पर्यावरणीय दिशा में काम कर रहे संस्था सोसायटी फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के सचिव डॉ.राजीव चौहान का कहना है कि मौसमी असंतुलन जब होता है तो इस तरह के वाक़या आम हो जाता है लेकिन पाली गांव में बगुलों की मौत का मामला कुछ अलग तरह का समझ में आ रहा है क्योंकि सर्दी को बर्दाश्त करने की क्षमता इंसानों के बजाए पक्षियों में कही अधिक होती है इसीलिए बगुलों की हो रही मौत को कड़ाके की सर्दी से जोड़ पूरी तरह से नहीं देखा जा सकता है।

ठंड के चपेट में बगूले

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading