केरल में पंपा नदी घाटी संरक्षण के लिए विशेष प्राधिकरण

केरल विधानसभा ने पंपा नदी घाटी प्राधिकरण विधेयक को पारित कर दिया है। इस विधेयक के तहत पंपा नदी घाटी एवं उसके जल संसाधनों का संरक्षण किया जाएगा। विधेयक के तहत एक प्राधिकरण बनाया जाएगा, जो पंपा कार्य योजना के मुताबिक नदी के संरक्षण के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए अलग-अलग परियोजनाएं चलाने वाला वैधानिक निकाय होगा। नदी और इसकी घाटी को अलग ईकाई माना जाएगा। नदी में जल की गुणवत्ता, प्रदूषण रोकना आदि सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। विधेयक बिना चर्चा के पारित हो गया। इसे 15 सितंबर 2009 को को सदन में पेश किया गया था और 17 सितंबर को यह पारित हो गया।

 

इस प्राधिकरण में 15 सदस्य होंगे जिसके अध्यक्ष राज्य के मुख्यमंत्री होंगे। राज्य के जल संसाधन मंत्री उपाध्यक्ष एवं विभाग के सचिव सदस्य सचिव होंगे। प्राधिकरण के अन्य सदस्यों में राजस्व, वन, स्थानीय स्वशासन, स्वास्थ्य, विज्ञान-तकनीक व पर्यावरण, वित्त, ऊर्जा एवं देवास्वोम आदि विभागों के सचिव सदस्य के तौर पर शामिल होंगे। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष भी उसके एक सदस्य होंगे। जबकि जल संसाधन क्षेत्र के विशेषज्ञ सरकार द्वारा नामांकित किए जाएंगे। नदी घाटी प्राधिकरण 10 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन करेगी जिसके अध्यक्ष राज्य के जल संसाधन विभाग के सचिव होंगे।

 

राज्य के जल संसाधन मंत्री एन. के. प्रेमचंद्रन का कहना है कि पंपा कार्ययोजना के क्रियान्वयन के लिए एक वैधानिक प्राधिकरण की जरूरत थी। अब तक इस नदी से राज्य के 12 विभाग जुड़े हुए थे। मजेदार बात है कि नदी का आधार राजस्व विभाग के जिम्मे, पानी सिंचाई विभाग के जिम्मे, नदी के तट स्थानीय निकायों के जिम्मे, मछली पकड़ना फिशरीज विभाग के जिम्मे, जलग्रहण क्षेत्र वन विभाग के जिम्मे थे। इसलिए पंपा कार्य योजना के क्रियाान्वय में कानूनी बाधा आती रही है। इसी वजह से नदी के संरक्षण के लिए केन्द्र से मिलने वाले सहायता प्रस्ताव को स्वीकार करने में कानूनी बाधाएं आती रही हैं।

 

राज्य में कोझेनचेरी स्थित पर्यावरण समूह ‘‘पंपा परिरक्षण समीति’’ (पीपीएस) सालों से अभियान चलाकर राज्य सरकार से नदी में विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं के क्रियान्वयन की मांग करती रही है। जबसे केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने पंपा नदी को राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम में शामिल किया है तभी से राज्य में प्राधिकरण की मांग ने जोर पकड़ा था। केन्द्र सरकार द्वारा 11 परियोजनाओं से युक्त पंपा कार्य योजना के प्रथम चरण के लिए सहायता उपलब्ध कराने के प्रस्ताव के बावजूद राज्य में इससे जुड़े विभिन्न विभागों के बीच आपसी तालमेल न होने के कारण इसमें आगे बढ़ पाना संभव नही पाया। इस वजह से राज्य की महत्वाकांक्षी पंपा नदी कार्य योजना में बहुत कम प्रगति हो पायी है।

 

पंपा नदी में हर साल सबरीमाला जाने वाले हजारो तीर्थयात्री डुबकी लगाते हैं। केरल की पवित्र नदी पंपा केरल की एकमात्र नदी है जिसे राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) के तहत शामिल किया गया है। एनआरसीपी के तहत देश भर में विभिन्न प्रमुख नदियों के 31 अति प्रदूषित हिस्सों को संरक्षित करके प्रदूषण मुक्त करने की योजना है। इस योजना के तहत चुनी गई विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं के माध्यम से नदियों के जल गुणवत्ता में सुधार करने का लक्ष्य है। योजना के प्रथम चरण के तहत रुपये 46.88 अरब की लागत से देश भर में 18 राज्यों की 31 नदियों में प्रदूषण नियंत्रण कार्य योजना को क्रियान्वित किया जाना है।

 

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