किसानों की जमीन छिनने पर केन्द्र सरकार आमादा : नीतीश

20 Jun 2015
0 mins read
Nitish Kumar
Nitish Kumar

पटना। मुख्यमन्त्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों की जमीन छिनने पर आमादा है, केन्द्र सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी है। केन्द्र सरकार के इस रवैये के खिलाफ 22 जून को पूरे बिहार में प्रखण्ड स्तर पर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ भूमि बचाओ धरना का आयोजन किया गया है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि पूरे दिन धरना पर बैठकर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ आवाज बुलंद करें। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश किसान विरोधी है। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में किसान संगठन, स्वयंसेवी संगठन, कृषि क्षेत्र के जानकार, कृषि विशेषज्ञ एवं देश के हित चाहने वाले इसके खिलाफ हैं, जबकि केन्द्र सरकार अपने वायदे को भूलकर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश जारी की है। वे पटना के रविन्द्र भवन में राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि वर्ष 1894 में अंग्रेजों ने भूमि अधिग्रहण कानून बनाया था। 2013 में इसे संशोधित कर दो साल के विचार-विमर्श के बाद भूमि अधिग्रहण कानून संसद में पारित हुआ। यह प्रगतिशील कानून है, सभी दलों ने इसका समर्थन किया। भाजपा ने भी इसका समर्थन किया था। सरकार बनने के बाद केन्द्र में अध्यादेश के जरिये भाजपा सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून के मूल अवधारणा में संशोधन कर कानून को बदल दिया। 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार किसानों की सहमति के वगैर जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है। जहाँ जमीन का अधिग्रहण होना है, वहाँ के किसानों में अस्सी प्रतिशत किसानों की सहमति आवश्यक है।

इसके साथ-साथ सामाजिक आँकलन किया जाता है कि उस जमीन के मालिक को मुआवजा मिलने के बाद कौन-कौन से लोग उस जमीन पर निर्भर हैं, उन्हें भी मुआवजा दी जानी है। इसमें सोशल इम्पैक्ट एनालाइसिस का प्रावधान किया गया है। अधिग्रहित जमीन पर निर्भर बेरोजगारों को रोजगार की व्यवस्था किया जाना था। 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के मूल अवधारणा को भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में बदल दिया गया।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि लोकसभा में पारित होने के बाद भाजपा ने इसे राज्यसभा में पारित करने के पहले राज्यसभा के सेलेक्ट कमिटी में रख दिया। राज्यसभा के सेलेक्ट कमिटी में रखने के बावजूद भी श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने छह महीना के लिये तीसरी बार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश जारी किया, जो द्योतक है कि भाजपा सरकार किसानों की जमीन छिनने पर अमादा है। उन्होंने कहा कि तीसरी बार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध जदयू के सभी कार्यकर्ता व्यापक रूप से करेंगे। वे गाँव-गाँव जाकर किसानों को अवगत करायेंगे। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि किसानों को जो खेती में लागत आयेगी, उसमें पचास प्रतिशत मुनाफा जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य लायेंगे। उन्होंने प्रधानमन्त्री के भाषण का टेप लोगों को सुनाया। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद तीसरी बार न्यूनतम समर्थन मूल्य का एलान हुआ। प्रति क्विंटल पचास रूपये न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया, जो पचास प्रतिशत के बदले तीन प्रतिशत है। अब तीन प्रतिशत वृद्धि पहले की तुलना में भी कम है।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से वादा किया था कि विदेशों से काला धन लायेंगे। हर गरीब को पन्द्रह से बीस लाख रूपये यूँ ही मिल जायेगा। उन्होंने कहा कि 2013 के यूपीए सरकार के द्वारा लायी गयी भूमि अधिग्रहण विधेयक का भाजपा ने भी समर्थन किया था तथा उसे पारित करने के लिये वोट दिया था। तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष एवं केन्द्रीय गृह मन्त्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि कृषि योग्य भूमि का तब तक अधिग्रहण नहीं होगा, जब तक किसानों की सहमति नहीं मिल जाती है। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश किसानों की सहमति के प्रावधान को खत्म करने के लिये प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाया गया है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का पुरजोर विरोध होना चाहिये। हमने कह दिया है कि बिहार में भूमि अधिग्रहण अधिनियम नहीं लागू करेंगे।

