कोप 0011 : मॉन्ट्रियाल सम्मेलन से कोई उम्मीद नहीं - सुनीता नारायण

31 Jul 2011
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सुपरिचित पर्यावरणविद सुनीता नारायण का कहना है कि जलवायु परिवर्तन पर मॉन्ट्रियल में होने वाले सम्मेलन से भारत जैसे विकासशील देशों के लिए कोई उम्मीद नहीं है.

उनका कहना है कि विकसित देशों ने विकास के ग़लत तरीक़ों से दुनिया के पर्यावरण को चौपट कर दिया लेकिन अब वे भारत और चीन जैसे देशों पर दबाव डालना चाहते हैं कि वे सब कुछ ठीक करें.

'आपकी बात बीबीसी के साथ' कार्यक्रम में श्रोताओं के सवालों के जवाब देते हुए सेंटर फॉर साइंस एंड इनवारनमेंट की निदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि पूरी दुनिया को मिलकर विकास की प्रणाली को बदलना होगा.

उन्होंने कहा कि विकसित देशों ने पहले तो विकास की ग़लत प्रणाली अपनाकर दुनिया के पर्यावरण को नुक़सान पहुँचाया और अब भी अमरीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश इस बात से साफ़ इंकार कर रहे हैं कि वे इसे ठीक करने के लिए कोई क़दम उठाएँगे.

उनका कहना था कि पहले तो बिट्रेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी घूम-घूमकर कह रहे थे कि वे अपने यहाँ विकास की प्रणाली को दुरुस्त करने का प्रयास करेंगे लेकिन वे विकास की प्रणाली तो ठीक नहीं कर पाए उल्टे इस साल उन्होंने कहना शुरु कर दिया है कि अमरीका ठीक कह रहा है.


एक सवाल के जवाब में सुनीता नारायण ने कहा कि उन्हें यह देखकर अफ़सोस होता है कि देश में जलवायु परिवर्तन या पर्यावरण के विषय पर कोई तैयारी नहीं की जाती.

उन्होंने कहा, 'डब्लूटीओ के लिए तो मंत्री कमलनाथ दुनिया भर में घूमकर तैयारियाँ कर रहे हैं लेकिन मॉन्ट्रियल के लिए न प्रधानमंत्री कुछ कहते हैं और न कोई और.'

उन्होंने कहा कि भारत और दूसरे विकासशील देशों को साफ़ शब्दों में तीन बातें कह देना चाहिए. एक तो यह कि एक तो विकासशील देशों को विकास के लिए समय देना चाहिए.

दूसरे यह कि विकासशील देशों के विकास के लिए विकसित देशों को जगह बनानी चाहिए क्योंकि सारी जगहों पर तो वे पहले से ही कब्ज़ा जमाए बैठे हैं.

तीसरे विकासशील देशों को कहना चाहिए कि हम प्रदूषण नहीं फैलाना चाहते और हम विकास की ऐसी प्रणाली नहीं चाहते जिसके कारण दुनिया बर्बाद हो

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