उन्होंने कहा कि आज भी 76 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका के लिये कृषि पर निर्भर हैं। कृषि के विकास के बिना बिहार का विकास नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बिहार में भूमि के रिकाॅर्ड का अध्ययन किया गया। हर खेत को पानी मिले, खेती करने के लिये बिजली का डेडिकेटेड फीडर हो, उन्नत किस्म के बीज हों, उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़े। उन्होंने कहा कि फुड प्रोसेसिंग होने से उन सभी किसानों की आमदनी बढ़ेगी, जो खेती में लगे हुये हैं। हमारा सपना है कि हर हिन्दुस्तानी की थाल में बिहार का एक न एक व्यंजन जरूर हो। कृषि के अलावे पशुपालन, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन, तेलहन, दलहन में हम आगे बढ़ रहे हैं। बिहार को दो-दो बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिल चुका है।

मुख्यमन्त्री ने किसानों का आह्वान किया कि सघन जन-सम्पर्क अभियान चलायें। सरकार की तरफ से नीति निर्माण में जनता का राय लेने का प्रयास किया जा रहा है। जन सहभागिता एवं जन-संवाद से नीति निर्माण होगा। बिहार के विकास का खाका तैयार होगा। 2025 में बिहार कैसा हो, इसका विकास कैसे हो, इसके लिये दृष्टि पत्र तैयार होगा। किसानों के हक से उन्हें कार्यकर्ता अवगत करायें तथा भाजपा के वादा खिलाफी को याद करायें। हम हर हालत में यह संकल्प लें कि भूमि अधिग्रहण कानून को लागू नहीं होने देंगे, जिसमें बिना किसानों की सहमति के भूमि का अधिग्रहण किया जा सके। उन्होंने कहा कि बिहार अपने रास्ते पर चल रहा है, उसे भटकाने की कोशिश हो रही है। बिहार का अतीत गौरवशाली है। बिहार का प्राचीन इतिहास विश्व का इतिहास है। हर हालत में आपसी सौहार्द्र एवं सामाजिक सद्भाव को टूटने नहीं दिया जाना है। किसान भाई एवं बहनों को चट्टानी एकता का परिचय देना है। उन्होंने कहा कि नफरत फैलाने वालों को जवाब देना है। नफरत से कोई समाज मजबूत नहीं बनता है।

कार्यक्रम को जदयू के प्रदेश अध्यक्ष श्री वशिष्ठ नारायण सिंह, कृषि, सिंचाई तथा सूचना एवं जन-सम्पर्क मन्त्री श्री विजय कुमार चौधरी, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मन्त्री श्री श्याम रजक, नगर विकास मन्त्री श्री अवधेश प्रसाद कुशवाहा, लघु सिंचाई मन्त्री श्री मनोज कुशवाहा, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव श्री के.सी. त्यागी एवं जदयू किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्री बिरेन्द्र कुमार सिंह ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर सांसद श्री रामनाथ ठाकुर, सांसद श्री अली अनवर, सांसद श्री गुलाम रसूल बलियावी, अभियान समिति के सदस्य श्री सतीश कुमार, विधान पार्षद श्री रूदल राय, विधान पार्षद श्री संजय गाँधी, विधान पार्षद श्री संजय सिंह, विधान पार्षद श्री नीरज कुमार, श्री अजय आलोक, श्री विनय कुशवाहा, जदयू नेता श्री राजीव केजरीवाल सहित अनेक गणमान्य नागरिक, उपस्थित थे।
 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading